रायपुर : छत्तीसगढ़ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रायपुर की एक विशेष अदालत ने नौकरशाह समीर बिश्नोई समेत कारोबारी सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी की हिरासत अवधि बढ़ा दी है. अदालत ने इन तीनों की हिरासत अवधि छह दिनों के लिए बढ़ाई है. कोयला और खनन ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से की जा रही है और फिलहाल ये तीनों आरोपी ईडी की हिरासत में हैं. रायपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जस्टिस अजय सिंह राजपूत ने आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, व्यवसायी सुनील अग्रवाल और एक लक्ष्मीकांत तिवारी की हिरासत अवधि बढ़ा दी है.
जबरन वसूली के आरोपियों में शामिल लक्ष्मीकांत तिवारी के वकील फैजल रिजवी ने कहा कि कथित आरोपियों को उनकी आठ दिन की ईडी हिरासत की अवधि समाप्त होने पर अदालत में पेश किया गया. उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के वकीलों ने हिरासत बढ़ाने की ईडी की याचिका का विरोध किया. ईडी ने 13 अक्टूबर को नौकरशाह समीर बिश्नोई, सुनील अग्रवाल और कोयला व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था, जो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत 11 अक्टूबर को राज्य में कई शहरों में की गई छापेमारी के बाद फरार हैं.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2009 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी समीर बिश्नोई छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी के सीईओ के रूप में कार्यरत थे. महासमुंद जिले के वकील लक्ष्मीकांत तिवारी कोयला व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी के चाचा हैं, जिनकी संपत्तियों को भी तलाशी के दौरान जब्त किया गया था. जांच एजेंसी ईडी ने महासमुंद कस्बे में लक्ष्मीकांत के आवास पर भी छापेमारी की थी. कोयला कारोबार से जुड़े इंद्रमणि समूह के निदेशक सुनील अग्रवाल का सूर्यकांत तिवारी से गहरा नाता बताया जाता है. वह एक दशक से अधिक समय से कोयला कारोबार में हैं और कथित तौर पर वरिष्ठ राजनेताओं के साथ उनके संबंध हैं.
ईडी ने 14 अक्टूबर को जारी एक विज्ञप्ति में दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन में एक बड़ा घोटाला हो रहा था, जिसके तहत राजनेताओं, अधिकारियों और अन्य लोगों का एक ‘कार्टेल’ कथित तौर पर ‘अवैध जबरन वसूली की समानांतर सिस्टम’ चला रहा था. ये लोग लेवी के जरिए रोजाना करीब 2-3 करोड़ रुपये की जबरन वसूली की रही है. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान समीर बिश्नोई और उनकी पत्नी के पास से 47 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी और 4 किलो सोने के आभूषण पाए गए.
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आयकर विभाग की एक शिकायत पर ईडी द्वारा संज्ञान लेने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की गई थी. ईडी ने दावा किया कि इस घोटाले का मुख्य सरगना सूर्यकांत तिवारी (भागने के लिए कहा गया) और उसके सहयोगी हैं, जिन्होंने कोयले पर अवैध लेवी की जबरन वसूली की एक समानांतर प्रणाली चलाने के लिए एक आपराधिक साजिश में शामिल थे. ये अवैध वसूली और बेहिसाब नकदी जमा कर रहे थे. एजेंसी ने कहा था कि उसने छापेमारी के दौरान करीब 4.5 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी, सोने के आभूषण, सराफा और लगभग 2 करोड़ रुपये के अन्य कीमती सामान जब्त किए हैं.