इंडोनेशिया में क्रेकाटोआ ज्वालामुखी की सक्रियता को देखते हुए चेतावनी दी गई है कि उसके आसपास के तटीय इलाकों में रहने वाले लोग तटों से दूर रहें क्योंकि सुनामी की लहरें एक बार फिर अपनी विनाशलीला दिखा सकती हैं.
इंडोनेशिया में शनिवार को आई सुनामी से मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 373 हो गई है. आशंका है कि ये संख्या और बढ़ सकती है. प्रभावित इलाक़ों में मलबों में दबे लोगों की तलाश की जा रही है.
जो अभी तक पता है –
- कम-से-कम 373 लोगों की मौत, संख्या बढ़ने की आशंका
- 1,400 से ज़्यादा लोग ज़ख्मी, सैकड़ों इमारतें ध्वस्त
- सुंडा खाड़ी के दोनों तरफ़ जावा और सुमात्रा के तटीय इलाक़ों में अचानक आई सुनामी
- सुनामी की वजह एक ज्वालामुखी का फटना हो सकता है जिससे समंदर केज़मीनी हिस्से में हलचल हुई और ऊँची लहरें उठीं
- फिर से सुनामी आने का ख़तरा, लोगों को तटवर्ती इलाकों से दूर रहने की चेतावनी
- शनिवार रात 9:30 पर आई सुनामी
- छुट्टी के दिन आई सुनामी लहरें कई लोकप्रिय पर्यटक स्थलों से टकराई
सरकार का कहना है कि सुनामी के बाद कम से कम 1,400 लोग जख़्मी हुए हैं और 128 लोग अब भी लापता हैं.
सुंडा स्ट्रेट (खाड़ी) के आसपास जावा और सुमात्रा के प्रभावित इलाक़ों में अब भी आपातकालीन सेवाएं पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
देश की आपदा प्रबंधन एजेंसी का कहना है कि सैकड़ों इमारतों को नुकसान पहुंचा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि क्रेकाटोआ ज्वालामुखी के फटने के बाद समुद्र के भीतर हुए भूस्खलन की वजह से सुनामी आई.
सबसे ज़्यादा मौतें पंडेग्लांग, दक्षिणी लांपुंग और सेरांग इलाक़ों में हुई हैं.
इंडोनेशिया में बीबीसी संवाददाता रेबेका हेंस्के के मुताबिक सिर्फ़ लामपुंग प्रांत में ही मरने वालों की संख्या कई सौ में हो सकती है.
पश्चिमी जावा का लोकप्रिय बीच रिसॉर्ट तानजुंग लेसुंग भी सुनामी की चपेट में आया है. यहां मौजूद लोगों को किसी तरह की कोई चेतावनी नहीं दी गई थी.
यह वीडियो इंडोनेशिया की आपदा एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पुर्वो नुगरोहो ने पोस्ट किया है. इसमें दिख रहा है कि सड़क पर पानी भरा हुआ है गाड़ियां पानी के साथ बह गईं.
इससे पहले इन्होंने एक और वीडियो पोस्ट किया था कि पानी लोगों के घरों तक पहुंच गया है और लोग भागने की तैयारी कर रहे हैं.
https://twitter.com/Sutopo_PN/status/1076614699322490882
नॉर्वे के ज्वालामुखी फ़ोटोग्राफ़र ओयेस्टइन लुंद एंडरसन पश्चिमी जावा के अनयेर तट पर हैं. उनका कहना है, ”मैं बीच पर था. मैं अकेला था और मेरे परिवार के लोग एक कमरे में सो रहे थे. मैं क्रेकाटोआ ज्वालामुखी की तस्वीरें लेने की कोशिश कर रहा था. कल शाम से ज्वालामुखी का माहौल बन रहा था. तटों पर ऐसा कुछ नहीं लगा रहा था कि सुनामी आएगी. तटों पर अंधेरा था. मैंने अचानक देखा कि तरंगें उठने लगीं और वहां से भागा. यहां दो तरंगें थीं. पहली तरंग बहुत मज़बूत नहीं थी.”
”मैं होटल की तरफ़ भागा, जहां मेरी पत्नी और बेटे सो रहे थे. मैंने उन्हें जगाया और मैंने सुनामी की आवाज़ सुनी. मैंने खिड़की से देखा तो दूसरी तरंग टकरा चुकी थी. वो ज़्यादा बड़ी थी. तरंग होटल के पास से गुज़री और बाहर खड़ी कारों को अपने साथ लेती गई. हमलोग अन्य लोगों के साथ होटल के दूसरी तरफ़ ऊंचे स्थान की ओर भागे. हमलोग अब भी एक पहाड़ पर हैं.”
