भारतीय सिख गुरुद्वारों की तरह लंदन में भी हर दिन लोगों को मुफ्त भोजन परोसा जाता है. सिख धर्म में ये प्रथा करीब 500 साल पुरानी है.
हाल के सालों में ब्रिटेन में आर्थिक मुश्किलों के कारण बेघर लोगों की तादाद बढ़ी है और ऐसे लोग सिख गुरुद्वारों में परोसे जा रहे मुफ़्त भोजन पर ही निर्भर रहते हैं.
ऐसे दृश्य आपको ब्रिटेन के कई इलाके में दिखेंगे.
कोशिश हो रही है कि सभी को भोजन मिले चाहे वो किसी भी परिस्थिति में हों.
लोगों की तादाद
आइरीन कुलास साउथहाल में एक कार्यकर्ता हैं. वे कहती हैं, "जो कोई भी गुरुद्वारे में आता है, सिख उन सभी का स्वागत करते हैं, चाहे उनकी कोई भी पृष्ठभूमि हो. हम सब इसकी सराहना करते हैं."
पिछले कुछ सालों में, इस गुरुद्वारे में आर्थिक कारणों से लंगर में आने वाले लोगों की तादाद बढ़ी है. नवराज सिंह साउथहॉल के सिंघ सभा गुरुद्वारा से जुड़े हैं.
साउथहॉल में सिख और पंजाबी समुदाय के लोग बड़े तादाद में रहते हैं.
वो बताते हैं, "यहां सभी का स्वागत है. यहां गुरुद्वारे में सिखों के अलावा दूसरे धर्म के लोग भी बड़ी तादाद में आते हैं. लंगर का यही मकसद है. ये उन लोगों के लिए है जिन्हें अच्छा खाना कहीं नसीब नहीं होता."
चंदे से खर्चा
लंगर का खर्चा चंदे से पूरा होता है. स्वयंसेवकों की मदद से भोजन को पकाया जाता है और जगह का साफ़ रखा जाता है. इसे सेवा कहते हैं.
गुरुप्रीत सिंह भी एक स्वयंसेवक हैं. उनका कहना है, "हम यहां हर रोज़ स्कूल शुरू होने के पहले आते हैं. 15-20 मिनट तक हम बर्तन साफ़ करते हैं. दिन की शुरुआत करने का ये अच्छा तरीका है. इससे हमारा दिमाग ताजा रहता है और हम अपनी पढ़ाई पर अच्छी तरह ध्यान दे पाते हैं."
ब्रिटेन में करीब 300 गुरुद्वारे हैं. वहां करीब 400 टन अनाज की खपत होती है. इसमें चावल और आटा भी शामिल होता है. यानी एक हफ़्ते में करीब एक लाख प्लेट भोजन.
भोजन शाकाहारी होता है. और इसे गुरुद्वारे में ही परोसा जाता है. लेकिन अब इसे उन इलाकों में भी परोसा जाने लगा है जहां इसकी ज़रूरत है.
जरूरतमंदों के बीच
स्वात यानी सिख वेलफ़ेयर अवेयरनेस टीम उन संस्थाओं में से है जिन्होंने सबसे पहले इसकी शुरुआत की.
हफ़्ते में दो बार वो एक वैन की मदद से भोजन को लंदन की सड़कों पर जरूरतमंदों के बीच लेकर जाते हैं.
रंदीप सिंह स्वात से जुड़े हैं. वो बताते हैं, "हमने अपने इलाके से ही एक परियोजना से शुरुआत की. धीरे धीरे हमने इसका दायरा फैलाया. फिर हमें इस परियोजना को केंद्रीय लंदन तक ले गए. अब हज़ारों लोगों को इसका फायदा पहुंचता है."
अगले कुछ दिनों तक सिख अपने इस काम को राष्ट्रीय लंगर सप्ताह के माध्यम से लोगों को समझा रहे हैं और लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वो दूसरों की मदद के लिए आगे आएं.
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