लाइव अपडेट
पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
महाशिवरात्रि के मौके पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को भोजन करवाएं. ऐसा करने से भक्तों के घर अन्न की कमी नहीं होती. साथ ही इससे पूर्वज प्रसन्न होंगे और उनकी आत्मा को शांति मिलेगी.
जानिए क्यों करते हैं शिवलिंग की पूजा
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है - कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने ही धरती पर सबसे पहले जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया था, इसीलिए भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है.
घर के सामने लगाएं भोलेनाथ की तस्वीर
शास्त्रों के अनुसार घर के उत्तर दिशा में यानी सामने ही भोलेनाथ की तस्वीर होनी चाहिए, जहां घर में आने जाने वाले सभी लोग भगवान शिव के दर्शन कर सकें.
इस मंत्र के बिना अधूरी है शिव-आराधना
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के ढेरों फायदे तो हैं ही, इसके अलावा इस मंत्र का जाप किए बिना शिव जी की पूजा को भी अधूरा माना जाता है. लिहाजा महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करें.
महामृत्युंजय मंत्र -
ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्.
ऊर्वारुकमिव बंधनात, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्..
इस तरह पूजा करने से मिलता है फल
महाशिवरात्रि पर पूजा पाठ करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल का मिश्रित घोल) चढ़ाना काफी शुभ होता है. कुछ लोग इस दिन शिवलिंग की चार पहर में पूजा करते हैं. पहले पहर में जल, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे पहर में शहद से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं.
144 साल बाद बना पंचभूत योग
फाल्गुन मास की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि मानी जाती है. आज 144 साल बाद विशेष योग बना है. पंच महाभूत योग एक ही राशि में मंगल, शनि, चंद्रमा, बुध और शुक्र एक ही राशि में आये हैं. इस वजह से ये विशेष योग आज बना. इसे सर्वार्थ सिद्धि योग, अभिजीत योग, अमृत सिद्धि योग बना है. आज शिव का अभिषेक जल से अलग-अलग सामग्रियों से करने से विशेष फल मिलता है. कामनाओ की सिद्धि के लिए और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए आज का दिन ख़ास है. शिव पार्वती की पूजा से भोलेनाथ को प्रसन्न कर सभी फलों को प्राप्त कर सकते है और आज बन रहे विशेष योग के बीच सभी फलों को प्राप्त कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि पर करें इस मंत्र का जाप
ॐ नमः शिवाय
इस मंत्र का जाप मन से भय को दूर करने के लिए किया जाता है. ये अपने आप में एक शुद्ध कंपन पैदा करता है. ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस मंत्र का दिन में 108 बार जाप करते हैं तो आप अपनी आत्मा को सभी पापों से मुक्त कर सकते हैं. ये मंत्र आपको शांत रहने में भी मदद करता है.
महाशिवरात्रि पर भूलकर न खाएं
महाशिवरात्रि के दिन व्रत में मांस, मदिरा का पूरी तरह से परहेज करें. इस दिन भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं करें. इस दिन साधारण नमक न खाएं, अगर नमक खाना है तो सेंधा नमक का ही सेवन करें.
इस मंत्र के जाप से काम, क्रोध लोभ आदि पर नियंत्रण प्राप्त होता है
इस मंत्र के जाप से काम, क्रोध लोभ आदि पर नियंत्रण प्राप्त होता है. साथ ही शत्रुओं पर विजय भी प्राप्त होती है.
भगवान शिव के अन्य प्रभावशाली मंत्र
ॐ साधो जातये नम:।। ॐ वाम देवाय नम:।।
ॐ अघोराय नम:।। ॐ तत्पुरूषाय नम:।।
ॐ ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
इस कारण मनाई जाती है महाशिवरात्रि
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव और शक्ति का महामिलन महाशिवरात्रि को हुआ था. भगवान शिव और शक्ति एक दूसरे से विवाह बंधन में बंधे थे. वैरागी शिव वैराग्य छोड़कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किए थे. इस वजह से कई स्थानों पर महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव बारात निकाली जाती है. इस दिन शिवभक्त शिव पार्वती का विवाह भी संपन्न कराते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव और माता पार्वती का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, दांपत्य जीवन खुशहाल होता है.
