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पहली सोमवारी को सूना रहा बाबा का दरबार
सावन महीने में सोमवार को खास महत्व है. देवघर में हर साल लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती थी. लेकिन इस बार कोरोना के कारण बाबा बैद्यनाथ मंदिर बंद रहने के कारण भक्त निराश हैं. सोमवारी पर उन्हें पूजा करने की इजाजत नहीं है. बाबा बैद्यनाथ मंदिरि में सिर्फ सरकारी पूजा हो रही है. सरकारी पूजा सुबह और शाम होती है. भक्त बाबा बैद्यनाथ की ऑनलाइन पूजन-दर्शन कर सकते हैं.
आज का अशुभ मुहुर्त
राहुकाल- सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक.
यमगंड- सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक.
दोपहर- 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक गुलिक काल.
दुर्मुहूर्त काल- दोपहर 12 बजकर 55 मिनट से 01बजकर 49 मिनट तक। इसके बाद 03 बजकर 38 मिनट से 04 बजकर 32 मिनट तक.
पंचक- पूरा दिन
भद्रा- दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से 27 जुलाई सुबह 02 बजकर 54 मिनट तक.
सावन के पहले सोमवार पर विशेष उपाय
आज सावन के पहले सोमवार है. आप प्रयास करें कि शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाए, इस समय शिवलिंग पर बेलपत्र और जल की धारा अर्पित करें. इसके बाद शिव जी के मंदिर में एक घी का दीपक जलाएं. इसके बाद शिवलिंग की परिक्रमा करें. शिव जी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें.
आज भूलकर भी न करें ये काम
भूलकर भी शिव की पूजा में शंख ना बजाएं.
शिवलिंग की जलाधारी को ना लांघे.
शिवलिंग की पूरी परिक्रमा ना करें.
पूजा के दौरान काले रंग के कपड़े ना पहनें.
भगवान शिव को भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीज
भगवान शिव को तुलसीदल का पत्ता ना चढ़ाएं.
शिवजी को नारियल ना चढ़ाएं.
शिवजी को हल्दी ना चढ़ाएं.
कुककुम और रोली ना लगाएं.
उन्हें खंडित अक्षत ना चढ़ाएं.
शिवपूजा में सिंदूर ना चढ़ाएं.
शिवपूजा में तिल का प्रयोग ना करें.
आज इस तरह करें पूजा
सोमवार को सबसे पहले स्नान करें, फिर शिव-पार्वती का जलाभिषेक करें.
इसके बाद उनपर चंदन लगाकर उन्हें खुश करें.
फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं.
इसके बाद मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेलपत्र चढ़ाएं.
मां पार्वती को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं.
इसके बाद दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाकर उनकी आरती करें.
कुछ देर 21, 101, 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें.
पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती अवश्य करें.
दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की पूजा करें.
संध्यापूजा करना भी बेहद जरूरी होता है.
इन फूलों से प्रसन्न होंगे भोलेनाथ
धतूरे के फूल
कनेर के फूल
कुश के फूल
गेंदे के फूल
गुलाब के फूल
हरसिंगार के फूल
नागकेसर के सफेद पुष्प
सूखे कमल गट्टे
शंख पुष्पी का फूल
बेला के फूल
चमेली का फूल
शेफालिका का फूल
शिव चालीसा
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
सावन सोमवार लिस्ट
पहला सोमवार 26 जुलाई 2021
दूसरा सोमवार 02 अगस्त 2021
तीसरा सोमवार 09 अगस्त 2021
चौथा सोमवार 16 अगस्त 2021
सावन सोमवार व्रत पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
सावन मास व्रत नियम
सावन मास धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माह है. धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. अन्यथा भगवान शिव नाराज हो सकते हैं.
किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें. इस माह में घर परिवार में स्नेह पूर्ण वातावरण का निर्माण करें.
सावन महीने में लहसुन, प्याज जैसी तामसिक प्रवृति वाले भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
सावन मास में मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में बासी भोजन और जले हुए खाने का उपयोग वर्जित माना गया है.
शास्त्रों के अनुसार, सावन सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव नाराज होंगे.
सावन माह में भगवान शिव की पूजा विधि
सावन मास में सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. अब धूप दीप से आरती करें.
ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र
भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करते समय सबसे पहले बेलपत्र की दिशा का ध्यान रखना जरूरी होता है. भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं.
