राजेश सिंह, जयनगर : कोरोना की दहशत में जी रहे किसानों पर पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि की भी मार पड़ रही है. पहले से परेशान किसान अब और परेशान हो गये हैं. पिछले 21 दिनों से लगातार पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि हो रही है. शनिवार को पेट्रोल 88 रुपये 84 पैसे व डीजल 77 रुपये सात पैसे की दर से बिका. किसानों के साथ ऑटो वाहन चालक जहां एक ओर सवारी नहीं मिलने से परेशान है. वहीं पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि पर इन्हें रुला रही है. ऑटो चल रहे है पर सवारी नहीं है. महंगे दर पर पेट्रोल-डीजल खरीदने पर तेल का दाम भी वापस नहीं हो पा रहा है. डीजल की मूल्य वृद्धि पर युवा किसानों ने बेरोजगारी व खेती की चिंता जताते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसके लिए केंद्र सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है.
सरकार के गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था कमजोर हो गयी है. रोज पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रह है. कोरोना व लॉकडाउन से परेशान किसानों को सरकार ने यदि सब्सिडी पर डीजल उपलब्ध नहीं कराया, तो इस बार खेती करने मुश्किल हो जायेगी. पहले से ही प्रवासी मजदूरों के कारण बेरोजगारों की भीड है. किसान खेती नहीं करेंगे तो यह भीड और बढेगी.
तिलक यादव, कंद्रपडीह
कोरोना व लॉकडाउन में किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. उस पर से रोज की मूल्य वृद्धि से किसानों की हिम्मत टूटने लगी है. खाद-बीज पहले से महंगा है. अब डीजल की महंगाई भी आसमान छूने लगा है. इतने महंगे दर पर डीजल खरीदना हर किसान के बस की बात नहीं है. सरकार तत्काल मूल्य वृद्धि पर रोक लगाये और किसानों की राहत के लिए कदम उठाये. अन्यथा बेरोजगारी और भी बढेगी, काम धंधा पहले से बंद है.
अर्जुन चौधरी, हिरोडीह
पेट्रोल-डीजल की मूल्य वृद्धि से साबित हो गया कि अच्छे दिन तो दिखे नहीं, बुरे दिन नजर आने लगे. डीजल की कीमतों में इजाफा होने के कारण टेंपो व ट्रैक्टर चालकों के साथ किसानों की भी परेशानी बढ़ गयी है. लॉकडाउन में तीन चार माह में किसानों को तबाह कर दिया है. अब मूल्य वृद्धि कर सरकार भी किसानों को तबाह करने पर तुली है. किसानों के लिए सही नीति बनाने की जरूरत है.
महेश यादव, सिंगारडीह
Post by : Pritish Sahay