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रात्रि प्रथम प्रहर से चतुर्थ प्रहर तक का मुहूर्त
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा: 06:27 PM से 09:29 PM तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा: 09:29 PM से 12:31 AM, मार्च 12
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा: 12:31 AM से 03:32 AM, मार्च 12
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा: 03:32 AM से 06:34 AM, मार्च 12
महाशिवरात्रि की रात्रि पर्व का क्या होता है महत्व
महाशिवरात्रि में रात्रि में खास आयोजन किए जाते है. ऐसी मान्यता है कि हिन्दू धर्म में रात में विवाह का मुहूर्त शादी के लिए उत्तम होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का भी माता पार्वती के रात्रि में ही विवाह संपन्न हुआ था. हिंदू पंचांग की मानें तो जिस दिन फाल्गुन माह की मध्य रात्रि अर्थात निशीथ काल में होती है उसी दिन शिवरात्रि मानाई जाती है.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दी महाशिवरात्रि की बधाई
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प्रधानमंत्री ने देशवासियों को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएं दी है. इसके अलावा देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह के पावन स्मरण स्वरुप के उत्सव को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी देशवासियों को बधाई दी है.
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हरिद्वार में भक्तों ने लगाई पवित्र डुबकी
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महाशिवरात्रि 2021 के अवसर पर उत्तराखंड के हरिद्वार में भक्तों भी भारी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान गंगा नदी में भक्तों ने पवित्र डुबकी लगाई. देखें वीडियो..
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महाशिवरात्रि 4 दिन बाद पड़ेगा साल का दूसरा अबूझ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के बाद साल का दूसरा अबूझ मुहूर्त 15 मार्च को पड़ रहा है. 4 दिन बाद पड़ने वाले इस मुहूर्त में किसी भी प्रकार के हानिकारक प्रभाव, दोष रहित माना गया है. आपको बता दें कि इस मुहूर्त में कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है. इसे शुभ और लाभकारी माना गया है.
ओडिशा के एक कलाकार ने महाशिवरात्रि पर बनायी भगवान शिव की सबसे छोटी मूर्ति व शिवलिंग
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समाचार एजेंसी एएनआई के रिपोर्ट के मुताबिक कलाकार का कहना है कि वे भगवान शिव की दुनिया की सबसे छोटी मूर्ति बनाने की कोशिश में है. फिलहाल, उन्होंने लकड़ी की 5 मिमी की, पत्थर से से बनी 1.3 सेमी की मूर्ति बनाई है. साथ ही साथ उन्होंने 7 मिमी के साइज का पत्थर की और 3 मिमी की लकड़ी की 'शिवलिंग' का निर्माण भी किया है.
महाशिवरात्रि के दिन ही दुनियाभर में प्रकट हुए थे 64 शिवलिंग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही दुनियाभर में 64 विभिन्न स्थानों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे. हालांकि, इनमें 12 ज्योतिर्लिंग की ही खोज हो पायी है.
महाशिवरात्रि पर जपें ये नाम
शिव, महेश्वर, शम्भू, पिनाकी, विष्णुवल्लभ, नीललोहित, शंकर, शिपिविष्ट, शशिशेखर, वामदेव, विरूपाक्ष, कपर्दी, शूलपाणी, खटवांगी, शर्व, त्रिलोकेशअंबिकानाथ, श्रीकण्ठ, भक्तवत्सल, भव...
प्रथम प्रहर में कैसे करें पूजा
सबसे पहले प्रथम प्रहर में पूजा करने के लिए आपको शिवलिंग के समक्ष संकल्प लेना होगा.
इसके बाद शादी का अनुष्ठान आरंभ करना होगा.
फिर बाबा को दूध, दही, मधु, गंगाजल, घी, तील, जौ और अक्षत अर्पित करने होंगे.