Mahashivratri 2022: शिव ध्यान मंत्र
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं।
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।।
पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं।
विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि व्रत विधि
शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा के साथ इस भगवान शंकर के आगे व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए. साथ ही संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिये भगवान शिव का आशीर्वाद लेना चाहिए. इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी तभी संकल्प लें.
Mahashivratri 2022: पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3:16 से 2 मार्च को सुबह 10:00 बजे तक रहेगी. वहीं पूजा-अर्चना के लिए पहला मुहूर्त सुबह 11:47 से 12:34 तक और शाम 6:21 से रात्रि 9:27 तक है. इन मुहूर्त के अनपरूप आप कभी भी भगवान शिव की उपासना कर सकते हैं.
Mahashivratri 2022: कब करें रुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक के लिए भगवान भोलेनाथ की उपस्थिति देखना अत्यंत आवश्यक है। शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए। रुद्राभिषेक के लिए शिवरात्री, प्रदोष और सावन का सोमवार सबसे सही समय माना जाता है।
Mahashivratri 2022: पूजन और व्रत विधि
सुबह स्नान करके महादेव और मां पार्वती के सामने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें. महादेव पर पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, बेर, चंदन, अक्षत, दक्षिणा आदि चढ़ाएं. धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करें. शिवस्तुति व शिवस्त्रोत का पाठ करें. सुबह और शाम को महादेव और माता पार्वती की आरती करें. संभव हो तो शिवरात्रि की रात में जागकर महादेव का पूजन करें.
पंचामृत से करें शिव का अभिषेक
शिवरात्रि पर शिव भक्त भगवान शिव को मनाने के लिए सबसे पहले दूध से अभिषेक करें और उसके बाद जलाभिषेक करें. महादेव को दूध, दही, शहद, इत्र, देशी घी का पंचामृत बनाकर स्नान कराएं। फूल, माला और बेलपत्र के साथ मिष्ठान से भोग लगाएं.
रुद्राभिषेक के प्रकार
घी की धारा से अभिषेक से वंश का विस्तार होता है
उत्तम सेहत के लिए भांग से रुद्राभिषेक
ग्रह दोष दूर करने के लिए गंगाजल से रुद्राभिषेक
धन संपत्ति की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक
घर में सुख एवं शांति के लिए दूध से रुद्राभिषेक
शिक्षा में सफलता के लिए शहद से रुद्राभिषेक
कलह कलेश दूर करने के लिए दही से रुद्राभिषेक
दुश्मनों को परास्त करने के लिए भस्म से रुद्राभिषेक
जल से इस तरह करें रुद्राभिषेक
एक तांबे का पात्र लें. उसमें शुद्ध जल भरें और पात्र को कुमकुम का तिलक लगाएं. फिर ॐ इन्द्राय नम: का जाप करें और पात्र को मौली बांधें. इसके बाद ॐ नम: शिवाय का जाप करें और शिवलिंग को फूलों की पंखुड़ियां चढ़ाएं. इसके बाद जल की पतली सी धार बनाते हुए शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें. ऐसा करते हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए.
महाशिवरात्रि पर जपें ये नाम
शिव, महेश्वर, शम्भू, पिनाकी, विष्णुवल्लभ, नीललोहित, शंकर, शिपिविष्ट, शशिशेखर, वामदेव, विरूपाक्ष, कपर्दी, शूलपाणी, खटवांगी, शर्व, त्रिलोकेशअंबिकानाथ, श्रीकण्ठ, भक्तवत्सल, भव...
