बॉलीवुड में यह उनका पहला कदम है. लेकिन दर्शक उन्हें इस तरह प्यार दे रहे हैं, मानो वह वर्षो से हिंदी सिनेमा का हिस्सा हों. उनके शो जिंदगी गुलजार है को खूब पसंद किया जा रहा है. फिल्म खूबसूरत में जिस तरह से उन्होंने अभिनय किया है, इससे साफ है कि आनेवाले समय में वे बॉलीवुड में स्थापित हो सकते हैं. बात हो रही है पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान की. फवाद से उर्मिला और अनुप्रिया ने उनके फिल्मी सफर व जिंदगी के कई पहलुओं पर बात की..
खूबसूरत से जुड़ना कैसे हुआ?
इसके लिए मैंने ऑडिशन दिया था. हालांकि फिल्म की कास्टिंग डायरेक्टर ने मेरा पिछला काम देखा हुआ था. मैंने पहले भी बॉलीवुड की फिल्म के लिए कोशिश की थी. लेकिन उस वक्त हालात वैसे नहीं थे, तो बात नहीं बन पायी थी.
बॉलीवुड से जुड़ने की कोई खास वजह?
दरअसल, मुङो लगता है कि मैंने अपने मुल्क में तो काम कर लिया है. वहां स्थापित हो चुका हूं. लेकिन मैं उस कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर काम करना चाहता था. यह मेरे लिए नया अनुभव है कि मैं वहां काम कर रहा हूं, जहां मैं लोगों को नहीं जानता. सबसे बड़ी बात यह थी कि मैंने ज्यादातर काम टेलीविजन पर किया है. इसलिए फिल्म में काम करना मेरे लिए बड़ी बात है. मेरे लिए यह जरूरी है कि मैं काम के साथ कुछ सीखूं भी. इस फिल्म में वैसे नये लोगों से जुड़ना हुआ है, जिनके पास तजुर्बा है. सो, मजा आ रहा है इस सफर में. मुङो यहां काम करने में सिर्फ इतनी ही तकलीफ हुई कि हिंदी और उर्दू डायलेक्ट में थोड़ा अंतर होता है. लफ्ज किस तरह बोले जाते हैं, यह सीखने-समझने में थोड़ा वक्त लगा. पाकिस्तान में डायलॉग में इप्रोवाइजेशन करना पड़ता है, जबकि यहां एक्टिंग के साथ-साथ फिजिकल एक्शन भी करना होता है.
आप पाकिस्तान के स्टार हैं. बॉलीवुड में स्टार्स की जिंदगी लाजर्र देन लाइफ होती है. लेकिन हमने सुना है कि आप बिल्कुल सामान्य जिंदगी जीने में यकीन रखते हैं. तो आपके लिए स्टार होने के क्या मायने हैं?
मैं थोड़ा शर्मिला हूं. जब लोगों का हुजूम सिर्फ मुङो देखने आता था, तो कुछ घंटों की शूटिंग रोकनी पड़ती थी. यह सब देख कर मैं शरमा जाता था. मुङो समझ ही नहीं आता कि किस तरह रिएक्ट करूं. लेकिन लोगों का यह प्यार देख कर अच्छा लगता है. मैं मीडिल क्लास से हूं, हाइफाइ, शोर-शराबा ग्लैमर में रहना पसंद नहीं रहा है. मेरी फीमेल फैन फॉलोइंग मेल फैन फॉलोइंग से ज्यादा बढ़ गयी है. सोशल नेटवर्किग साइट्स पर भी एक्टिीव नहीं हूं. मेरे पापा सेल्स और मार्केटिंग में थे. इसकी वजह से मेरी जिंदगी के 11-12 साल सफर में ही गुजरे हैं. जिंदगी को नजदीक से अनुभव किया है. घर का माहौल ही बहुत सामान्य और आम रहा है, जिससे परवरिश में लाजर्र देन लाइफ जैसी कोई बात नहीं है. लेकिन धीरे-धीरे जब तरक्की होती है, तो इंसान की चाह भी बढ़ती है. लेकिन मुझ पर अब भी मेरी पुरानी जिंदगी ही हावी है. इसलिए उस लिहाज से खुद को बदल नहीं पाया हूं.
शुरू से ही सोच रखा था कि आपको अभिनय की दुनिया में ही जाना है?
नहीं. मुझमें यह तब्दीली तब आयी, जब मैं 20-21 साल का हुआ. मैं कॉलेज में था. मैं एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में जाना चाहता था. जब उसमें दाखिला लिया, तो पता चला कि शहर से दूर जाना होगा. चूंकि मुङो होम सिकनेस है, इसलिए मैंने तय कर लिया कि ऐसी कोई पढ़ाई या कैरियर नहीं चुनूंगा, जिसमें घर से दूर रहना पड़े. क्योंकि ज्यादा दिनों तक घर से दूर नहीं रह सकता.
एक्टिंग वल्र्ड में कदम रखने को लेकर आपके परिवार ने कितना सहयोग किया?
शुरू में हर पैरेंट्स के लिए यह स्वीकारना कठिन होता है कि उनके बच्चे ऐसा कैरियर चुन रहे हैं, जिसके बारे में कोई खोज खबर नहीं. एक अलग ही दुनिया है ये. लेकिन वक्त के साथ उनका यकीन मुक्कमल हुआ. मेरे वालिद यही चाहते थे कि मैं जिंदगी में जो भी करूं, उसमें अपनी पहचान बनाऊं.
आपका बचपन कैसा था और क्या आप बचपन से ही शर्मिले हैं?
नहीं. बचपन में मैं ज्यादा गुस्सैल था. लेकिन जब मेरी शादी हुई, धीरे-धीरे मैच्योर होता गया.
बॉलीवुड की कौन-कौन सी फिल्में आपको पसंद हैं?
मुङो आज भी दो और दो पांच, मिस्टर नटवर लाल और मिस्टर इंडिया देखने में काफी मजा आता है.
क्या आपके आगमन और जिंदगी चैनल की पहल से दोनों देशों में प्यार बढ़ेगा?
हमारी तो यही कोशिश होगी कि हम दोनों मुल्क एक दूसरे की संस्कृति का सम्मान करें. और अगर सिनेमा व टेलीविजन से हमारे बीच नजदीकी आती है, तो इससे खुशी की बात और क्या होगी.