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मथुरा मंदिर से सीधा प्रसारण
मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में पूजा की देखें लाइव वीडियो
#WATCH: Devotees offer prayers and sing devotional songs at Krishna Janmabhoomi Temple in Mathura. #Janmashtami pic.twitter.com/qgwZBck8bc
— ANI UP (@ANINewsUP) August 12, 2020
कृष्ण जन्माष्टमी भजन
मथुरा से सीधे लाइव राधा कृष्ण झांकी
मथुरा से सीधे लाइव राधा कृष्ण झांकीLIVE कृष्ण जन्मोत्सव दर्शन, मथुरा
यहां देख सकते हैं जन्मोत्सव का लाइव टेलिकास्ट
मथुरा के लगभग सभी मंदिरों ने जन्मलीला का लाइव टेलीकास्ट कराने की तैयारी है. कृष्ण जन्मस्थली का लाइव दूरदर्शन पर होगा. वहीं अन्य प्रमुख मंदिरों से फेसबुक और यूट्यूब लाइव कराने की व्यवस्था की गई है. बांकेबिहारी की नगरी में हर मंदिर में अपने तरीके से आराध्य श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. चूंकि भगवान के जन्म का समय रात 12 बजे माना गया है, इसलिए अधिकतर मंदिरों में रात 12 बजे ही ठाकुरजी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
जानें आज रात में कैसे करें कृष्ण की पूजा
12 बजे रात से पहले स्नना करें. इसके बाद सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें. फिर काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अगर ऐसा चित्र मिल जाए तो बेहतर रहता है. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः लेना चाहिए. फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें- 'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः। वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः। सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।' अंत में प्रसाद वितरण कर भजन-कीर्तन करते हुए रतजगा करें.
भगवान कृष्ण की आरती (Krishna Aarti)
आरती कुंजबिहारी की, गिरिधर कृष्ण मुरारी की ।
गले में बैजन्तीमाला, बजावैं मुरली मधुर बाला ॥
श्रवण में कुंडल झलकाता, नंद के आनंद नन्दलाला की ।।आरती…।।
गगन सम अंगकान्ति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक।।
चंद्र-सी झलक, ललित छबि श्यामा प्यारी की ।।आरती…।।
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन से सुमन राशि बरसै, बजै मुरचंग, मधुर मृदंग।।
ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की।।आरती…।।
जहां से प्रगट भई गंगा, कलुष कलिहारिणी श्री
स्मरण से होत मोहभंगा, बसी शिव शीश, जटा के बीच।।
हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की।।आरती…।।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु, हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।।
कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की।। आरती…।।
कान्हा का 5247वां जन्मोत्सव
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर आज भगवान श्रीकृष्ण यानी कान्हा का 5247वां जन्मोत्सव मनाने की तैयारी चल रही है. भगवान के जन्म की खुशी में पूरा ब्रज सजाया जा चुका है. हर तरफ कृष्ण राधे की मधुर ध्वनि गुंजित हो रही है. मथुरा के जन्मोत्सव कार्यक्रम को देशभर में लाइव दिखाया जाएगा.
नंदभवन में जन्में नंदलाल, बजी बधाइयां
भगवान श्रीकृष्ण के नंदभवन में जन्म लेते ही नंदगांव नंद के आनंद भयौ जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूूंज उठा. शंख, घंटे, घडिय़ाल, झांझ, मझीरा की ध्वनि से समूचा वातावरण झंकृत हो उठा. अभिषेक के बाद सेवायतों ने भगवान का श्रृंगार कर जैसे ही पर्दा हटाया, मंदिर में आस्था की बयार बह निकली. घरों की छतों से नंद के आंनद भयौ जय कन्हैया लाल की जयघोष वातावरण में गूंज उठे. कोरोना संक्रमण के कारण जो लोग मंदिर नहीं जा पाए थे, उन्होंने अपने घरों की छत पर खड़े होकर भगवान को नमन कर आशीर्वाद लिया. हर तरफ खुशियां ही खुशियां छा गईं. कन्हैया के जन्म लेते ही हर्ष और उल्लास छा गया.
इसलिए दो दिन मनाई जाती है जन्माष्टमी
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि 11 और 12 अगस्त, दोनों ही दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी. हालांकि जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोगों को एक खास बात का ध्यान रखना होगा. ज्योतिषविद का कहना है कि वैष्णव और स्मार्त दो अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते हैं.
