- पश्चिम बंगाल के एसडीपीओ ने साजिश के तहत उसे फंसाया था गांजा तस्करी में
- कांस्टेबल पत्नी लड़ती रही अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई अपने विभाग के वरीय अधिकारी से
- दाल नहीं गलने पर धनबाद के निरसा थाना में पति के खिलाफ प्राथमिकी कर कराया गिरफ्तार
- साक्ष्य नहीं मिलने के बाद कोर्ट में जमा प्रतिवेदन, 27 दिनों की जेल के बाद हुआ था रिहा
- उक्त पुलिस अधिकारी की हो रही है झारखंड में थू-थू, नैतिकता पर उठ रहे कई सवाल
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थानेदार, जांच अधिकारी पर होगी कार्रवाई, एसएसपी से रिपोर्ट तलब
पश्चिम बंगाल के एसडीपीओ ने साजिश के तहत उसे फंसाया था गांजा तस्करी में कांस्टेबल पत्नी लड़ती रही अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई अपने विभाग के वरीय अधिकारी से दाल नहीं गलने पर धनबाद के निरसा थाना में पति के खिलाफ प्राथमिकी कर कराया गिरफ्तार साक्ष्य नहीं मिलने के बाद कोर्ट में जमा प्रतिवेदन, 27 दिनों […]
पांडवेश्वर : इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (इसीएल) के झांझरा प्रोजेक्ट के कर्मी चिरंजीत घोष को गलत तरीके से धनबाद (झारखंड) जिले की निरसा पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजने के मामले में पीड़ित पक्ष की शिकायत पर पुलिस मुख्यालय ने धनबाद के एसएसपी से रिपोर्ट तलब की है.
साथ ही मामले में निरसा थाना प्रभारी उमेश कुमार सिंह और अनुसंधानकर्ता जुएल उरांव के खिलाफ धनबाद एसएसपी के निर्देश पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. धनबाद के ग्रामीण एसपी अमन कुमार को मामले में जांच करने की जवाबदेही सौंपी गयी है. इसकी पुष्टि वरीय अधिकारी ने की है.
सनद रहे कि बीते 25 अगस्त की देर रात निरसा थाना से करीब दो किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे दो के देवियाना गेट के समीप टवेरा कार से निरसा थाना पुलिस ने 39 किलो गांजा पकड़ा था. निरसा थानेदार उमेश सिंह ने गांजा तस्करी के आरोप में चिरंजीत घोष सहित पांच लोगो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
इस केस का अनुसंधानकर्ता एएसआई जुएल गुडिया को बनाया गया था. उन्होने बिना जांच किये और केस का सुपरविजन के बाद सितंबर को चिरंजीत को गिरफ्तार कर जेल दिया था. चिरंजीत को 27 दिनो तक जेल में रहना पड़ा था. पुलिस द्वारा कोर्ट में तथ्य की भूल बताने पर चिरंजीत एक अक्तूबर को जेल से रिहा हुआ था.
मामले में ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष की कांस्टेबल पत्नी श्रावणी शेवाती ने बंगाल के डायमंड हर्बर में तैनात रहे एसडीपीओ तथा निरसा थानेदार पर गंभीर आरोप लगाये थे. उसने अपने शारीरिक शोषण के लिए साजिशतन पति को फंसाये जाने की आशंका भी जताई थी. पुलिस के अनुसार उक्त पुलिस अधिकारी लंबे समय से उसके पीछे हाथ धोकर पड़े थे. उसे विभागीय स्तर पर काफी प्रताड़ित किया गया.
लेकिन उसने उक्त पुलिस अधिकारी के सामने सरेंडर नहीं किया. इसके बाद उसे उसके पति को फंसाने की धमकी दी गई. उसने इसकी परवाह न करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा सभी वरीय पुलिस अधिकारियों से की. इसके बाद पश्चिम बंगाल क बजाय झारखंड में उसके पति को फंसाया गया.
उक्त पुलिस अधिकारी ने अपनी पहुंच तथा तंत्र का फायदा उठाते हुए निरसा थाना में उसके पति के खिलाफ गांजा तस्करी की प्राथमिकी दर्ज करा दी. जिस समय की घटना पुलिस फाइल में दिखाई गई, उस समय आरोपी अपने कार्यस्थल पर मौजूद था. बिना विभागीय औपचारिकता के ही वरीय पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर चिरंजीत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
उसकी पत्नी श्रावणी ने सभी संबंधित ऑडियों तथा अन्य प्रमाण पत्र झारखंड के मुख्यमंत्री तथा वरीय पुलिस अधिकारियों को भेजे. उसने दावा किया कि उसके पति को फंसाया गया है. वरीय पुलिस अधिकारियों के स्तर से की गई जांच में उसका पति निर्दोष पाया गया. इसके बाद पुलिस जांच अधिकारी को कहा गया कि वह उसके पक्ष में कोर्ट में प्रतिवेदन पेश करें. प्रतिवेदन के बाद उसे कोर्ट से रिहा किया गया. इसके बाद इस मामले में धनबाद के वरीय पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की गई है.
थानेदार तथा पुलिस जांच अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिये गये हैं. ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को इसकी जांच का दायित्व दिया गया है. आरोपी एसडीपीओ से संबधित कुछ ऑडियो क्लिप तथा मैसेज भी जांच अधिकारी को सौंपे गये हैं. वे पत्र भी शामिल हैं, जिन्हें प्राथमिकी से पहले श्रावणी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और पुलिस अधिकारियों को लिखे थे.
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