कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के अंतिम चरण की वोटिंग के बाद जो एक दर्जन एग्जिट पोल आये, उसमें दो ने भाजपा की सरकार बनने की बात कही, तो बाकी ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को सत्ता के करीब बताया था. अब जनादेश आने ही वाला है. आइए, जानते हैं कि बंगाल में वोटिंग और सत्ता परिवर्तन का क्या ट्रेंड रहा है.
पश्चिम बंगाल में वोटिंग के ट्रेंड पर नजर डालेंगे, तो आपको मालूम हो जायेगा कि रिजल्ट क्या आने वाले हैं. वर्ष 2011 में पहली बार 34 साल पुरानी सरकार का पतन हुआ और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार का उदय हुआ था. इसके पहले वर्ष 1977 में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाली वाम मोर्चा की सरकार बनी थी.
हाल के वर्षों के वोटिंग के ट्रेंड पर अगर नजर डालेंगे, तो पायेंगे कि जब भी जनता ने सत्ता परिवर्तन का मूड बनाया, उसके वोटिंग का अलग ट्रेंड बंगाल में देखा गया. वर्ष 2006 की बात करें, तो उस समय 81.97 फीसदी वोटिंग हुई थी. यानी 82 फीसदी मतदान. तब वाम मोर्चा की सरकार राज्य में थी और चुनाव के बाद वही सरकार बरकरार रही.
इसके बाद वर्ष 2011 में चुनाव हुए. इस बार वोटिंग प्रतिशत 2 फीसदी से ज्यादा बढ़ा. इस 2.36 अतिरिक्त वोट के बाद बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली सरकार का पतन हो गया. इसी साल तृणमूल कांग्रेस सरकार में आयी और ममता बनर्जी प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.
ममता बनर्जी के पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद जब बंगाल में वर्ष 2016 में चुनाव संपन्न हुए, तो मतदान का प्रतिशत घटकर 82.66 फीसदी रह गया. हालांकि, इस साल वर्ष 2006 से ज्यादा मतदान हुआ, लेकिन वर्ष 2011 की तुलना में 2.33 फीसदी कम लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
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भारतीय जनता पार्टी के अलावा संयुक्त मोर्चा (कांग्रेस-लेफ्ट-आइएसएफ गठबंधन) वर्ष 2021 के चुनाव को परिवर्तन का चुनाव मान रहा है. अब तक जो आठ चरणों के चुनाव हुए हैं, उसमें सातवें चरण में सबसे कम 76.90 फीसदी लोगों ने मतदान किया.
बंगाल चुनाव 2021 में प्रथम चरण में 84.13 प्रतिशत लोगों ने वोट किया, तो दूसरे चरण में 86.11 प्रतिशत, तीसरे चरण में 84.61 प्रतिशत, चौथे चरण में 79.90 प्रतिशत, पांचवें चरण में 82.49 प्रतिशत, छठे चरण में 82 प्रतिशत और सातवें चरण में 76.90 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले हैं.
इसे मिश्रित वोटिंग कह सकते हैं. जब वोटिंग के अंतिम परिणाम चुनाव आयोग की ओर से जारी किये जायेंगे, तब स्पष्ट होगा कि कुल वोटिंग कितनी हुई है. लेकिन, अभी तक के वोटिंग प्रतिशत पर नजर डालें, तो यह मिश्रित है. शुरू के तीन चरण में जहां भी चुनाव हुए हैं, वहां परिवर्तन की लहर दिख रही है.
बाकी के 4 चरणों के चुनाव में ऐसा नहीं दिख रहा. इन चार चरणों में उतनी अधिक वोटिंग नहीं हुई है. खासकर चौथे और सातवें चरण में. इन दो चरणों में तो 80 फीसदी से भी कम वोटिंग हुई है. चौथे चरण में 79.90 फीसदी लोगों ने वोट डाला, तो सातवें चरण में सिर्फ 76.90 फीसदी लोग मतदान करने के लिए घरों से बाहर निकले.
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Posted By : Mithilesh Jha