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नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना...
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना
खुद के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना
पराक्रम पर्व की शुभकामनाएं...
हौसला बारूद रखते हैं...
हौसला बारूद रखते हैं
वतन के कदमो मे जान मौजूद रखते हैं
हस्ती तक मिटा दे दुशमन की
हम फौजी है फौलादी जिगर रखते हैं
हैप्पी पराक्रम पर्व...
पराक्रम पर्व की शुभकामनाएं...
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें
शहीदों के दिल में थी वो ज्वाला याद कर ले
जिसमे बहकर आज़ादी पहुची थी किनारे पे
देशभक्तों के खून की वो धरा याद कर लें
पराक्रम पर्व की शुभकामनाएं
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा...
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लायेगा
मैं रहूं या ना रहूं पर ये वादा है तुमसे मेरा कि
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा
पराक्रम पर्व की शुभकामनाएं...
Desh Nayak Diwas Status Shayari Message: हौसला बारूद रखते हैं, वतन के कदमों में...
हौसला बारूद रखते हैं
वतन के कदमों में जान मौजूद रखते हैं
हस्ती तक मिटा दे दुशमन की
हम फौजी है फौलादी जिगर रखते हैं
हैप्पी पराक्रम पर्व
नेताजी की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं: देशभक्तों के खून में प्रेरणा बनकर आग लगाई..
देशभक्तों के खून में प्रेरणा बनकर आग लगाई है,
आजादी के खातिर ही नेताजी ने अपनी जान गवाई है.
बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
Parakram Diwas Status: नहीं सिर्फ झंडे लहराना, ये काफी नहीं है वतन पर..
नहीं सिर्फ जश्न मनाना,
नहीं सिर्फ झंडे लहराना
ये काफी नहीं है वतन पर,
यादों को नहीं भुलाना
जो कुर्बान हुए
उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना
खुद के लिए नही
ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना
पराक्रम पर्व की शुभकामना
23 January Parakram Diwas Wishes 2021: चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें..
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर लें
शहीदों के दिल में थी वो ज्वाला याद कर ले
जिसमे बहकर आज़ादी पहुची थी किनारे पे
देशभक्तों के खून की वो धरा याद कर लें
पराक्रम पर्व की शुभकामना
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Ki Shubhakamnayen: जब युवा आजादी को अपना लक्ष्य..
वो पराधीनता का दौर था,
जब युवा आजादी को
अपना लक्ष्य मानते थे.
अब देश आजाद है.
अब युवाओ का लक्ष्य
देश की तरक्की होनी चाहिए.
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Ki Shubhakamnayen
नेताजी जयंती की शुभकामनाएं: बलिदान का हर भारतीय ताउम्र ऋणी रहेगा..
भारत की आजादी के लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने जो त्याग और बलिदान दिया.
उस बलिदान का हर भारतीय ताउम्र ऋणी रहेगा.
नेताजी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
Happy Parakram Diwas: नेताजी ने देश के नाम अपनी जवानी लिखे दिए..
अपने पराक्रम से इक एतिहासिक कहानी लिख दिए,
नेताजी ने देश के नाम अपनी जवानी लिखे दिए.
Happy Parakram Diwas
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: जिस व्यक्ति के अंदर 'सनक' नहीं होती..
जिस व्यक्ति के अंदर 'सनक' नहीं होती
वो कभी महान नहीं बन सकता.
लेकिन उसके अंदर, इसके आलावा भी
कुछ और होना चाहिए
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: नेताजी के चरणों में श्रद्धा के सुमन चढ़ाएं..
नेताजी के चरणों में श्रद्धा के सुमन चढ़ाएं,
आपको पराक्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
पराक्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Prakram Diwas 2021 Wishes: आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे...
आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे
बची हो जो एक बूंद भी लहू की
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे
पराक्रम पर्व की शुभकामना
Parakram Diwas Shayari Message Quotes Status: करता हूं भारत माता से गुजारिश..
करता हूं भारत माता से गुजारिश
की तेरी भक्ति के सिवा कोई बंदगी ना मिले
हर जन्म मिले हिन्दुस्तान की पावन धरा पर
या कभी जिंदगी न मिले
पराक्रम दिवस की शुभकामनाएं: लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा..