सुंडा स्ट्रैट, जावा और सुमात्रा द्वीपों के बीच है. ये जावा सागर को हिंद महासागर से जोड़ता है.
सुनामी क्या है?
समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है. इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ता है.
इन्हीं लहरों के रेले को सुनामी कहते हैं. दरअसल सूनामी जापानी शब्द है जो सु और नामी से मिल कर बना है. सू का अर्थ है समुद्र तट और नामी का अर्थ है लहरें.
पहले सुनामी को समुद्र में उठने वाले ज्वार के रूप में भी लिया जाता रहा है लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल समुद्र में लहरे चाँद-सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती हैं, लेकिन सुनामी लहरें इन आम लहरों से अलग होती हैं.
कैसे उठती हैं सुनामी लहरें?
सूनामी लहरों के पीछे वैसे तो कई कारण होते हैं लेकिन सबसे ज्यादा असरदार कारण है भूकंप.
इसके अलावा ज़मीन धंसने, ज्वालामुखी फटने, किसी तरह का विस्फोट होने और कभी-कभी उल्कापात के असर से भी सुनामी लहरें उठती हैं.
सुनामी लहरें समुद्री तट पर ज़ोरदार हमला करती हैं और जान-माल का बुरी तरह नुक़सान कर सकती है.
क्या सुनामी लहरों का अंदाज़ा पहले से लगाया जा सकता है?
जिस तरह वैज्ञानिक भूकंप के बारे में भविष्यवाणी नहीं कर सकते, वैसे ही सुनामी के बारे में भी अंदाज़ा नहीं लगा सकते.
लेकिन सुनामी के अब तक के रिकॉर्ड को देखकर और महाद्वीपों की स्थिति को देखकर वैज्ञानिक कुछ अंदाज़ा लगा सकते हैं.
धरती की जो प्लेट्स या परतें जहाँ-जहाँ मिलती है वहाँ के आसपास के समुद्र में सुनामी का ख़तरा ज़्यादा होता है.
भूकंप से सुनामी लहरें कैसे उठती हैं?
जब कभी भीषण भूकंप की वजह से समुद्र की ऊपरी परत अचानक खिसककर आगे बढ़ जाती है तो समुद्र अपनी समांतर स्थिति में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है.
जो लहरें उस वक़्त बनती हैं वो सुनामी लहरें होती हैं. इसका एक उदाहरण ये हो सकता है कि धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह है जिसमें दरारें हों.
अंडे का खोल सख़्त होता है लेकिन उसके भीतर का पदार्थ लिजलिजा और गीला होता है. भूकंप के असर से ये दरारें चौड़ी होकर अंदर के पदार्थ में इतनी हलचल पैदा करती हैं कि वो तेज़ी से ऊपर की तरफ रूख़ कर लेता है.
धरती की परतें भी जब किसी भी असर से चौड़ी होती हैं तो वो खिसकती हैं जिसके कारण महाद्वीप बनते हैं. इसी तरह ये सूनामी लहरें बनती हैं.
लेकिन ये भी ज़रूरी नहीं कि हर भूकंप से सुनामी लहरें बने. इसके लिए भूकंप का केंद्र समुद्र के अंदर या उसके आसपास होना ज़रूरी है.
जब ये सुनामी लहरें किनारों से उठने लगती हैं तो क्या असर होता है?
जब ये सुनामी लहरें किसी भी महाद्वीप की उस परत के उथले पानी तक पहुँचती हैं जहाँ से वो दूसरे महाद्वीप से जुड़ा है और जो कि एक दरार के रूप में देखा जा सकता है, वहाँ सुनामी लहर की तेज़ी कम हो जाती है.
वो इसलिए क्योंकि उस जगह दूसरा महाद्वीप भी जुड़ रहा है और वहां धरती की जुड़ी हुई परत की वजह से दरार जैसी जो जगह होती है वो पानी को अपने अंदर रास्ता देती है.
लेकिन उसके बाद भीतर के पानी के साथ मिल कर जब सुनामी किनारे की तरफ़ बढ़ती है तो उसमें इतनी तेज़ी होती है कि वो 30 मीटर तक ऊपर उठ सकती है और उसके रास्ते में चाहे जंगल या इमारतें कुछ भी आएं, सबका सफ़ाया कर देती है.
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