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Navratri 2020 Date: इस बार नवरात्र में 7 दिन रहेगा विशेष संयोग, कब है नवमी-दशहरा और घटस्थापना, कई राज्यों में महोत्सव पर पाबंदी

Navratri 2020 Date: इस समय अधिक मास (Adhikmaas) चल रहा है. अधिकमास लगने के कारण इस साल शारदीय नवरात्रि एक महीने की देरी से शुरू होगी. हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष पितृपक्ष के समाप्ति के बाद अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि शुरू होना चाहिए, लेकिन इस बार अधिक मास होने के कारण पितरों की विदाई के बाद नवरात्रि का त्योहार शुरू नहीं हो सका. इस बार नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा (Durga Puja) के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है.आइए जानते है नवरात्र से संबंधित पूरी जानकारी और घटस्थापना करने का सही समय...

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नवरात्रि (Navratri 2020) पर कोरोना संकट

नवरात्रि (Navratri 2020) पर कोरोना संकट का भी असर देखने को मिलेगा. इस बार गुजरात में नवरात्रि महोत्सव (Navratri festival) के आयोजन को लेकर सरकार ने गाइड लाइंस जारी कर दिया है और ये तय हुआ है कि महोत्सव या पब्लिक आयोजन इस वर्ष कोरोना खतरे को देखते हुए नहीं किए जाएंगे.

मां के 9 स्वरूपों की होती है पूजा

नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस दौरान शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. ये सभी मां के नौ स्वरूप माना जो हैं. प्रथम दिन घटस्थापना होती है. शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.

जानें कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि 17 अक्टूबर के दिन में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक है. कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.

जानें कब किस देवी की होगी पूजा

17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना

18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा

25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

जानें शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व

मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है. नवरात्र के इन पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है. नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरुप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं. नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है.

कैसे करें घट स्थापना व देवी आराधना

शारदीय नवरात्र शक्ति पर्व है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व दिया गया है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में घट स्थापित करें. नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जप करें. अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते चैत्र की नवरात्र में मां की विधिवत आराधना नहीं हो सकी थी. मां से हम सब देश वासी प्रार्थना करते हैं कि हमें शीघ्र ही इस महामारी व भय से मुक्त करें.

नव स्वरूपों की अलग-अलग की जाती है  पूजा

शारदीय नवरात्र की प्रधानता है कि इसमें मां के नव स्वरूपों की अलग-अलग आराधना की जाती है. इस वर्ष नवरात्र का आरंभ चित्रा नक्षत्र में हो रहा है, जो शुभ नहीं है. देवी भागवत्व रुद्रयामल तंत्र की मान्यता है कि नवरात्र का आरम्भ चित्रा नक्षत्र में हो तो धन का नाश होता है. चित्रा व वैधृति के शुरू के तीन अंश त्यागकर चौथे में घटस्थापना की जाना चाहिए. घटस्थापना का समय प्रातः काल का है ऐसे में सुबह 7 बजकर 30 मिनट के बाद ही शुभ मुहूर्त में घट स्थापना होगी.

नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि शुरू हो जाती हैं. साथ ही विभिन्न पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर मां शक्ति की आराधना की जाती है. नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है. देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में भी देखा जाता है. हर वर्ष नवरात्रि में देवी दुर्गा का आगमन अलग-अलग वाहनों में सवार होकर आती हैं और उसका अलग-अलग महत्व होता है.

इस वर्ष की नवरात्र कुछ खास योग संयोग लेकर आयी है्, चार सर्वार्थसिद्धि योग हैं. 17, 19, 23 व 24 अक्टूबर को ये योग हैं. सिद्धि महायोग 18 व 24 अक्टूबर को है, जबकि 17, 21 व 25 अक्टूबर को अमृत योग है. वहीं, सूर्य व बुध की युति बुधादित्य योग 18 अक्टूबर को प्रीति, 19 अक्टूबर को आयुषमान, 20 अक्टूबर को सौभाग्य व 21 अक्टूबर को ललिता पंचमी है. बुधवार व शोभन योग का दुर्लभ संयोग देवी भक्तों को प्राप्त हो रहा है.

नवरात्र में किस दिन कौन सी देवी की करें पूजा

नवरात्र में 17 अक्टूबर, प्रतिपदा, शनिवार को मां शैलपुत्री की पूजा है. वहीं, 18 अक्टूबर द्वितीया, रविवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी. इसी तरह 19 अक्टूबर तृतीया, सोमवार को मां चन्द्रघंटा की पूजा की जाएगी. 20 अक्टूबर चतुर्थी मंगलवार को मां कुष्मांडा की पूजा होगी. 21 अक्टूबर पंचमी बुधवार को मां स्कंदमाता और 22 अक्टूबर षष्ठी गुरुवार को मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी. 23 अक्टूबर, सप्तमी शुक्रवार को मां कालरात्रि की पूजा होगी.

नवमी और दशहरा एक साथ

24 अक्टूबर को महाअष्टमी शनिवार को मां महागौरी व 25 अक्टूबर महा नवमी, रविवार को मां सिद्धिदात्री के साथ ही नवदुर्गा का समापन होगा. नवरात्र के नौ दिनों में मां को लाल गुलाब के पुष्प व अलग अलग दिन सूखे मेवे व मिष्ठान्न का भोग अवश्य लगाए. मां को खीर व हलवा अत्यंत प्रिय है.  25 अक्टूबर को महानवमी व विजयादशमी (दशहरा) दोनों एक ही दिन पड़ रहा है. समान्यतः दशहरा पर्व दशमी तिथि में मनाया जाता है. इस वर्ष दशमी 25 अक्टूबर रविवार को ही है. सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक नवमी तिथि है. इसके बाद बाद में दशमी शुरू होगी जो दूसरे दिन प्रातः नौ बजे तक ही रहेगी. इसलिए इस वर्ष दुर्गा नवमी व दशहरा पर्व 25 अक्टूबर रविवार को मनाया जाएगा.

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

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