सावन सोमवार व्रत 2021 की तिथियां
दिन तारीख
सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार 02 अगस्त
सावन का तीसरा सोमवार 09 अगस्त
सावन का चौथा सोमवार 16 अगस्त
कितने दिन का होगा ये सावन माह (Sawan 2021 Start And End Date)
सावन माह की शुरुआत रविवार, 25 जुलाई 221 से हो रही है. पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है. इस बार सावन कुल 29 दिनों का है. जिसमें 4 सोमवार पड़ने वाले है. 22 अगस्त को सावन की अंतिम तिथि है. जिस दिन रक्षा बंधन भी पड़ रहा है.
सावन मास का महत्व
धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है. पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है, इसलिए सावन में लोग रुद्राभिषेक कराते हैं. शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माह माना गया है.
सावन मास व्रत नियम
सावन महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
इस महीने वाद-विवाद से भी बचना चाहिए. घर-परिवार में स्नेह बना रहना चाहिए.
सावन महीने में लहसुन और प्याज के सेवन करने की मनाही होती है.
इसके अलावा मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि के सेवन की भी मनाही होती है. शास्त्रों में बासी और जले हुए खाने को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है.
शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो भगवान शिव से माफी मांग कर ना करें.
सावन माह में भगवान शिव की पूजा विधि
सावन मास में सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. अब धूप दीप से आरती करें.
कितने दिन का होगा ये सावन माह (Sawan 2021 Start And End Date)
सावन माह की शुरुआत रविवार, 25 जुलाई 221 से हो रही है. पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है. इस बार सावन कुल 29 दिनों का है. जिसमें 4 सोमवार पड़ने वाले है. 22 अगस्त को सावन की अंतिम तिथि है. जिस दिन रक्षा बंधन भी पड़ रहा है.
भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
भगवान शंकर को प्रिय है दूध
भगवान शंकर को दूध बेहद प्रिय है. इसलिए उनकी पूजा में दूध का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव को दूध चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होता है. सावन में दूध से रुद्राभिषेक भी किया जाता है. इससे भक्त की मनोकामना पूरी होती है.
इस तारीख से शुरू है सावन 2021 (Sawan Prarambh 2021)
पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास का समापन 24 जुलाई को शक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि को हो चुका है. 25 जुलाई से श्रावण यानी सावन का महीना आरंभ होगा. सावन का महीना 22 अगस्त दिन रविवार के दिन समाप्त हो रहा है.
सोमवार के व्रत से शनि दोष होता है खत्म
सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है.माना जाता है कि सावन मास में भगवान शंकर की पूजा से विवाह आदि में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है. जिन पर शनि का दोष हो इनका शनि दोष खत्म हो जाता है.
26 जुलाई का पंचांग
सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा सौभाग्य योग में की जाएगी. इस दिन श्रावण मास की तृतीया तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा. चंद्रमा 26 जुलाई को कुंभ राशि में रहेंगे. जहां पर देव गुरु बृहस्पति वक्री होकर विराजमान हैं.
सावन सोमवार की पूजा विधि
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा में विधि का विशेष ध्यान रखें. विधि पूर्वक पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है. सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान की प्रिय चीजों को भोग लगाएं, शिव आरती और शिव चालीसा, शिव के 108 नामों के साथ इस मंत्र का जाप करें- ''ॐ नम: शिवाय''
सावन सोमवार का है विशेष महत्व
भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 25 जुलाई से प्रारंभ हो चुका है. यह महीना 22 अगस्त को समाप्त होगा. वहीं सावन का पहला सोमवार व्रत 26 जुलाई को है. सावन में पड़ने वाला सोमवार के दिन का विशेष महत्व होता है.
सावन सोमवार व्रत के लाभ
कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है और चंद्र ग्रह से जुड़े सभी दोष दूर होते हैं
सावन सोमवार व्रत से अविववाहित लड़कियों को योग्य वर प्राप्त होता है
सावन सोमवार व्रत रखने वाले भक्तों का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है
इस व्रत से नौकरी की समस्या का निदान होता है और व्यवसाय में लाभ मिलता है
सावन सोमवार व्रत से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं
सोमवार व्रत से जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है
सावन सोमवार व्रत नियम
शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं. इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है. साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए. भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए.