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Dussehra 2022 LIVE Updates: दशहरा आज, बन रहा शुभ संयोग, यहां देखें पूजा विधि, महत्व शुभ मुहूर्त

Dussehra 2022 LIVE Updates: दशहरा, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, जो नवरात्रि के आखिरी मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल दशहरा 5 अक्टूबर दिन बुधवार को है. इस दिन कई शहरों में रावण, मेघनाथ का प्रतीकात्मक पुतला दहन किया जाता है. वहीं इस साल दशहरा पर तीन विशेष योग बन रहे हैं.

लाइव अपडेट

विजय दशमी पर सिंदूर खेला की रस्म होती है खास

दशमी के सबसे प्रमुख अनुष्ठानों में से एक हैं सिंदूर खेला की परंपरा. यह विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में महिलाओं के द्वारा निभाई जाती है, जहां विवाहित हिंदू महिलाएं देवी को अलविदा कहते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा हिमस्खलन कुछ ऐसे अनुष्ठान हैं जिनका पालन विजयदशमी के दिन किया जाता है. दृिक पंचांग के अनुसार, इन अनुष्ठानों को अपराहन समय के दौरान किया जाना चाहिए. ये है पूजा का समय-

अपराह्न पूजा का समय - दोपहर 01:34 बजे से दोपहर 03:57 बजे तक अवधि - 02 घंटे 23 मिनट

दशमी तिथि शुरू - 02:20 अपराह्न 04 अक्टूबर, 2022

दशमी तिथि समाप्त - 05 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12:00 बजे

श्रवण नक्षत्र प्रारंभ - 04 अक्टूबर 2022 को रात 10:51 बजे

श्रवण नक्षत्र समाप्त - 05 अक्टूबर, 2022 को रात 09:15

दशहरा बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजय दशमी इस साल 5 अक्टूबर को मनाई जा रही है. नवरात्रि के नौ दिवसीय लंबे त्योहार के बाद मनाया जाने वाला, विजया दशमी उत्सव दुर्गा पूजा का 10 वां और अंतिम दिन है. किंवदंतियों के अनुसार इस दिन को राक्षस रावण पर भगवान राम की जीत के साथ-साथ भैंस राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को दशहरा के नाम से भी जाना जाता है वहीं नेपाल में इस दिन को दशईं के रूप में मनाया जाता है.

दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 की दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होकर 5 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त होगी. इस दौरान दशहरा पूजन के 2 शुभ मुहूर्त हैं. दशहरा पूजन का विजय मुहूर्त दोपहर 02:07 बजे से 02:54 बजे तक केवल 47 मिनट का रहेगा. वहीं बंगाल विजयादशमी की अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01:20 बजे से 03:41 बजे तक करीब 2 घंटे 21 मिनट का रहेगा.

दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी का दिखना होता है बेहद शुभ

मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी महादेव का प्रतिनिधित्व करता है. पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे. तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे. उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन ने व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है. उसे हर कार्य में सफलता मिलने लगती है.

दशहरा पर बन रहे तीन शुभ योग

दशहरा या विजयादशमी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं. दशहरा के दिन रवि, सुकर्मा और धृति योग बनने से इस दिन का महत्व दोगुना हो रहा है. इन योगों का ज्योतिष में विशेष महत्व है. इन योगों में किए गए उपाय सिद्ध हो जाते हैं.

दशहरा का महत्व

दशहरा को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन को रावण पर भगवान राम की जीत का दिन माना जाता है और बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाते हैं. रावण ने श्री राम की पत्नी देवी सीता को बंधक बना लिया था. ऐसा माना जाता है कि युद्ध के लिए रवाना होने से पहले, भगवान राम ने अपनी जीत के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था. रावण के खिलाफ युद्ध दस दिनों तक चला. दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और जिस दिन उन्होंने रावण का वध किया उसे दशहरा के रूप में चिह्नित किया गया.

विजयादशमी पर सिंदूर खेला की रस्म

दशमी के सबसे प्रमुख अनुष्ठानों में से एक हैं सिंदूर खेला की परंपरा. यह विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में महिलाओं के द्वारा निभाई जाती है, जहां विवाहित हिंदू महिलाएं देवी को अलविदा कहते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा हिमस्खलन कुछ ऐसे अनुष्ठान हैं जिनका पालन विजयदशमी के दिन किया जाता है. दृिक पंचांग के अनुसार, इन अनुष्ठानों को अपराहन समय के दौरान किया जाना चाहिए. ये है पूजा का समय-

अपराह्न पूजा का समय - दोपहर 01:34 बजे से दोपहर 03:57 बजे तक अवधि - 02 घंटे 23 मिनट

दशमी तिथि शुरू - 02:20 अपराह्न 04 अक्टूबर, 2022

दशमी तिथि समाप्त - 05 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12:00 बजे

श्रवण नक्षत्र प्रारंभ - 04 अक्टूबर 2022 को रात 10:51 बजे

श्रवण नक्षत्र समाप्त - 05 अक्टूबर, 2022 को रात 09:15

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजय दशमी

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजय दशमी इस साल 5 अक्टूबर को मनाई जा रही है. नवरात्रि के नौ दिवसीय लंबे त्योहार के बाद मनाया जाने वाला, विजया दशमी उत्सव दुर्गा पूजा का 10 वां और अंतिम दिन है. किंवदंतियों के अनुसार इस दिन को राक्षस रावण पर भगवान राम की जीत के साथ-साथ भैंस राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को दशहरा के नाम से भी जाना जाता है वहीं नेपाल में इस दिन को दशईं के रूप में मनाया जाता है.