पूजा सामग्री (Mahashivratri Puja Samagri List)
चंदन, कमल गट्टे, तिल, साठी के चावल, धूप, जौ, बेल पत्र, भांग, धतूरा, मंदार पुष्प, समी पत्र आदि सामग्री
नंदी पूजा विधि (How To Pray To Nandi)
शिवालय जाकर नंदी के समक्ष तिल के तेल का दीपक जलाएं
चंदन से तिल करें
सफेद तिल चढ़ाएं
दूध, दही चढ़ाएं और खीर का भोग लगाएं
सफेद फूल अर्पित करें
इन सबके अलावा जौ, धतूरा, भांग, जौ, बेल पत्र भी चढ़ा सकते हैं
क्या है मान्यताएं (Nandi Puja Importance)
नंदी को भक्ति व शक्ति के प्रतीक माना गया है.
भगवान भोले को प्रसन्न करने से पहले भक्त की भक्ति की परीक्षा नंदी लेते है
मान्यताओं के अनुसार नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहनी चाहिए
हर शिव मंदिर में नंदी के दर्शन के बाद ही भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए और पूजा भी
इसलिए कहा जाता है महादेव को नीलकंठ
भगवान शिव मां पार्वती को बराबर का दर्जा देते हैं और उनका प्यार मां पार्वती के लिए अद्भुत है. भगवान शिव मां पार्वती को अपने बगल में बिठाते हैं, अपने चरणों में नहीं. भगवान शिव अपने स्त्रीत्व को छूने से भी नहीं डरते हैं. अर्धनारीश्वर के रूप में आधा हिस्सा महिला (पार्वती) का और आधा हिस्सा उनका रहता है. भगवान शिव और मां पार्वती का रिश्ता बराबरी और सच्ची साझेदारी का रिश्ता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब समुद्र मंथन के समय भगवान शिव जहर पीते हैं तो मां पार्वती उनके गले में जाकर विष रोक लेती हैं. भगवान शिव को इसके बाद ही नीलकंठ की उपाधि मिलती है.
शिवरात्रि पर इस मंत्री का प्रयोग करने से मिलेगा लाभ
शादी विवाह हेतु : अगर विवाह नहीं हुआ है या होने में अड़चनें आ रही हैं या फिर शादी के बाद घर गृहस्थी तनावपूर्ण वातावरण में है तो ऐसे लोग भगवान शिव को कुमकुम हल्दी अबीर गुलाल चढ़ाएं और " ॐ गौरी शंकराए नमः " का जाप 108 बार रुद्राक्ष की माला पर करें उन्हें लाभ होगा.
शिक्षा प्राप्ति के लिए इस मंत्र का करें प्रयोग
शिक्षा प्राप्ति के लिए : शिक्षा प्राप्ति हेतु पढाई लिखे प्रतियोगिता में सफलता के लिय छात्रों को या उनके अभिभावक को भगवान शिव का मन्त्र "ॐ रुद्राय नमः " का 108 बार रुद्राक्ष के माला पर जाप करना चाहिए. 108 बेलपत्र भगवान शिव पर जरूर चढ़ाएं और प्रत्येक बेलपत्र पर चन्दन से "राम " लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं.
व्यापार में सफलता हेतु इस मंत्र का करें प्रयोग
व्यापार में लगातार संघर्ष, असफलता और हानि हो रही है तो ऐसी स्थिति में भगवान शिव का अभिषेक दूध में केसर डालकर करें. बेलपत्र चढ़ाए और " ॐ सर्वेशेवराय नमः " का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें लाभ होगा.
बैल रूप में यमराज को क्यों बनाया सवारी (Nandi Bull Significance)
दरअसल, बैल अत्यंत भोला होता है. उसके मन में कोई भी प्रकार का छल-कपट नहीं होता है. यही कारण है कि भोले बाबा ने नंदी की सवारी चुनी. उन्होंने नंदी को अपना प्रधान सेनापति भी बनाया. शास्त्रों के अनुसार शिव जी की सेना का नेतृत्व नंदी ही करते है.
Mahashivratri Jalabhishekh Shubh Muhurat : जलाभिषेक का मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर्व पर पूरे दिन शिवालयों में जलाभिषेक का मुहूर्त है. मंगलवार को महाशिवरात्रि के पर्व पर पूरे दिन जलाभिषेक किया जा सकता है.
Mahashivratri Puja Vidhi: इस विधि से करें शिव पूजा
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.
दीप और कर्पूर जलाएं.
पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.
शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.
सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.
Mahashivratri Puja Shubh Muhurat: महाशिवरात्रि 4 प्रहर पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी.
पहला प्रहर का मुहूर्त-:1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक है.
दूसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है.
तीसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक है.
चौथे प्रहर का मुहूर्त-: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक है.
पारण समय-: 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद
Mahashivratri Aarti: शिव जी की आरती
॥ शिवजी की आरती ॥
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
Mahashivratri 2022: पंचग्रही योग का दुर्लभ संयोग
महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष के अनुसार महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिध योग रहेगा. फिर धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा. इसके अलावा परिध योग और शिव योग रहेगा. कहते हैं कि ये योग शत्रु पर विजय दिलाने में बहुत अहम होते हैं. साथ ही, ऐसी मान्यता है कि इन नक्षत्रों में की गई पूजा का कई गुना ज्यादा फल मिलता है.
महामृत्युजंय मंत्र
वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों का जाप किया जाता है, लेकिन सभी में महामृत्युजंय मंत्र का विशेष महत्व है. ये मंत्र इस प्रकार है…
ऊं हौं जूं सः ऊं भूर्भुवः स्वः ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊं स्वः भुवः भूः ऊं सः जूं हौं ऊं
Mahashivratri Vrat Katha: महाशिवरात्रि व्रत कर रहे भक्त ये कथा जरूर पढ़ें
किसी समय वाराणसी के जंगल में एक भील रहता था. उसका नाम गुरुद्रुह था. वह जंगली जानवरों का शिकार कर अपना परिवार पालता था. एक बार शिवरात्रि पर वह शिकार करने वन में गया. उस दिन उसे दिनभर कोई शिकार नहीं मिला और रात भी हो गई. तभी उसे वन में एक झील दिखाई दी. उसने सोचा मैं यहीं पेड़ पर चढ़कर शिकार की राह देखता हूं. कोई न कोई प्राणी यहां पानी पीने आएगा. यह सोचकर वह पानी का बर्तन भरकर बिल्ववृक्ष पर चढ़ गया. उस वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित था. आगे पढ़ें...
थोड़ी देर बाद वहां एक हिरनी आई. गुरुद्रुह ने जैसे ही हिरनी को मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो बिल्ववृक्ष के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे. इस प्रकार रात के प्रथम प्रहर में अंजाने में ही उसके द्वारा शिवलिंग की पूजा हो गई. तभी हिरनी ने उसे देख लिया और उससे पूछा कि तुम क्या चाहते हो. वह बोला कि तुम्हें मारकर मैं अपने परिवार का पालन करूंगा. यह सुनकर हिरनी बोली कि मेरे बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे. मैं उन्हें अपनी बहन को सौंपकर लौट आऊंगी. हिरनी के ऐसा कहने पर शिकारी ने उसे छोड़ दिया. आगे पढ़ें...
थोड़ी देर बाद उस हिरनी की बहन उसे खोजते हुए झील के पास आ गई. शिकारी ने उसे देखकर पुन: अपने धनुष पर तीर चढ़ाया. इस बार भी रात के दूसरे प्रहर में बिल्ववृक्ष के पत्ते व जल शिवलिंग पर गिरे और शिवलिंग की पूजा हो गई. उस हिरनी ने भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर रखकर आने को कहा. शिकारी ने उसे भी जाने दिया. थोड़ी देर बाद वहां एक हिरन अपनी हिरनी को खोज में आया. इस बार भी वही सब हुआ और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग की पूजा हो गई. वह हिरन भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर आने की बात कहकर चला गया. जब वह तीनों हिरनी व हिरन मिले तो प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण तीनों शिकारी के पास आ गए. सबको एक साथ देखकर शिकारी बड़ा खुश हुआ और उसने फिर से अपने धनुष पर बाण चढ़ाया, जिससे चौथे प्रहर में पुन: शिवलिंग की पूजा हो गई. आगे पढ़ें...