वैष्णव जन इस दिन मनाएंगे जन्माष्टमी
ज्योतिषविद की मानें तो रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 13 अगस्त को सुबह 3 बजकर 27 मिनट से पांच बजकर 22 मिनट तक रहेगा. इस तिथि को केवल वैष्णव जन ही जन्माष्टमी का व्रत करेंगे. इसमें गृहस्थ लोगों की भागीदारी नहीं होगी.
कानूनी दांवपेच में फंसी रिहाई
श्रीकृष्ण की रिहाई कानूनी दांवपेच में फंस गई है. थाने के मालखाने से निकालकर वापस मंदिर में विराजमान करने के लिए सर्वराकार ने काफी प्रयास किये लेकिन सफलता नहीं मिली. सर्वराकार का कहना है कि प्रभु इच्छा के बगैर सफलता मिलना संभव नहीं है, जब लीलाधर की मर्जी होगी वह खुद ही मंदिर में विराजमान हो जाएंगे.
शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें
आज भाद्रपद कृष्ण सप्तमी है. 09 बजे के बाद अष्टमी है. यदि आपने आज जन्माष्टमी का व्रत रखा हैं, तो विधि विधान से व्रत के नियमों का पालन करें. फिर रात के समय बाल गोपाल के जन्मोत्सव का आनंद मनाएं और प्रसाद ग्रहण करके व्रत को पूर्ण करें. भाद्रपद मास के सातवें दिन आज आप कोई नया कार्य करना चाहते हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें.
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जन्माष्टमी के अवसर पर बिरला मंदिर सोमवार शाम से ही जगमगा रहा है
जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में फोकस लाइटों से बिरला मंदिर सोमवार शाम से ही जगमगा रहा है. इससे पहले हर साल इसे बल्बों की रोशनी से सजाया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिर परिसर के पीछे लगने वाली श्रीकृष्ण भगवान की झांकियां भी नहीं लगाई गई हैं. मंदिर के अंदर ही लड्ड़ू गोपाल व श्रीकृष्ण भगवान की झांकी होगी, जिसका श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे.
कृष्ण ने मारा था कंस को
कृष्ण जी को मारने के लिए कंस ने बहुत प्रयास किए लेकिन सब असफल रहे. कई राक्षसों को भेजा बालकृष्ण ने सभी का वध कर दिया. आगे चलकर कंस ने कृष्ण को मथुरा में आमंत्रित किया. मथुरा पहुंचकर भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करके प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई और उग्रसेन को फिर से राजा बना दिया.
11 अगस्त जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 11 अगस्त मंगलवार को अष्टमी की तिथि प्रात: 9 बजकर 06 मिनट से शुरू हो रही है. अष्टमी की तिथि 12 अगस्त सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. इसलिए आज पूजा करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें .
भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं श्रीकृष्ण
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अति शुभ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार के सभी दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए.
कारागार के दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए तब वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि वे कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लेंगे. उन्होंने वासुदेव जी से कहा कि वे उन्हें तुंरत गोकुल में नन्द बाबा के यहां पहुंचा दें और उनके यहां अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दें. वासुदेव ने ऐसा ही किया और कृष्ण को सौंपकर कन्या कंस को दे दी.
कन्या को मारने के लिए जैसे ही कंस ने हाथ को ऊपर उठाया तभी कन्या आकाश में गायब हो गई और भविष्यवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है वो तो गोकुल में पहुंच चुका है. यह सुनते ही कंस क्रोध में आ गया. इसके बाद नंदगांव में कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए एक के बाद एक राक्षस भेजे. श्रीकृष्ण ने इन सभी का वध कर दिया. अंत में श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया.
जन्माष्टमी की तिथि को लेकर है भ्रम
इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 11-12 अगस्त यानी दो दिन मनाया जाएगा. हालांकि, ज्योतिषों का कहना है कि 12 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाना ज्यादा अच्छा रहेगा. इस रात आप बाल-गोपाल की पूजा करत सकते हैं. मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है. इस दिन लोग उपवास रखते हैं साथ ही भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं.