जलाये जाते हैं रावण के पुतले

हालांकि दशहरा नवरात्रि या दुर्गा पूजा का हिस्सा नहीं है, यह उनके साथ जुड़ा हुआ है क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा की मूर्तियों को पवित्र जल में विसर्जित किया जाता है. दूसरी ओर, दशहरा उत्सव के एक भाग के रूप में रावण, मेघनाद और कुनभाकरण के पुतले जलाए जाते हैं.

दशहरा मान्यता और महत्व

दशहरा को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन को रावण पर भगवान राम की जीत का दिन माना जाता है और बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाते हैं. रावण ने श्री राम की पत्नी देवी सीता को बंधक बना लिया था. ऐसा माना जाता है कि युद्ध के लिए रवाना होने से पहले, भगवान राम ने अपनी जीत के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था. रावण के खिलाफ युद्ध दस दिनों तक चला. दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और जिस दिन उन्होंने रावण का वध किया उसे दशहरा के रूप में चिह्नित किया गया.

रावण को मना जाता है महाज्ञानी

रावण (Ravan) महान ज्ञानी थे. श्री राम के ब्रह्म बाण नाभि में लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया. यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े होकर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो, क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा. रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरुप को ध्यान में रखकर कानपुर में दशहरे के दिन रावण की पूजा करने का विधान है.

विजयादशमी अबूझ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशहरा तिथि एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है. मतलब इसमें बिना कोई मुहूर्त देखे, सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. कोई कारोबार, प्रापर्टी या वाहन खरीद सकते हैं. लेकिन फिर भी विशेष मुहूर्त यह हैं…

विजय मुहूर्त: बुधवार, 5 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से लेकर 2 बजकर 53 मिनट तक 

अमृत काल:  बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 32 से लेकर दोपहर 1 बजकर 3 मिनट तक 

दुर्मुहूर्त: बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट तक 

विजयादशमी पर तीन शुभ योग

इस साल पंचांग के अनुसार दशहरा या विजयादशमी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं. दशहरा के दिन रवि, सुकर्मा और धृति योग बनने से इस दिन का महत्व दोगुना हो रहा है. इन योगों का ज्योतिष में विशेष महत्व है. इन योगों में किए गए उपाय सिद्ध हो जाते हैं.

दशहरा पूजा शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 की दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होकर 5 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त होगी. इस दौरान दशहरा पूजन के 2 शुभ मुहूर्त हैं. दशहरा पूजन का विजय मुहूर्त दोपहर 02:07 बजे से 02:54 बजे तक केवल 47 मिनट का रहेगा. वहीं बंगाल विजयादशमी की अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01:20 बजे से 03:41 बजे तक करीब 2 घंटे 21 मिनट का रहेगा.

दशहरा आज

वैदिक पंचांग के मुताबिक, दशमी तिथि 04 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से शुरु हो रही है, जो कि 05 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त हो जाएगी. इसलिए उदयातिथि को आधार मानकर दशहरा 5 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा

दशहरा पर नीलकंठ देखना शुभ

मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी महादेव का प्रतिनिधित्व करता है. पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे. तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे. उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन ने व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है. उसे हर कार्य में सफलता मिलने लगती है.

दशहरा पूजा विधि

शास्त्रों में दशहरा की पूजा दोपहर के समय करने का विधान है. आपको बता दें कि इस दिन ईशान कोण में 8 कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल चक्र बनाएं. इसके बाद अष्टदल के बीच में अपराजिताय नमः मंत्र का जप करना चाहिए. वहीं इसके बाद मां भगवती के साथ श्री राम का चित्र या मूर्ति स्थापित करिए. अब माता को रोली, अक्षत, फूल आदि पूजा की सामग्री अर्पित करें और भोग लगाएं। इसके बाद आरती करें. साथ ही भोग सभी परिजनों में बांट दें.

दशहरा 2022: अबूझ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशहरा तिथि एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है. मतलब इसमें बिना कोई मुहूर्त देखे, सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. कोई कारोबार, प्रापर्टी या वाहन खरीद सकते हैं. लेकिन फिर भी विशेष मुहूर्त यह हैं…

विजय मुहूर्त: बुधवार, 5 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से लेकर 2 बजकर 53 मिनट तक 

अमृत काल:  बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 32 से लेकर दोपहर 1 बजकर 3 मिनट तक 

दुर्मुहूर्त: बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट तक 

दशहरा 2022: पूजन शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 की दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होकर 5 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त होगी. इस दौरान दशहरा पूजन के 2 शुभ मुहूर्त हैं. दशहरा पूजन का विजय मुहूर्त दोपहर 02:07 बजे से 02:54 बजे तक केवल 47 मिनट का रहेगा. वहीं बंगाल विजयादशमी की अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01:20 बजे से 03:41 बजे तक करीब 2 घंटे 21 मिनट का रहेगा.

जानिए दशहरा तिथि

वैदिक पंचांग के मुताबिक, दशमी तिथि 04 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से शुरु हो रही है, जो कि 05 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त हो जाएगी. इसलिए उदयातिथि को आधार मानकर दशहरा 5 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा

बन रहे हैं 3 विशेष योग

इस साल पंचांग के अनुसार दशहरा या विजयादशमी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं. दशहरा के दिन रवि, सुकर्मा और धृति योग बनने से इस दिन का महत्व दोगुना हो रहा है. इन योगों का ज्योतिष में विशेष महत्व है. इन योगों में किए गए उपाय सिद्ध हो जाते हैं.

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