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23 प्रखंडों में पानी के नाम पर जहर पी रहे हैं लोग

विवेक चंद्र राज्य के 23 प्रखंडों के लोग जहर को पानी समझ कर पी रहे हैं. जहरीला पानी लोगों को धीरे-धीरे मार रहा है. नवजात शिशुओं पर जहरीले पानी का असर तो पड़ ही रहा है, मां के गर्भ में जहर घुला पानी उनको पैदा लेने के पहले ही बीमार बना रहा है. वयस्कों की […]

विवेक चंद्र
राज्य के 23 प्रखंडों के लोग जहर को पानी समझ कर पी रहे हैं. जहरीला पानी लोगों को धीरे-धीरे मार रहा है. नवजात शिशुओं पर जहरीले पानी का असर तो पड़ ही रहा है, मां के गर्भ में जहर घुला पानी उनको पैदा लेने के पहले ही बीमार बना रहा है. वयस्कों की किडनी खराब हो रही है. पेट की बीमारियां, हृदय रोग हो रहा है.
पानी पीकर राज्य के लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो रही है. बड़ी तादाद में लोग दूषित जल का सेवक कर रहे हैं. पानी की वजह से छोटे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुंच रही है. वह कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. छोटी उम्र में ही बड़ी-बड़ी बीमारियों को लेकर जीवन के लिए जूझ रहे हैं.
झारखंड में राज्य सरकार की जानकारी में लोगों को पानी के रूप में धीमा जहर मिल रहा है. राज्य सरकार की संस्था भूगर्भ जल निदेशालय के शोध से ही पानी के जहरीले होने का पता चला है. निदेशालय के शोध से पता चला कि राज्य के कई हिस्सों में फ्लोराइड, आर्सेनिक, आयरन, कॉपर, जिंक या मैग्नीशियम की मात्र पानी में सामान्य से काफी ज्यादा है. राज्य सरकार द्वारा पानी की गुणवत्ता दुरुस्त करने या लोगों को विकल्प उपलब्ध कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है.
प्रशासन की ओर से जागरूकता फैलाने की पहल तक करने की जरूरत नहीं समझी गयी है. दूषित जल वाले क्षेत्रों में पहले की तरह ही चापानल लगाने और कुंआ खोद कर जहरीला पानी उपलब्ध कराया जा रहा है.
राज्य के ग्रामीण इलाकों में से 76 टोलों में पीने का पानी प्रदूषित है. राज्य के पलामू, गढ़वा, पाकुड़ और अन्य इलाकों में से 20 टोलों का पानी फ्लोराइड से प्रभावित है. 55 प्रतिशत टोलों में पीने के पानी में लोहे की अधिकता है. जबकि कई इलाकों के पानी में फ्लोराइड की मात्र काफी ज्यादा है. धनबाद, बोकारो और धनबाद जैसे शहरी इलाकों का पानी खतरनाक हो गया है. पलामू, गढ़वा और चतरा जिला के कई प्रखंडों का पानी पीने के लायक बिल्कुल नहीं है.
गढ़वा के बनधीजिया इलाके में पानी में आयरन की मात्र 25.20 पीपीएम है. गढ़वा के ही मोहनाहार क्षेत्र के पानी में फ्लोराइड की मात्र 7.66 पीपीएम है. आयरन और फ्लोराइड की यह मात्र राज्य में सबसे ज्यादा है. दुमका, सिंहभूम और सिमडेगा में आयरन की मात्र खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है. जहरीले पानी के दुष्प्रभाव से रांची भी नहीं बच सका है. रांची और आस-पास के इलाकों के भू-गर्भ जल में नाइट्रेट की मात्र काफी अधिक पायी गयी है. पानी में नाइट्रेट की मानक मात्र 45 मिग्रा/ली है. राजधानी के अलावा चतरा, गढ़वा, गोड्डा, गुमला, लोहरदगा, पाकुड़, पलामू, सिंहभूम और साहेबगंज के भू-गर्भ जल में भी नाइट्रेट मानक मात्र से काफी अधिक है.
केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार ने 42441 लोगों को फील्ड टूल किट दिये हैं. इससे पानी की गुणवत्ता की जांच गांवों में की जा रही है. सरकार की ओर से गठित ग्राम जल और स्वच्छता समितियों की कोषाध्यक्ष सह जल सहिया को इसका प्रश्क्षिण दिया गया है. राज्य भर में प्रशिक्षित किये गये लोगों के द्वारा 46516 जगहों पर पानी की गुणवत्ता की जांच की गयी.
राज्य सरकार की ओर से अब तक जिला और सब डिविजन स्तर पर कोई प्रयोगशाला गठित नहीं की गयी है. सरकार के आंकड़ों को मानें, तो ग्राम स्तरीय समितियों को 1341 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं सुपूर्द कर दी गयी हैं. केंद्र सरकार की ओर से दिये गये लक्ष्य के विरुद्ध ग्रामीण समितियों के 2.10 लाख सदस्यों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है.

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