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पुलिस से मिल बिचौलिये नोइंट्री में भेज रहे बालू से लदे ट्रक
आरा/कोइलवर : पटना से कोइलवर पुल होकर आरा या छपरा की ओर जानेवाले ट्रकों को कोइलवर-चांदी-सकडडी के रास्ते दस से तेरह किलोमीटर दूरी कम कराने के व समय की बचत के लिहाज से देर रात पुल पर बिचौलिये सक्रिय हो जाते हैं. आलम यह हो जाता है कि रात के एक बजते ही आधा दर्जन […]
आरा/कोइलवर : पटना से कोइलवर पुल होकर आरा या छपरा की ओर जानेवाले ट्रकों को कोइलवर-चांदी-सकडडी के रास्ते दस से तेरह किलोमीटर दूरी कम कराने के व समय की बचत के लिहाज से देर रात पुल पर बिचौलिये सक्रिय हो जाते हैं.
आलम यह हो जाता है कि रात के एक बजते ही आधा दर्जन बिचौलिये पुल के पश्चमी व पूर्वी मुहाने पर तैनात हो जाते हैं और यातायात पुलिस से मिल ट्रकों को नोइंट्री में भेजते हैं. सूत्रों की मानें तो इसके बदले बिचौलिये पुलिस को पैसा देते हैं.
कैसे होती है नो इंट्री
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एक बिचौलिये रात्रि में दो घंटे काम कर चार से पांच हजार रुपये कमाता है, जिसमें आधा हिस्सा पुल पर तैनात पुलिस का होता है. पटना की ओर से कोइलवर पुल होते छपरा जानेवाले ट्रकों को कोइलवर-चांदी-सकडडी होकर 13 किलोमीटर की दूरी तय कर पुनः कोइलवर आना होता है. तब वो आरा-छपरा फोरलेन तक पहुंचता है.
इस दूरी को तय करने में कई घंटे लगते हैं. जबकि कोइलवर पुल से आरा-छपरा फोरलेन की दूरी तीन सौ मीटर है. इसे लेकर पुल के पूर्वी छोर पर खड़े ट्रकचालक से बिचौलिये बातचीत कर उन्हें आरा-पटना एनएच 30 से जो नोइंट्री जोन है. उसे पार कराने के लिए तोल मोल करते हैं. ट्रक चालक पांच सौ से लेकर एक हजार में तैयार हो जाते हैं.
सूत्रों की मानें तो रात्रि एक बजे से चार बजे तक पुलिस की मिली भगत से यह खेल चलता है, जिसका वीडियो अक्सर ही सोशल मीडिया पर वायरल होता है लेकिन पुल पर तैनात इन पुलिसकर्मियों पर कोई असर नहीं होता है. हालांकि रात्रि गश्ती के दौरान कोइलवर पुलिस नो इंट्री में प्रवेश करनेवाले ट्रकों को पकड़ जुर्माना भी वसू करती है.
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