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मां दुर्गा की आठवीं शक्ति हैं महागौरी
महागौरी को एक सौम्य देवी माना गया है. महागौरी को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति भी कहा गया है. महागौरी की चार भुजाएं हैं और ये वृषभ की सवारी करती हैं. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है.
पूजा सामग्री
गंगा जल, शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र और इसके साथ ही आभूषण, पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग और अगरबत्ती आदि का प्रयोग पूजा में करना चाहिए.
कोरोना काल में सरल विधि से करें हवन
नवरात्रि हवन की विधि बहुत ही सरल है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि कोई ब्राह्मण ही उपलब्ध हो. आप इस विधि को समझकर स्वयं हवन कर सकते हैं.
पहले अपनी नियमित पूजा कर लें, फिर हवन की तैयारी करें.
हवनकुंड वेदी को साफ करें. इसके बाद कुण्ड का लेपन गोबर जल आदि से करें.
फिर आम की चौकोर लकड़ी हवन के लिए लगा लें.
नीचे में कपूर रखकर जला दें.
अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो चारों ओर समिधाएं लगाएं.
हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.
इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें
ॐ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये न मम्।
ॐ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय न मम्।
ॐ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये न मम।
ॐ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय न मम।
ॐ भूः स्वाहा।
इन मंत्रों से हवन शुरू करें
ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा
ऊँ चंद्रयसे स्वाहा
ऊं भौमाय नमः स्वाहा
ऊँ बुधाय नमः स्वाहा
ऊँ गुरवे नमः स्वाहा
ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा
ऊँ शनये नमः स्वाहा
ऊँ राहवे नमः स्वाहा
ऊँ केतवे नमः स्वाहा
इसके बाद गायत्री मंत्र से आहुति दें
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
फिर आप इन मंत्रों से हवन करें
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
ऊं गौरये नम: स्वाहा
ऊं वरुणाय नम: स्वाहा
ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
ऊं हनुमते नम: स्वाहा
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊं स्थान देवताय नम: स्वाहा
ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊं शिवाय नम: स्वाहाऊं जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा
माता के नर्वाण बीज मंत्र से 108 बार आहुतियां दें
नर्वाण बीज मंत्रः
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
पूर्णाहुति मंत्र
ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णादिमं उच्यते, पुणस्य पूर्णम् उदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णभादाय पूर्णमेवावाशिष्यते।।
कन्या पूजन विधि
नौ कन्याओं और एक कंजक के पैर स्वच्छ जल से धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं.
अब सभी कन्याओं का रोली या कुमकुम और अक्षत से तिलक करें.
इसके बाद गाय के उपले को जलाकर उसकी अंगार पर लौंग, कर्पूर और घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करें.
इसके बाद कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में से थोड़ा सा भोजन पूजा स्थान पर अर्पित करें.
अब सभी कन्याओं और कंजक के लिए भोजन परोसे.
उन्हें प्रसाद के रूप में फल, सामर्थ्यानुसार दक्षिणा अथवा उनके उपयोग की वस्तुएं प्रदान करें.
सभी कन्याओं के पैर छूकर कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें.
मां दुर्गा जी की आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥ टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥ जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥ जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥ जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥ जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥ जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥ जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥ जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥ जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥ जय॥
मां महागौरी की पूजा विधि
आज के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. आज माता जी को लाल चुनरी ओढ़ाएं जाते है. इसके बाद सुहाग और श्रृंगार की सभी सामग्री देवी को अर्पित कर दें. फिर मां की धूप व दीप से आरती उतारें, कथा सुनें, इनके सिद्ध मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें. नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां को नारियल का भोग लगाना फलदायी माना जाता है. इस दिन यदि आप कन्या पूजन कर रहे हैं तो कम से कम आठ कन्याओं की पूजा करनी चाहिए. जिसमें एक लांगूर जरूर भी होना चाहिए. अष्टमी के दिन जो भक्त कन्या पूजन करते हैं, वह माता को हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद बनाकर चढ़ाते हैं. इसके बाद ये प्रसाद कन्याओं को भोजन स्वरूप में दिए जाते है.
मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
महागौरी माता की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।
Posted by: Radheshyam Kushwaha