सितंबर 2016 को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल बाद एक वीडियो सामने आया है.
आठ मिनट के इस वीडियो में भारतीय सेना के कमांडो चरमपंथियों के लॉन्च पैड्स को तबाह करते दिख रहे हैं.
ये खबर इंडियन एक्सप्रेस समेत कई अखबारों में है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जवानों के ऑपरेशन के दौरान उनके हेलमेट पर लगे कैमरों और आसमान में मंडरा रहे ड्रोन कैमरों की मदद से ये पूरी कार्रवाई रिकॉर्ड की गई.
टीवी चैनलों ने दावा किया कि उन्हें ये वीडियो आधिकारिक सूत्रों से मिला है.
सर्जिकल स्ट्राइक के इंचार्ज रहे लेफ़्टिनेंट जनरल डी एस हूडा (रिटायर्ड) ने कहा, "ये वीडियो असली हैं. मैं इस बात की पुष्टि करता हूं."
बताया जा रहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान यह वीडियो उधमपुर स्थित हेडक्वाटर के ऑपरेशन रूम में लाइव दिखाया जा रहा था.
लेफ़्टिनेंट जनरल डी एस हूडा ने कहा, "जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो मेरा कहना था कि इस वीडियो को सबूत के तौर पर पेश किया जाना चाहिए. अच्छा है कि ये वीडियो अब सामने आया है."
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तो ईरान से तेल नहीं ख़रीदेगा भारत?
अमरीका भारत समेत कई दूसरे देशों पर ईरान से तेल ना ख़रीदने का दबाव बना सकता है.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर में अमरीकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से ये बात लिखी गई है.
अधिकारी ने ये भी कहा कि अगर ये देश ईरान से तेल लेना बंद नहीं करेंगे तो इन्हें भी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
इस बीच अमरीका ने 6 जुलाई को वॉशिंगटन में होने वाली विदेश और रक्षा मंत्रियों की साझा बैठक (2+2 डायलॉग) स्थगित कर दी है.
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’28 प्रतिशत जीएसटी स्लैब खत्म हो’
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा है कि जीएसटी को और आसान बनाने के लिए 28 प्रतिशत के उच्चतम स्लैब को खत्म करना होगा.
साथ ही उन्होंने सेस की दर को भी एक समान रखने की सलाह दी है.
इंडियन एक्सप्रेस ने इस ख़बर को प्रमुखता दी है.
फिलहाल 0, 3 (सोने पर), 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत जीएसटी स्लैब हैं. सुब्रमण्यन ने बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में 18 प्रतिशत के एक जीएसटी दर रखने की मांग की थी.
व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर सुब्रमण्यन ने पिछले हफ्ते कहा था कि वो जल्द वित्त मंत्रालय से इस्तीफ़ा दे देंगे. हालांकि उन्होंने अभी जाने की तारीख़ तय नहीं की है.
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दक्षिण भारत में हिंदी बोलने वाले बढ़े
दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल में हिंदी, बंगाली, असमिया और ओडिया बोलने वालो की तादाद में बहुत बड़ा इजाफा हुआ है. जबकि उत्तर भारत में तमिल और मलयालम बोलने वाले लोग कम हो गए हैं.
ये खबर टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पहले पन्ने पर है.
अख़बार के मुताबिक 2011 की जनगणना में मातृभाषा के हवाले से ये आंकड़ा जारी किया गया है.
ये आंकड़े दशकों पुराने उस ट्रेंड के उलट है जब तमिलनाडु और केरल के लोग बड़ी संख्या में उत्तर भारत में जा कर बसा करते थे. अब इन दोनों राज्यों के लोग दक्षिण भारत के ही अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं. ज़्यादातर लोग अब कर्नाटक का रुख कर रहे हैं.
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