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Jitiya Vrat 2022 Live: जितिया व्रत कर रहीं महिलाओं आज करेंगी पारण, जानें सही समय

Jitiya Vrat 2022 Live: महिलाएं जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 का पारण आज 19 सितंबर को किया जाएगा. महाभारत के युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया तो उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया, जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया. तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया. इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. तभी से माताएं इस व्रत को अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना से करने लगीं. जानें जितिया व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत के नियम और पारण का समय क्या है?

लाइव अपडेट

जितिया शुभ योग

जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक चलता है. ये व्रत मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेष, बंगाल, झारखंड में धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सिद्धि योग बन रहा है जो इस व्रत के महत्व में वृद्धि करेगा.

इन राज्यों में मुख्य रुप से रखा जाता है व्रत

जीवित्पुत्रिका व्रत बिहार, उत्तर प्रदेष, बंगाल और झारखंड राज्य में मुख्य रूप से रखा जाता है. इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रखकर संतान की सलामती की कामना करती हैं.

व्रत पारण- 19 सितंबर 2022

सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद

Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत रखने से संतान के जीवन में आती है सुख-समृद्धि

जीमूतवाहन की प्रतिमा जल में स्थापित करके पूजा शुरू की जाती है. पूजा में धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला अर्पित कर पूजा की जाती है. प्रतिमा पर सिंदूर का टीका लगाया जाता है. कहते हैं इससे मनचाहा वरदान मिलता है. बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत मंत्र

पूजा मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत कथा

आपको दें कि, इस व्रत का संबंध महाभारत काल से है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के समय अश्वत्थामा अपने पिता की मौत से काफी विचलित हो गया था। उसके अंदर इतनी ज्यादा नफरत पैदा हो गयी थी की उसने अपने पिता के मौत की बदला लेने के लिए रात को सो रहे द्रौपदी के पांच बेटों को पांडव समझकर उनकी हत्या कर दी. उसका मन इतने से भी जब नहीं भरा तो उसने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे उसकी संतान को भी मार डाला. अश्वत्थामा के बढ़ते आतंक को देखकर अर्जुन ने उसे बंदी बना लिया और श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ को फिर से जीवित कर दिया. बता दें कि, अभिमन्यु की पत्नी का नाम उत्तरा था और उसने जिस संतान को जन्म दिया उसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. आगे जाकर जीवित्पुत्रिका ही राजा परीक्षित के नाम से मशहूर हुए। इसके बाद से ही महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए जीवित्पुत्रिका का व्रत रखने लगीं.

Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत का महत्व

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से माना जाता है. महाभारत युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया तो उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया जो कि अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया. तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया. इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. तभी से माताएं इस व्रत को पुत्र के लंबी उम्र की कामना से करने लगी. मान्यता है कि इस व्रत से संतान की प्राप्ति होती है और उनके सुख समृद्धि में वृद्धि होती है.

Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत पूजा विधि

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें.

Jitiya Vrat 2022: जितिया शुभ योग

जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक चलता है. ये व्रत मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेष, बंगाल, झारखंड में धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सिद्धि योग बन रहा है जो इस व्रत के महत्व में वृद्धि करेगा.

18 सितंबर 2022, सुबह 06.34

Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत पूजा सामग्री

इस व्रत में भगवान जीमूत वाहन, गाय के गोबर से चील-सियारिन की पूजा का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है.

Jitiya Vrat 2022: बच्चों के जीवन में आती है खुशहाली

जीमूतवाहन की प्रतिमा जल में स्थापित करके पूजा शुरू की जाती है. पूजा में धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला अर्पित कर पूजा की जाती है. प्रतिमा पर सिंदूर का टीका लगाया जाता है. कहते हैं इससे मनचाहा वरदान मिलता है. बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

जितिया व्रत बीच में छोड़ा माना जाता है अपशगुन

मान्यता के अनुसार जितिया व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. एक बार उपवास रखने पर हर वर्ष व्रत रखना अनिवार्य होता है. खाने में लहसुन, प्याज, मांसाहार का प्रयोग वर्जित होता है. जीवित्पुत्रिका व्रत में निर्जला उपवास होता है, इसलिए जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें. इस दौरान मन को शांत रखना चाहिए और किसी से भी लड़ाई-झगड़ा नहीं करनी चाहिए. व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए.

जितिया व्रत पूजा मंत्र

पूजा मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

जितिया व्रत पूजा सामग्री

इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन, गाय के गोबर से चील सियारिन की पूजा का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत (चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूतवाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है.

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 योग

जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक चलता है. ये व्रत मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेष, बंगाल, झारखंड में धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सिद्धि योग बन रहा है जो इस व्रत के महत्व में वृद्धि करेगा.

18 सितंबर 2022, सुबह 06.34

जितिया व्रत पूजा विधि

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें.

जितिया व्रत 2022 शुभ मुहूर्त

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 2.14 मिनट से शुरू होगी. अष्टमी तिथि का समापन 18 सितंबर 2022 को शाम 04.32 मिनट तक रहती है. उदयातिथि के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा.

व्रत पारण समय - सुबह 6.10 के बाद (19 सितंबर 2022)

जितिया व्रत 2022: मां के व्रत रखने से बच्चों के जीवन में आती है सुख-समृद्धि

जीमूतवाहन की प्रतिमा जल में स्थापित करके पूजा शुरू की जाती है. पूजा में धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला अर्पित कर पूजा की जाती है. प्रतिमा पर सिंदूर का टीका लगाया जाता है. कहते हैं इससे मनचाहा वरदान मिलता है. बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

जितिया व्रत 2022: बीच में नहीं छोड़ना चाहिए व्रत

मान्यता के अनुसार जितिया व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. एक बार उपवास रखने पर हर वर्ष व्रत रखना अनिवार्य होता है. खाने में लहसुन, प्याज, मांसाहार का प्रयोग वर्जित होता है. जीवित्पुत्रिका व्रत में निर्जला उपवास होता है, इसलिए जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें. इस दौरान मन को शांत रखना चाहिए और किसी से भी लड़ाई-झगड़ा नहीं करनी चाहिए. व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए.

जितिया व्रत पूजा सामग्री

इस व्रत में भगवान जीमूत वाहन, गाय के गोबर से चील-सियारिन की पूजा का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है.

जितिया व्रत पूजा विधि

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें.

जितिया व्रत तिथि, मुहूर्त

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 2.14 मिनट से शुरू होगी. अष्टमी तिथि का समापन 18 सितंबर 2022 को शाम 04.32 मिनट तक रहती है. उदयातिथि के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा.

व्रत पारण समय - सुबह 6.10 के बाद (19 सितंबर 2022)

जितिया व्रत पूजा मंत्र

पूजा मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

जितिया व्रत नहाय खाय आज

जितिया व्रत रखने जा रही महिलाएं आज नियम के अनुसार निर्जला व्रत शुरू करने से एक दिन पहले नहाय खास के नियम का पालन करेंगे. इसमें सबुह उठने के बाद स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन कर व्रत का संकल्प लिया जाता है. सात्विक भोजन किया जाता है. कहीं-कहीं नहाय खाय के दिन मछली और मडुआ रोटी खाने का भी रिवाज है.

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 महत्व

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से माना जाता है. महाभारत युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया तो उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया जो कि अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया. तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया. इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. तभी से माताएं इस व्रत को पुत्र के लंबी उम्र की कामना से करने लगी. मान्यता है कि इस व्रत से संतान की प्राप्ति होती है और उनके सुख समृद्धि में वृद्धि होती है.

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा

आपको दें कि, इस व्रत का संबंध महाभारत काल से है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के समय अश्वत्थामा अपने पिता की मौत से काफी विचलित हो गया था। उसके अंदर इतनी ज्यादा नफरत पैदा हो गयी थी की उसने अपने पिता के मौत की बदला लेने के लिए रात को सो रहे द्रौपदी के पांच बेटों को पांडव समझकर उनकी हत्या कर दी. उसका मन इतने से भी जब नहीं भरा तो उसने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे उसकी संतान को भी मार डाला. अश्वत्थामा के बढ़ते आतंक को देखकर अर्जुन ने उसे बंदी बना लिया और श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ को फिर से जीवित कर दिया. बता दें कि, अभिमन्यु की पत्नी का नाम उत्तरा था और उसने जिस संतान को जन्म दिया उसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. आगे जाकर जीवित्पुत्रिका ही राजा परीक्षित के नाम से मशहूर हुए। इसके बाद से ही महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए जीवित्पुत्रिका का व्रत रखने लगीं.

जानिए शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है. यह व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा वहीं इसका पारण 19 सितंबर को होगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और 18 सितंबर दोपहर 4 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. उदया तिथि के अनुसार, जितिया का व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा और इसका पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा. 19 सितंबर की सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत का पारण किया जाएगा.

जितिया व्रत का मंत्र (Jitiya Vrat Ka Mantra

पूजा मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

जितिया व्रत पूजा विधि

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें.

जीवित्पुत्रिका व्रत की ऐसे हुई शुरुआत

महाभारत के युद्ध के समय अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा बेहद नाराज हुए. इसी गुस्से में वह पांडवों के शिविर में घुस गए. शिविर के अंदर उस वक्त 5 लोग सो रहे थे. अश्वत्थामा को लगा कि, वो लोग पांडव हैं और अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने उन पांचों को मार डाला.

हालांकि असल में वह द्रौपदी की पांच संताने थी. इस बात की खबर जब अर्जुन को मिली तो उन्होंने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्यमणि छीन ली. अब अश्वत्थामा के गुस्से की आग और बढ़ चली और उन्होंने बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को उसके गर्भ में ही नष्ट कर दिया.

लेकिन भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की उस अजन्मी संतान को देकर उसे फिर से जीवित कर दिया. मर कर पुनः जीवित होने की वजह से उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. उसी समय से बच्चों की लंबी उम्र के लिए और मंगल कामना करते हुए जितिया का व्रत रखे जाने की परंपरा की शुरुआत हुई.

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 मुहूर्त

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 2.14 मिनट से शुरू होगी. अष्टमी तिथि का समापन 18 सितंबर 2022 को शाम 04.32 मिनट तक रहती है. उदयातिथि के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा.

व्रत पारण समय - सुबह 6.10 के बाद (19 सितंबर 2022)

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