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लायेगा
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा
पराक्रम पर्व की शुभकामना
Subhas Chandra Bose Jayanti Quotes: गुलामी जिन्दा इंसान को भी लाश बना देती है...
गुलामी जिन्दा इंसान को भी लाश बना देती है
इसलिए अपनी व्यक्तिगत आजादी और
देश की आजादी के लिए
हमेशा लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए
Parakram Diwas Wishes: भारत माता तेरी गाथा..
भारत माता तेरी गाथा
सबसे ऊँची तेरी शान
तेरे आगे शीश झुकाये
दे तुझको हम सब सम्मान
भारत माता की जय
हैप्पी पराक्रम पर्व
Parakram Diwas Speech: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मनाया जाता है पराक्रम दिवस..
केंद्र सरकार ने हाल में ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी की जयंती को ‘देश नायक दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी. दरअसल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. इनका जन्म आज ही के दिन हुआ था. इनके योगदान से ही भारत आजाद हुआ था. इन्होंने अंग्रेजों को धूल चटाने के लिए अपनी आजाद हिंद फौज नाम की सेना तैयार कर ली थी.
Subhash Chandra Bose Thoughts: भावना के बिना चिंतन असंभव है..
भावना के बिना चिंतन असंभव है. यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता. बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते'
सुभाष चंद्र बोस ने कहा था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा का नारा देने वाले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने अपना पूरा जीवन देश को आजादी दिलाने की लड़ाई में जीवन समर्पण कर दिया था. उन्होने जीवन में बहुत संघर्ष किया है ताकी भारत स्वतंत्र हो सके.
अपने माता-पिता की नौवी संतान थे सुभाष चंद्र बोस
23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बंगाली परिवार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता जी का नाम प्रभावती देवी था, जिनके कुल 14 बच्चे थे. इसमें से 8 बेटे और 6 बेटियां थी. नेताजी अपने माता-पिता की नौवी संतान और पांचवे बेटे थे.
आजादी की मुहिम में खुद को शामिल किया
शिक्षा के दौरान ही देश को अंग्रेजों से स्वतंत्र करने के लिए देश के कई तत्कालीन दिग्गज स्वतंत्रता सेनानियों के जिंदगी से प्रेरित होकर देश की आजादी की मुहिम में खुद को शामिल किए थे. नेताजी देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए दूसरों से अलग सोच विचार रखते थे और वह अपने ही बलबूते पर देश के युवाओं को शामिल करते हुए आजाद हिंद फौज का गठन भी किया था. 9 भाई बहनों में से नेताजी सुभाष चंद्र बोस मां-बाप की छठी संतान थे. बचपन से ही नेता जी पढ़ाई में काफी होशियार थे और देशभक्ति से काफी प्रेरित हुए थे. देश को स्वतंत्र कराने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा.
सुभाष चन्द्र बोस का स्वतन्त्रता आन्दोलन में प्रवेश
सुभाष चन्द्र बोस जी अरविन्द घोष और गाँधी जी के जीवन से बहुत अधिक प्रभावित थे. सन् 1920 में गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया हुआ था जिसमें बहुत से लोग अपना-अपना काम छोडकर भाग ले रहे थे. इस आन्दोलन की वजह से लोगों में बहुत उत्साह था। सुभाष चन्द्र बोस जी ने अपनी नौकरी को छोडकर आन्दोलन में भाग लेने का दृढ निश्चय कर लिया था. सन् 1920 के नागपुर अधिवेशन ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था। 20 जुलाई , 1921 में सुभाष चन्द्र बोस जी गाँधी जी से पहली बार मिले थे.
