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90 डिग्री पर खड़ा हो जाता है यह पानी जहाज

बच्चो, वैसे तो हम समुद्र में बहुत सारे जहाज देखते ही हैं, लेकिन कभी ऐसा जहाज देखा है, जो समुद्र के बीचोबीच सीधा खड़ा होता हो. आज हम एक ऐसे शिप के बारे में जानेंगे, जो समुद्र में 90 डिग्री पर खड़ा हो सकता है. आरपी फ्लिप यूएस नेवी का सबसे पुराना और सबसे अजीब […]

बच्चो, वैसे तो हम समुद्र में बहुत सारे जहाज देखते ही हैं, लेकिन कभी ऐसा जहाज देखा है, जो समुद्र के बीचोबीच सीधा खड़ा होता हो. आज हम एक ऐसे शिप के बारे में जानेंगे, जो समुद्र में 90 डिग्री पर खड़ा हो सकता है.

आरपी फ्लिप यूएस नेवी का सबसे पुराना और सबसे अजीब रिसर्च व्हीकल है. फ्लिप (फ्लोटिंग इंस्ट्रूमेंट प्लेटफॉर्म) 355 फुट लंबा चम्मच जैसा दिखनेवाला दुनिया का इकलौता जहाज है, जो वर्टिकली और हॉरजिॉन्टली ऑपरेट हो सकता है. 28 मिनट में यह अपनी ट्रांसफॉर्मेशन की प्रक्रि या पूरी कर लेता है. इसमें 90 फुट का पाइप लगा हुआ है. इसके हैंडल में 700 टन पानी और

क्रैडल में हवा भरी जाती है और यह सीधा हो जाता है. 1962 में वेव हाइट, अकाउस्टिक सिग्नल्स, वाटर टेंपरेचर पर डाटा और रिसर्च के उद्देश्य से डॉ फ्रेड फिशर और डॉ फ्रेड स्पाइस ने इसे बनाया था. ऑपरेशन के लिए वर्टिकल पोजिशन में बदलने के कुछ सेकंड में ही यह स्टेबल हो जाता है.

कैसे करता है काम

सीधा खड़ा होने पर पानी के बाहर इसकी लंबाई 55 फुट रह जाती है और 300 फुट पानी के अंदर चला जाता है. 30 फुट ऊंची लहरों का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. फ्लिपिंग प्रक्रि या के दौरान क्रू के सभी सदस्य एक्स्टरनल डेक पर होते हैं. ट्रांसफॉर्मेशन के बाद दीवारें फर्श और फर्श दीवारें बन जाती हैं. रविवार के दिन यह प्रक्रि या नहीं की जाती है. जहाज के सभी कमरों में दो दरवाजे हैं, ताकि ट्रांसफॉर्मेशन के पहले और बाद में काम आ सकें. शिप पर हर वक्त 16 लोगों का दल मौजूद रहता है. शिप के इंचार्ज टॉम गोल्फिनो पिछले 17 वर्षो से जहाज पर ही रह रहे हैं. इस शिप के कमरों में हर चीज डबल होती है. बेड, गेट, सिंक, बेसिन सब डबल होते हैं, ताकि हर स्थिति में एक चीज काम आ सके. इसका अगला मिशन ओएनआर वेव्स का रिसर्च है. यह 4-25 नवंबर के बीच मालविले में होनेवाला है. इस मिशन के लिए भी शिप और उसके क्रू मेंबर और रिसर्चर पूरी तरह से तैयार हैं.

प्रस्तुति : प्रीति पाठक

फंडिग

यूएस ऑफिस नेवल रिसर्च, मरीन फिजिकल लैब ऑफ स्क्रि प्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के द्वारा इसे चलाया जाता है.

ऑपरेशन्स

अब तक 300 ऑपरेशन में इसने सफलतापूर्वक काम किया है. यूएस नेवी के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है.

मेकओवर

1995 में 20 लाख डॉलर से मिला नया रूप.18-19 जनवरी, 1996 में दोबारा से इसका ट्रायल किया गया.

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