।। दक्षा वैदकर।।
मेरी एक दोस्त है, जो आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर है. वह कई स्कूलों में जाकर क्लासेज लेती है. वह बताती है कि अलग–अलग स्कूलों के प्रिंसिपलों का व्यवहार बिल्कुल अलग–अलग है. उनकी नेतृत्व शैली की वजह से स्कूल भी अलग–अलग तरीके से प्रोग्रेस कर रहे हैं. उसने बताया कि पहले स्कूल की प्रिंसिपल बहुत शालीन कपड़े पहनती है और अपने स्टाफ से दूरी बना कर रखती है.
वे पूरी तरह प्रोफेशनल हैं और यही वजह है कि स्कूल अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है. एक और प्रिंसिपल का स्कूल तो अच्छा है, लेकिन वे बहुत ज्यादा अनौपचारिक हैं. टीचर्स के साथ भी ताली मार–मार कर बात करतीं हैं. बहुत ज्यादा दोस्ताना व्यवहार रखती हैं. वे अकसर लंच टाइम में बच्चों के पास पहुंच जाती हैं और उनसे बात करती हैं, क्योंकि उन्हें बच्चों से प्यार है. टीचर दोस्त ने आगे बताया, ये दोनों प्रिंसिपल तो ठीक भी हैं. लेकिन तीसरे तो कुछ ज्यादा ही अजीब व्यवहार करते हैं. वे सभी का प्रिय बनने के लिए कुछ ज्यादा ही प्रयास करते हैं. वे टीचर्स से इस तरह की बातें करते हैं कि ‘तुम्हारा घर बहुत दूर है. अगर तुम्हें असुविधा हो, तो रात के स्कूल के कार्यक्रम में आने की जरूरत नहीं.’ शायद वे सोचते हैं कि लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए उन्हें ढील देना चाहिए. लेकिन इसका परिणाम विपरीत होता है. स्टाफ का हर व्यक्ति वहां से ट्रांसफर करवाने की कोशिश कर रहा है.
दरअसल, इस तरह की ढील देने का दृष्टिकोण यह संदेश देता है कि ‘यह स्कूल इस लायक नहीं है कि इसकी परवाह की जाय.’ यही कारण है कि नरम टीचर और लापरवाह बॉस का कोई सम्मान नहीं होता. स्पष्ट रूप से वे न तो उत्कृष्टता की परवाह करते हैं, न ही लोगों की.
आज भले ही कई लोग हैं, जो ज्यादा काम करानेवाले बॉस या प्रिंसिपल को पसंद नहीं करते. काम करने वक्त घबराते हैं, लेकिन जब यही लोग अतीत को याद करते हैं, तो वे उसी कठोर बॉस या प्रिंसिपल को याद करते हैं, जिसकी वजह से वे अपनी क्षमता का बेहतरीन प्रयोग कर पाये.
बात पते की..
-आपकी सोच गलत है, यदि आपको लगता है कि आप लोगों को ढील देंगे, तो वे आपका सम्मान करेंगे. कठोर बॉस ज्यादा तारीफ पाता है.
-अनुशासित वातावरण से ही आप अपने कर्मचारियों के दिल में जगह बना सकते हैं. यदि आप अनुशासन छोड़ देंगे, तो वे आपका सम्मान छोड़ देंगे.