मिट्टी के घड़े में रखे जल से बाबा को स्नान कराएं
फिर उनपर गुलाब जल व इत्र चढ़ाएं
फिर अक्षत, बेलफल, श्रीफल, आंवला, हर्रे, धतूरा का पुष्प आदि चढ़ाएं
अब बाबा को वस्त्र अर्पण करने के उपरांत मां पार्वती को गौरीपट पर शृंगार के लिए साड़ी समेत अन्य सामग्री अर्पण करें.
साथ ही साथ बिल्वपत्र से गौरीपट पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. इस तरह एक प्रहर की पूजा संपन्न होती है.
झारखंड के देवघर में एक मात्र ज्योतिर्लिंग जहां तांत्रिक पद्धति से होता है
आचार्य जगत गुरु के वंशज गुलाब पंडित भी बताते हैं कि चार प्रहर पूजा का खास महत्व है. रात में बाबा बैद्यनाथ की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. पूजा में बीज मंत्र का अधिक उपयोग किया जाता है. प्रथम प्रहर में सबसे पहले शिवलिंग के समक्ष संकल्प किया जाता है. इसके बाद शादी का अनुष्ठान प्रारंभ होता है. बाबा को गंगाजल, दूध, दही, मधु, घी, तील, जौ और अक्षत चढ़ाया जाता है.
कमलघट्टा एवं हर्रे से बने अर्घ के माध्यम से भोलेनाथ की विधिवत पूजा की जाती है. पंचामृत, हल्दी, फूल आदि उबटन के बाद रजत पुष्प के साथ आसन देकर उनका स्वागत किया जाता है.
महाशिवरात्रि शिव-पार्वती विवाह परंपरा
महाशिवरात्रि के दिन ही शिव और माता पार्वती विवाह बंधन में बंधे थे. देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में रात्रि चार प्रहर तांत्रिक विधि से शादी की अतिप्राचीन परंपरा है. यहां तकरीबन 12वीं शताब्दी से इसका उल्लेख मिलता है. लोगों की मानें तो द्वादश ज्योतिर्लिंग में देवघर ही ऐसा है, जहां तांत्रिक पद्धति से शिव-विवाह की परंपरा है.
कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर के लिए करती है शिव पूजा
ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से नरक से मुक्ति मिलती है. साथ ही साथ कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इसदिन व्रत रखती हैं.
आसान भाषा में समझें आज आपको क्या-क्या करना है
सुबह स्नानादि करके घर में अथवा मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करें
इस दौरान ओम् नमः शिवाय का जाप करते रहें
आज शिवलिंग पर जल व दूध से अभिषेक जरूर करें
पूरे दिन सच बोलें, सात्विक भोजन करें और विवादों से दूर रहें,
रात्रि को सामूहिक रूप घर या देवालय में भगवान शिव का गुणगान करें
रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, महा रुद्राभिषेक, भजन व गीत के साथ आप रात्रि जागरण भी कर सकते हैं
अगले दिन सही मुहूर्त पर व्रत का पारण करें
इस शिवरात्रि जपें ये शिव पंचाक्षर स्तोत्र
शिव पंचाक्षर श्लोक 1: नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय. नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जिनके कंठ मे सांपों का माला है, जो तीन नेत्रों वाले हैं. भस्म से जिनका अनुलेपन हुआ, दिशांए जिनके वस्त्र है. उस महेश्वर 'न' कार स्वरूप शिव को हार्दिक नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 2: मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय. मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: जिस शिव की अर्चना गंगाजल और चन्दन से हुई. जिनकी पूजा मन्दार के फूल व अन्य पुष्पों से हुई है, उन नन्दी के अधिपति और प्रमथगणों के स्वामी महेश्वर 'म' स्वरूप भोले शिव को सदैव नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 3: शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय. श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो कल्याणकारी है. पार्वती माता को प्रसन्न करने के लिए खुद सूर्य स्वरूप हैं. राजा दक्ष के यज्ञ के जो नाशक हैं, जिनकी झंडे में बैल की निशानी है, उन शोभाशाली श्री नीलकण्ठ 'शि' कार स्वरूप भोल शिव को नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 4: वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय. चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: असुर से लेकर वशिष्ठ, अगस्त्य व गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियों ने तथा इंद्र देव ने भी जिनके आगे मस्तक झुकाए है, शिव की पूजा की है. जिनके चंद्रमा, सूर्य और अग्नि जैसे प्रलयकारी नेत्र हैं. उन 'व' कार स्वरूप शिव को सदैव नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 5: यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय. दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो यक्षरूप धारण करने वाले हैं, जो जटाधारी, व जिनके हाथ में उनका पिनाक नामक धनुष है. जो दिव्य है, सनातन पुरुष हैं. उन दिगम्बर शिव के 'य' कार स्वरूप को नमस्कार है.
