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गोपालकृष्ण गांधी ने मौत की सजा का विरोध किया

नयी दिल्ली : मौत की सजा का विरोध करते हुए पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने सरकार से आज मांग की कि पूर्व न्यायाधीशों और कानून से इतर की महत्वपूर्ण हस्तियों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई जाए ताकि दंड के रुप में इसकी वैधता का आकलन किया जा सके. उन्होंने कहा कि मौत की सजा होने […]

नयी दिल्ली : मौत की सजा का विरोध करते हुए पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने सरकार से आज मांग की कि पूर्व न्यायाधीशों और कानून से इतर की महत्वपूर्ण हस्तियों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई जाए ताकि दंड के रुप में इसकी वैधता का आकलन किया जा सके.

उन्होंने कहा कि मौत की सजा होने के कारण संसद भवन पर हमले और 26..11 के हमलावरों को फांसी पर लटकाने पर गौर करने के बजाए मेरा मानना है कि इसे इस रुप में लिया जाना चाहिए कि अगर यह नहीं होता तो 1947 के बाद भी भगत सिंह भारत में होते.’’

उन्होंने कहा कि उनका एक विचार यह भी है कि अगर फांसी पर लटका कर भगत सिंह को हमसे नहीं छीना जाता तो मौलाना आजाद स्मारक व्याख्यान आज लाहौर में होता और डॉ. कर्ण सिंह इसकी अध्यक्षता कर रहे होते.’’

महात्मा गांधी के पौत्र ‘‘लास्ट वर्डस एज दोज एट डेथ्स डोर स्पीक’’ पर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे जिसका आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् ने किया. गांधी ने कहा, ‘‘जिन लोगों को फांसी पर लटकाया गया उनके अंतिम शब्दों पर इस तरह की समिति को अध्ययन करना चाहिए.’’ गांधी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अगर वैश्विक रुख, सजा के रुप में मौत की सजा की उपादेयता के रुप में अगर परखना है तो भारत के राष्ट्रपति अगर उच्चस्तरीय आयोग का गठन करें तो अच्छा रहेगा जिसमें पूर्व प्रधान न्यायाधीश और कानून के बाहर की महत्वपूर्ण हस्तियों को शामिल किया जाए.’’

विभिन्न युग और ऐतिहासिक समय की हस्तियों का जिक्र करते हुए गांधी ने स्लाइड प्रोजेक्टर के माध्यम से इस पर विभिन्न हस्तियों की उक्ति को उद्धृत किया जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट कैनेडी, मदर टेरेसा, अल्बर्ट आइंस्टीन, सरोजिनी नायडू तथा मोहम्मद अली जिन्ना एवं अन्य शामिल थे.

गांधी ने कहा, ‘‘प्रभावशाली लोग थोड़ा हेरफेर कर निहित मंशा के लिए लोगों को फांसी पर चढ़ा सकते हैं जो आपराधिक न्याय के दायरे से बाहर है.’’गांधी ने कहा कि वह मौत की सजा को बर्बर मानते हैं लेकिन ‘‘जब तक यह हमारे कानून की किताब में है तब तक यह कानून सम्मत है.’’

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