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गोपालगंज में राहत के लिए पीड़ितों ने किया लोटा-थाली लेकर प्रर्दशन
गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर प्रखंड की खैराआजम पंचायत में बाढ़ पीड़ितों का अंतत: गुस्सा फुट पड़ा. पीड़ितों ने लोटा-थाली लेकर सड़क पर उतरे और खैरा-परसौनी मुख्य पथ को जाम कर प्रदर्शन किया. मल्लाह टोली के महिलाओं बच्चों व बुजुर्गो ने जिला पार्षद रविरंजन कुमार उर्फ विजय बहादुर यादव के नेतृत्व में सरकार तथा प्रशासन के खिलाफ खैरा-परसौनी मुख्य पथ पर लोटा-थाली लेकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों का आरोप है कि गंडक नदी की बाढ़ की त्रासदी ने पूरे जीवन भर की कमाई को बहा ले गयी. जिला पार्षद ने प्रशासन को दो दिनों का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि इन सभी बाढ़ पीड़ितों का दो दिनों के अंदर सुविधा बहाल तथा पंचायत को बाढ़ प्रभावित घोषित नहीं किया गया, तो बाढ़ पीड़ितों के साथ अंचल मुख्यालय का घेराव किया जायेगा.
बारिश के बाद हुआ जलजमाव, झील में तब्दील हुई सड़क
करपी (अरवल) : किंजर-कुर्था मोड़ पर सोमवार की संध्या हुई बारिश के बाद जलजमाव से सड़क झील में तबदील हो गया है, जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गंदे कीचड़नुमा पानी कारण लोगों को आवागमन करने में परेशानी होती है. सड़क के किनारे स्थित व्यवसायियों को भी काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. लोगों ने बताया कि पक्की सड़क रहने के बावजूद बड़ा-बड़ा गड्ढा बन गया है. बारिश होने पर इसमें दो से तीन फीट पानी जमा हो जाता है. एक दिन बारिश होने से सप्ताह तक पानी लगा रहता है. इस कारण इस सड़क जाने वालों को काफी फजीहत उठानी पड़ती है. खासकर दो पहिया और चार पहिया वाहनों को तो काफी परेशानी होती है. वाहन चालकों को पता नहीं चल पा रहा है कि गड्ढा कहां पर है.
धीरे-धीरे खतरे के निशान की ओर जा रही गंगा
गंगा नदी के जलस्तर में पिछले 24 घंटे में 17 सेमी की गिरावाट दर्ज की गई. हालांकि बाढ़ कंट्रोल विभाग की माने तो आज सात सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं घाघरा व सोन नदी के जलस्तर में 20 से 25 सेमी की गिरावट आई है. गंडक अभी भी खतरे के निशान पर बह रहा है. गंडक बराज से सवा लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है. गंगा व सोन नदी जलस्तर धीरे-धीरे खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा.
बाढ़ का पानी बढ़ने से मवेशी भी कर रहे पलायन
पिपरिया. जिले के दियारा इलाकों में पानी में लगातार तीन दिनों से बढ़ोतरी हो रही है, बाढ़ से पिपरिया के इलाकों में त्राहीमाम की स्थिति बनी हुआ है. आदमी के साथ साथ पशु भी परेशान है. जानकारी के अनुसार दियारा के निचले स्तर से गंगा का पानी धीरे-धीरे ऊपरी हिस्से में भी आने लगी है, ऐसे में ग्रामीण तो किसी तरह अपने जीने का जुगाड़ करने की प्रयास में लगे हुए है, लेकिन मवेशी के लिए खेत में जो भी चारा था वो गंगा मैया के शरण चला गया है. ऐसे में मवेशी को खिलाने के लिए चारा समस्या सबसे बड़ी बनी हुई है. वहीं मवेशी बांधने के जगह पर पानी आ जाने से मवेशी को बैठने में भी काफी परेशानी हो रही है, ऐसे में ग्रामीण अपने अपने मवेशी को लेकर उच्च स्थान की खोज में निकल चुके है., जिस कारण गांव वीरान लग रहा है, हर जगह पानी ही पानी है.
दियारा वासियों की बढ़ गयीं मुसीबतें
कुरसेला : नदियों के जलस्तर में उतार चढ़ाव से बाढ़ की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है. हालांकि गंगा, कोसी का जलस्तर घटने से बाढ़ के फैलाव में कमी आयी है. कोसी नदी कुरसेला रेल ब्रिज पर 30.52 मीटर के निशान पर प्रवाहित हो रही है. दियारा का गांव पानी के बीच टापू बन चुका है. नदी पार कर प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचना दियारा के लोगों के लिए जटिल व जोखिम भरा हो चुका है. बाढ़ से घिरे दियारा के गांवों में सरकारी स्तर पर किसी तरह की राहत व सुविधा नहीं पहुंच पायी है.