आज महाशिवरात्रि पर 4 प्रहरों में इस मुहूर्त में करें पूजा
रात के पहले प्रहर की पूजा : शाम 18 बजकर 26 मिनट से रात 21 बजकर 33 मिनट तक
रात के दूसरे प्रहर की पूजा : 21 फरवरी को 21 बजकर 33 से 22 मिनट फरवरी को 00 बजकर 40 मिनट तक
रात के तीसरे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को 00 बजकर 40 मिनट से तड़के 03 बजकर 48 मिनट तक
रात के चौथे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को तड़के 03 बजकर 48 मिनट से सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक
शिवलिंग पर भूल कर भी न चढ़ाएं तिल
आज शिवलिंग में चढ़ाने से बचें. ऐसी मान्यता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ था. अत: भगवान शिव को इसे अर्पित करना सही नहीं माना गया है.
बिल्वपत्र चढ़ाते समय इस बात का रखें ध्यान
महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा अवश्य करनी चाहिए और उसपर बिल्वपत्र अवश्य चढ़ाने चाहिए. यदि आपको शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाना है तो एक दिन पहले ही लाकर गंगाजल में डालकर रख देना चाहि. बिल्वपत्र अर्पित करने से पहले भलि-भांति देख लेना चाहिए कि वह दूषित या कहीं से भी कटा-फटा नहीं होना चाहिए। बिल्वपत्र हमेशा पूर्ण होना चाहिए. तीन पत्ती से कम यानि खंडित बिल्वपत्र मान्य नहीं होता है.
महाशिवरात्रि 2021 तिथि और का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर्व दिन बृहस्पतिवार 11मार्च 2021 को मनाई जाएगी
चतुर्दशी तिथि आरंभ- 11मार्च 2021 दिन बृहस्पतिवार 02 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च 2021 दिन शुक्रवार को शाम 03 बजकर 02 मिनट पर
आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए करें ये उपाय
आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का दही और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना चाहिए. मान्यता है कि इससे धन संपत्ति में बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा शिवलिंग का शहद और घी से अभिषेक भी धन प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है.
इस तरह चढ़ाएंगे बिल्वपत्र तो हर मनोकामना होगी पूर्ण
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बिल्वपत्र के ऊपर चंदन या अष्टगंध से "ॐ" या फिर शिव जी का पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" लिखकर अर्पित करना चाहिए।माना जाता है कि इससे व्यक्ति की मुश्किल इच्छाएं भी पूरी हो जाती है. भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं.
शिव पुराण का पाठ करने या सुनने के लाभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा में शिव पुराण का पाठ किया जाए तो भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं। शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा का वर्णन है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि पर शिव पुराण का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं, निःसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति हो जाती है. अगर वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्याएं आ रही हैं तो वे समस्याएं दूर हो जाती हैं. व्यक्ति के समस्त प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन कई बार हम अज्ञानतावश शिव पुराण को पढ़ते समय सावधानी नहीं बरतते हैं, जिसका वास्तविक फल हमें प्राप्त नहीं हो पाता है। इसलिए शिव पुराण को पढ़ते समय हमें कुछ जरूरी सावधानियां अवश्य ही बरतनी चाहिए.