इस प्रकार गुरुद्रुह दिनभर भूखा-प्यासा रहकर रात भर जागता रहा और चारों प्रहर अंजाने में ही उससे शिव की पूजा हो गई, जिससे शिवरात्रि का व्रत संपन्न हो गया. इस व्रत के प्रभाव से उसके पाप तत्काल ही भस्म हो गए. पुण्य उदय होते ही उसने हिरनों को मारने का विचार त्याग दिया. तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उन्होंने गुरुद्रुह को वरदान दिया कि त्रेतायुग में भगवान राम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे. तुम्हें मोक्ष भी प्राप्त होगा. इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया.
महाशिवरात्रि व्रत कथा समाप्त
भगवान शिव से प्रार्थना इस प्रकार करें-
नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया.
विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्..
व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च.
संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु ममोपरि..
अगले दिन सुबह पुन: स्नान कर भगवान शंकर की पूजा करने के बाद व्रत का समापन करें.
Mahashivratri Ratri Puja Vidhi: इस प्रकार करें रात्रि पूजा
व्रती दिनभर शिव मंत्र (ऊं नम: शिवाय) का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें. (रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं.)
शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है. शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प इस प्रकार लें-
ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये
व्रती को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर पूजा करनी चाहिए साथ ही भोग भी लगाना चाहिए.
दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें.
चारों प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर (नम: शिवाय) मंत्र का जाप करें. भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती व परिक्रमा करें.
Mahashivratri Vrat Sankalp: श्रृद्धापूर्वक व्रत का संकल्प इस प्रकार लें-
शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येहं महाफलम्.
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते..
यह कहकर हाथ में फूल, चावल व जल लेकर उसे शिवलिंग पर अर्पित करते हुए यह श्लोक बोलें-
देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते.
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव..
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति.
कामाद्या: शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि..
Mahashivratri Vrat Vidhi
महाशिवरात्रि की सुबह व्रती (व्रत करने वाला) जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद माथे पर भस्म का त्रिपुंड तिलक लगाएं और गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें.
इसके बाद समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करें.
महाशिवरात्रि पूजा के शुभ मुहूर्त
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय: शाम 06:27 से रात 09:29 तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: रात 09:29 से 12:31 तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय: रात 12:31 से 03:32 तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय: रात 03:32 से सुबह 06:34 तक
Mahashivratri Puja Vidhi: ऐसे करें शिव जी की पूजा
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.
दीप और कर्पूर जलाएं.
पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.
शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.
सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.
Mahashivratri Upay: शिव महापुराण अनुसार करें ये उपाय
1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है.
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है.
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है.
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है.
5. बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है.
6. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं.
7. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है.
8. शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है.
9. शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है.
10. यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है.
11. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
12. भगवान शिव की पूजा चमेली के फूल से करने पर वाहन सुख मिलता है.
13. अलसी के फूलों से शिव की पूजा करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है.
14. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है.
15. बेला के फूल से पूजा करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है.
16. जूही के फूल से भगवान शिव की पूजा करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती.
17. कनेर के फूलों से भगवान शिव की पूजा करने से नए वस्त्र मिलते हैं.
18. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है.
19. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है.
20. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजा में शुभ माना गया है.
Mahashivratri पूजा सामग्री
महाशिवरात्रि आज मनाई जा रही है. बेल के पत्ते महाशिवरात्रि पूजा सामग्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो पूजा के दिन ही नहीं तोड़े जाने चाहिए.