सरफरा-सीवान पथ पर परिचालन सामान्य होने में लगेगा समय
बरौली. प्रखंड का लाइफलाइन कहे जाने वाले सीवान-सरफरा पथ पर अभी भी बाढ़ का एक फुट पानी बह रहा है और यहां गाड़ियों का परिचालन सामान्य होने में समय लग सकता है. हालांकि अगर दूसरी बार बाढ़ के पानी ने परेशानी पैदा नहीं की होती तो अब तक इस पथ पर गाड़ियां दौड़ रही होतीं. दूसरी बार आये बाढ़ के पानी ने लगातार एक महीने से इस पथ पर परिचालन बाधित किया है. कुछ ऐसा ही हाल बरौली के दक्षिणांचल जाने वाले सुरवल-पिपरहिया पथ का है. इस पथ से बाइक तथा अन्य छोटी चरपहिया गाड़ियों का आना-जाना शुरू तो हो गया है, लेकिन चरपहिया गुजरने से इस सड़क के टूटने का खतरा भी बढ़ा है.
नदी के डेंजर लेवल से नीचे आते ही बांध रिपेयर वर्क तेज
डेंजर लेवल से नदी के नीचे आने के साथ ही जल संसाधन विभाग की ओर से पिछले 23 जुलाई को टूटे भैंसही-पुरैना बांध के फ्रंट लाइन के साथ ही देवापुर सारण तटबंध की रिपेयर वर्क को तेज कर दिया है. बैकुंठपुर के पकहां में भी फ्रंट लाइन को बांधने की कोशिश हो रही. सबकुछ ठीक रहा तो इसी सप्ताह नदी के टूटे स्पॉट का क्लोज किया जा सकता है. कार्यपालक अभियंता नवल किशोर सिंह की टीम यहां कैंप कर बचाव कार्यो को संभाले हुए है. यहां नदी के मुहाने को क्लोज कर बाकी टूटे हुए बांध को दुरूस्त कराने की तैयारी में विभाग जुटा है.
विशंभरपुर हाइस्कूल पर भी कटाव का खतरा
सासामुसा, गंडक नदी जिस प्रकार से कटाव कर रही. उससे लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है. विशंभरपुर हाइस्कूल के सामने बांध के उस पार कटाव होने से स्कूल भवन, विशंभरपुर बाजार, फिल्ड पर का गांव पर कटाव का खतरा उत्पन्न हो गया है. जबकि कालामटिहनिया, सिपाया टोला, विशंभरपुर, दुर्ग मटिहनिया, गुमनिया, अमवां विजयपुर, सलेहपुर समेत एक दर्जन गांवों के लोगों के होश उड़े हुए है. ग्रामीणों का कहना है कि अगले 24 से 36 घंटे में नदी बांध को तोड देगी.
नदियों के जलस्तर में उतार चढ़ाव जारी
पटना : राज्य में नदियों के जलस्तर में उतार चढ़ाव जारी है. कोसी और गंडक का जलस्तर जहां नीचे आया है, वहीं महानंदा और गंगा का स्तर स्थिर बना हुआ है.
बचाव कार्य में लगायी गयी 10 एजेंसियां
पटना : गंउक नदी में कटाव से स्थिति के नाजुक होते देख जल संसाधन विभाग की ओर से बचाव कार्य के लिए 10 एजेंसियों को लगाया है. साइड पर मैटेरियल काफी कम होने के कारण बचाव कार्य में चाह कर भी तेजी नहीं आ पा रहा. सोमवार को दुसरे साइड से मैटेरियल मंगाया जाने लगा. कटाव की स्थिति को देखते हुए जल संसाधन विभाग के बाढ़ संघर्षनात्मक बल के अध्यक्ष हामिद अंसारी, मुख्य अभियंता ओमप्रकाश अंबरकर, अधीक्षण अभियंता विनय कुमार सिंह व एक्सपर्ट अधीक्षण अभियंता रविशंकर ठाकुर दूसरे दिन भी कैंप कर बांध को बचाने के लिए हाथी पांव डालकर नदी की बेग को रोकने की कोशिश में जुटे है. कार्यपालक अभियंता महेश्वर शर्मा, सहायक अभियंता अजय किशोर शर्मा,कनीय अभियंता विभाष कुमार गुप्ता, म मजीद की टीम कैंप कर बचाव कार्य को कराने में जुटे रहे. अब्दुल हामीद ने बताया कि विभाग की प्राथमिकता हर हाल में बांध को बचाना है. इसके लिए हाइ अलर्ट मोड में काम कराया जा रहा. फिलहाल बांध पूरी तरह सुरक्षित है.