शिवरात्रि की व्रत पर रखें तो इस बात का विशेष ख्याल
सनातन धर्म के अनुसार किसी भी समय दूसरों के लिए अपने मन में गलत भावना लाना या फिर किसी का बुरा करना आपको पाप का भागीदार बनाता है. यदि आप शिवरात्रि का व्रत रख नहीं भी रख रहे हैं तो भी इस दिन भूलकर भी किसी के बारे में न ही बुरा सोचें और न ही किसी का अहित करें. यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको भगवान शिव की कृपा के बजाए उनके क्रोध का सामना करना पड़ता है.
शिव योग में मनायी जाएगी शिवरात्रि
इस वर्ष शिवरात्रि का पर्व शिव योग में मनाया जाएगा, जो एक शुभ योग है. इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा. चंद्रमा मकर राशि में शनि और देव गुरू बृहस्पति के साथ विराजमान रहेगा.
महाशिवरात्रि पूजन से ये ग्रह होते हैं शांत
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से शनिदेव, राहु और चंद्रमा की अशुभ दशा से मुक्ति प्राप्त होती है. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव का रूद्राभिषेक करने से इसके साथ ही अन्य ग्रहों का भी दोष दूर होता है. शनि की साढ़े साती के लिए शिवजी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
हृीं ओम् नमः शिवाय हृीं
महाशिवरात्रि पूजा सामग्री
बेलपत्र, भांग, धतूरा, गाय का कच्चा दूध, चंदन, रोली, कपूर, केसर, दही, घी, मौली, अक्षत (चावल), शहद, शक्कर, पांव प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कुमकुम, कमलगटटा्, कनेर पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल, कलश आदि.
राशि अनुसार करें अभिषेक
मेष- शहद और गन्ने का रस
वृषभ- दुग्ध, दही
मिथुन- दूर्वा से
कर्क- दुग्ध, शहद
सिंह- शहद, गन्ने के रस
कन्या- दूर्वा एवं दही
तुला- दुग्ध, दही
वृश्चिक- गन्ने का रस, शहद, दुग्ध
धनु- दुग्ध, शहद
मकर- गंगा जल में गुड़ डालकर मीठा रस
कुंभ- दही
मीन- दुग्ध, शहद, गन्ने का रस
गृहस्थ और साधकों के लिए महाशिवरात्रि पर पूजा का समय
इस दिन तंत्र, मंत्र साधना, तांत्रिक पूजा, रुद्राभिषेक करने के लिए जो मुहूर्त रहेगा वो 12 बजकर 25 मिनट से 1 बजकर 12 मिनट तक श्रेष्ठ होगा. गृहस्थ को सुबह और संध्या काल में शिवजी की पूजा करनी चाहिए. इसका मुहूर्त 2 बजकर 40 मिनट से होगा। इसी समय से चतुर्दशी लग रही है तो दोपहर के बाद शिवजी की पूजा करना बेहद विशेष होगा। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि पूजा सामग्री
महाशिवरात्रि की पूजा सामग्री विशेष होती है. पूजा सामग्री में उन चीजों को प्रयोग में लाया जाता है जो भगवान शिव की प्रिय होती हैं. पूजा सामग्री में शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. महाशिवरात्रि की पूजा में दही, मौली, अक्षत(चावल), शहद, शक्कर, पांव प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कुमकुम, पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल के साथ-साथ इन चीजों को भी शामिल करते हैं-
बेलपत्र
भांग
मदार
धतूरा
गाय का कच्चा दूध
चंदन
रोली
कपूर केसर
रात के चार प्रहरों में कब करें पूजा
रात के पहले प्रहर की पूजा : शाम 18:26 से रात 21:33 तक
रात के दूसरे प्रहर की पूजा : 21 फरवरी को 21:33 से 22 फरवरी को 00:40 तक
रात के तीसरे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को 00:40 से तड़के 03:48 तक
रात के चौथे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को तड़के 03:48 से सुबह 06:55 तक