पूजा के लिए निम्नलिखित चीजें आवश्यक हैं:
1 शिव लिंग या भगवान शिव की एक तस्वीर
2 बैठने के लिए ऊन से बनी चटाई
3 कम से कम एक दीपक
4 कपास की बत्ती
5 पवित्र बेल
6 कलश या तांबे का बर्तन
7 थाली
8 शिव लिंग रखने के लिए सफेद कपड़ा
9 माचिस
10 अगरबत्तियां
11 चंदन का पेस्ट
12 घी
13 कपूर
14 रोली
15 बेल के पत्ते (बेलपत्र)
16 विभूति- पवित्र आशु
17 अर्का फूल
निम्नलिखित वैकल्पिक आइटम हैं
18 छोटी कटोरी
19 गुलाब जल
20 जैफली
21 गुलाल
22 भंग
MahaShivratri 2022: शिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
1. ॐ शिवाय नम:
2. ॐ सर्वात्मने नम:
3. ॐ त्रिनेत्राम नम:
4. ॐ हराय नम:
5.ॐ इंद्रमुखाय नम:
6. ॐ श्रीकंठाय नम:
7. ॐ वामदेवाय नम:
8.ॐ त्तपुरुषाय नम:
9.ॐ ईशानाय नम:
10. ॐ अनंतधर्माय नम;
11. ॐ ज्ञानभूताय नम:
12. ॐ अनंतवैराग्यसिंघाया नम:
13. ॐ प्रधानाय नम:
14. ॐ व्योमात्मने नम:
15. ॐ महाकालाय नम:
16. शिव गायत्री मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विग्घगे, महादेव धीमहि, तन्नो रुद्र प्रचोदयाते।।
17. ॐ ह्रीं नम: शिवाय ह्रीं ॐ।
18. ॐ नम: शिवाय
19. ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं।
20. ॐ आशुतोषाय नम:
21. संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र-
ॐ ह्रौं जूं स:। ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ त्र्यम्बंक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुर्क्षीय माअ्मृतात्। स्व: भुन: भू: ॐ। स: जूं: ह्रौं ॐ।।
Maha Shivratri Shubh Muhurat, Paran Time: महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त, पारण समय
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी.
पहला प्रहर का मुहूर्त-:1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक है.
दूसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है.
तीसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक है.
चौथे प्रहर का मुहूर्त-: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक है.
पारण समय-: 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद है.
भगवान शिव को क्याें चढ़ाते हैं बेलपत्र ?
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती (Maa Parvati) ने भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. साथ ही उन्होंने कई व्रत रखे थे. एक बार भगवान शिव बेलपत्र वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या कर रहे थे. माता पार्वती (Mata Parvati) जब शिव जी की पूजा (Shiv Ji Puja) के लिए सामग्री लाना भूल गईं तो उन्होंने भगवान शिव को बेलपत्र से ढक दिया. इससे भोलेनाथ बहुत अधिक प्रसन्न हुए, और तब से ही भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है.
Mahashivratri पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.
दीप और कर्पूर जलाएं.
पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.
शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.
सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.
Shiv Chalisa
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि आज जरूर करें ये काम
एक मार्च 2022 दिन मंगलवार को विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, रुद्राभिषेक, शिवरात्रि कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व "उँ नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं. व्रत के दूसरे दिन यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं.
चार प्रहर पूजन अभिषेक विधान
प्रथम प्रहर- सायं 6:00 से रात्रि 9:00 बजे तक
द्वितीय प्रहर- रात्रि 9:00 से रात्रि 12:00 बजे तक
तृतीय प्रहर- रात्रि 12:00 से रात्रि 3:00 बजे तक
चतुर्थ प्रहर- रात्रि 3:00 से प्रातः 6:00 बजे तक
Mahashivratri 2022: व्रत संकल्प
व्रत का संकल्प सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि- नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए. महाशिवरात्री के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड दी जाती है.
पंचग्रही योग में पूजा से पूरी होगी मनोकामना
महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही योग बन रहा है. इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे. लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी. राहु वृषभ राशि, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा. यह ग्रहों की दुर्लभ स्थिति है और विशेष लाभकारी हैं.
Mahashivratri पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्त्र आदि अर्पित करें. शिव जी के सामने दीप जलाएं और खीर का भोग लगाएं.
Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
फाल्गुल मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली महाशिवारात्रि का पूजा मुहूर्त
1 मार्च सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक अभिजीत मुहूर्त
दोपहर 02:07 से 02:53 तक विजय मुहूर्त
शाम 05:48 से 06:12 तक गोधूलि मुहूर्त होगा
पूजा या शुभ कार्य करने के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को श्रेष्ठ माना गया है.
शिव मंत्र
1. शिव मोला मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
2. महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