सुभाष चंद्र बोस जयंती शायरी
“हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं”
सुभाष चंद्र बोस के विचार
“हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो, हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो, फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है. सफलता का दिन दूर हो सकता है, पर उसका आना अनिवार्य है”
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध
‘नेताजी’ के नाम से विख्यात सुभाष चंद्र बोस एक महान नेता थे जिनके अंदर देश-भक्ति का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ था.नेताजी का जन्म सन् 1897 ई॰ के जनवरी माह की तेईस तारीख को एक धनी परिवार में हुआ था । देश को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराने का सपना संजोए नेता जी कांग्रेस के सदस्य बन गए. वे गाँधी जी के अहिंसा के मार्ग से पूरी तरह सहमत नहीं थे. ” तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा ” का प्रसिद्ध नारा नेता जी द्वारा दिया गया था. जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिल पाने पर नेताजी जापान आए. यहाँ उन्होंने कैप्टन मोहन सिंह एवं रासबिहारी बोस द्वारा गठित आजाद हिंदी फौज की कमान सँभाली. वे पुन: जापान की ओर हवाई जहाज से जा रहे थे कि रास्ते में जहाज के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उनकी मृत्यु हो गई.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का शुरुआती जीवन
“सुभाष चन्द्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी और देशभक्त थे। इनका जन्म एक अमीर हिन्दू कायस्थ परिवार में 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ. ये जानकीनाथ बोस (पिता) और प्रभावती देवी (माता) के पुत्र थे. अपनी माता-पिता के 14 संतानों में से ये 9वीं संतान थे। इन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा कटक से ली जबकि मैट्रिकुलेशन डिग्री कलकत्ता से और बी.ए. की डिग्री कलकत्ता यूनिवर्सिटी (1918 में) से प्राप्त की.
सुभाष चंद्र बोस के विचार
हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है
सुभाष चन्द्र बोस जयंती पर निबंध
“नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ और इनका निधन 18 अगस्त 1945 में हुआ था. जब इनकी मृत्यु हुयी तो ये केवल 48 वर्ष के थे. वो एक महान भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत की आजादी के लिये द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बड़ी हिम्मत से लड़ा था। नेताजी 1920 और 1930 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वच्छंदभाव, युवा और कोर नेता थे. वो 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने हालांकि 1939 में उन्हें हटा दिया गया था. नेताजी भारत के एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने बहुत संघर्ष किया और एक बड़ी भारतीय आबादी को स्वतंत्रता संघर्ष के लिये प्रेरित किया.”
ऐसे हुई थी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु
16 अगस्त 1945 को टोक्यो के लिए निकलने पर ताइहोकु हवाई अड्डे पर नेताजी का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और स्वतंत्र भारत की अमरता का जयघोष करने वाला, भारत मां का दुलारा सदा के लिए, राष्ट्रप्रेम की दिव्य ज्योति जलाकर अमर हो गया.
Subhas Chandra Bose Birthday Quotes
गुलामी जिन्दा इंसान को भी लाश बना देती है इसलिए अपनी व्यक्तिगत आजादी और देश की आजादी के लिए हमेशा लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए
सुभाष चंद्र बोस के विचार
“अपनी ताकत में विश्वास करो उधार की ताकत आपके लिए घातक हो सकती है”
नेताजी ने कहा था आप मुझे खून दो, मैं आपको आजादी दूंगा
12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतीन्द्र दास के स्मृति दिवस पर नेताजी ने अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा- 'अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांगती है। आप मुझे खून दो, मैं आपको आजादी दूंगा.'
ऐसे हुआ आजाद हिन्द फौज का गठन
सुभाष ने आजादी के आंदोलन को एक नई राह देते हुए युवाओं को संगठित करने का प्रयास पूरी निष्ठा से शुरू कर दिया। इसकी शुरुआत 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर में 'भारतीय स्वाधीनता सम्मेलन' के साथ हुई. 5 जुलाई 1943 को 'आजाद हिन्द फौज' का विधिवत गठन हुआ.
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर निबंध
23 जनवरी 1897 का दिन विश्व इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है. इस दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाषचंद्र बोस का जन्म कटक के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ तथा प्रभावतीदेवी के यहां हुआ. उनके पिता ने अंगरेजों के दमनचक्र के विरोध में 'रायबहादुर' की उपाधि लौटा दी। इससे सुभाष के मन में अंगरेजों के प्रति कटुता ने घर कर लिया। अब सुभाष अंगरेजों को भारत से खदेड़ने व भारत को स्वतंत्र कराने का आत्मसंकल्प ले, चल पड़े राष्ट्रकर्म की राह पर. आईसीएस की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दिया.