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खिचड़ी जरूरी या शिक्षा, तय करें

झारखंड गठन को 13 साल होने को है, पर अब भी हम विकास से कोसों दूर हैं. झारखंड की बदहाल स्थिति तो अब कहावत के रूप में कहा जाने लगा है. इन वर्षो में राज्य का बंटाधार हो गया है. चाहे वह स्वास्थ्य का मसला हो या सड़क, बिजली का. सबसे बुरा हाल शिक्षा का […]

झारखंड गठन को 13 साल होने को है, पर अब भी हम विकास से कोसों दूर हैं. झारखंड की बदहाल स्थिति तो अब कहावत के रूप में कहा जाने लगा है. इन वर्षो में राज्य का बंटाधार हो गया है. चाहे वह स्वास्थ्य का मसला हो या सड़क, बिजली का.

सबसे बुरा हाल शिक्षा का है, जबकि किसी राज्य के विकास के लिए शिक्षा सबसे जरूरी है. सरकार शिक्षा से ज्यादा खिचड़ी (मध्याह्न् भोजन) पर ध्यान दे रही है. एक अखबार में खबर छपी कि 54 फीसदी बच्चों को ही खिचड़ी मिल रही है. क्या कभी हमने सोचा कि कितने फीसदी बच्चों को शिक्षा मिल रही है?

राज्य के सैकड़ों विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षक नहीं हैं. सैकड़ों ऐसे विद्यालय हैं, जहां एक शिक्षक पर तीन सौ से पांच सौ बच्चे हैं. आखिर फिर शिक्षा कैसे मिलेगी? क्या खिचड़ी खिला देने से राज्य का भविष्य सुधर जायेगा या फिर उन्हें शिक्षा की जरूरत होगी.

इमरान आलम, पचंबा, गिरिडीह

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