श्रीकृष्ण की जन्म कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अति शुभ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार के सभी दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए.
कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी
इस बार पंचांग के अनुसार अष्टमी की तिथि 11 अगस्त को प्रात: 09 बजकर 06 मिनट से आरंभ हो रही है. अष्टमी की तिथि 12 अगस्त को प्रात: 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है. 11 अगस्त को भरणी और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र है. इसके बाद रोहिणी नक्षत्र आता है जो 13 अगस्त को रहेगा. इसीलिए कुछ स्थानों पर इस दिन भी जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है.
क्या है शुभ मुहूर्त?कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी
जन्माष्टमी के दिन रात को पूजा करने का समय सही होता है. क्योंकि, भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को ही हुआ था. 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. पूजा की अवधि 43 मिनट है.
इसका करें पाठ और जाप
पाठ- गोपाल सहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम
मंत्र- श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा, नमो भगवते वासुदेवाय नम:
जन्माष्टमी की पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन भगावन श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है. अगर आप भी जन्माष्टमी का व्रत रख रहे हैं तो इस तरह से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें.
सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें
अब घर के मंदिर में कृष्ण जी या फिर ठाकुर जी की मूर्ति को पहले गंगा जल से स्नान कराएं
इसके बाद मूर्ति को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और केसर के पंचामृत से स्नान कराएं
अब शुद्ध जल से स्नान कराएं
रात 12 बजे भोग लगाकर लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना करें और फिर आरती करें
अब घर के सभी सदस्यों को प्रसाद दें
अगर आप व्रत रख रहे हैं तो दूसरे दिन नवमी को व्रत का पारण करें
कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी?
हिंदू पंचांग के मुताबिक कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानि कि आठवें दिन मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त या फिर सितंबर के महीने में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. तिथि के मुताबिक जन्माष्टमी का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा. वहीं रोहिणी नक्षत्र को अधिक महत्व देने वाले लोग 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे.
ऐसे रखें कृष्ण जन्माष्टमी व्रत
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज और कल दोनों दिन है. कुछ लोग आज व्रत रखे है, वहीं कुछ लोग कल व्रत रखेंगे. जन्माष्टमी व्रत रखने की विधि इस प्रकार से है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. फिर कान्हा को शुद्ध जल से स्नान करवाएं. उन्हें नए वस्त्र पहनाएं. झूला लगाएं. दिनभर सेवा करें. रात्रि में 12 बजे कान्हा की पूजा करें, आरती करें, और इसके बाद अन्न ग्रहण करें.
भगवान वासुदेव के पूजन का सरल तरीका
कृष्णजी या लड्डूगोपाल की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराएं, फिर दूध, दही, घी, शकर, शहद, केसर के घोल से स्नान कराकर फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं, फिर सुन्दर वस्त्र पहनाएं. रात्रि 12 बजे भोग लगाकर पूजन करें व फिर श्रीकृष्णजी की आरती उतारें. उसके बाद भक्तजन प्रसाद ग्रहण करें. व्रती दूसरे दिन नवमी में व्रत का पारण करें.
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रोहिणी नक्षत्र में हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म
द्वापर युग में श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में हुआ था. उस समय चंद्र उच्च राशि वृषभ में था. उस दिन बुधवार और रोहिणी नक्षत्र था. इस बार जन्माष्टमी पर ऐसा संयोग नहीं बन रहा है. रोहिणी नक्षत्र 11 और 12 अगस्त को नहीं रहेगा. ये नक्षत्र 13 अगस्त को रहेगा.
60 साल बाद जन्माष्टमी पर तिथि, तारीख और नक्षत्र का अद्भुत योग
इस साल 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, लेकिन इन दोनों तारीखों की रात में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा. इस समय गुरु अपनी स्वयं की राशि धनु में स्थित है. आज की रात 12 बजे भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त की रात 12 बजे कृत्तिका नक्षत्र रहेगा. ऐसा योग 60 वर्ष पहले बना था. उस साल भी गुरु धनु राशि में था, उस समय भी कृत्तिका नक्षत्र था और जन्माष्टमी मनाई गई थी.
भगवान श्रीकृष्ण को ये प्रसाद है प्रसन्न
खीरा: कृष्ण की पूजा में खीरा रखना भी बहुत जरूरी होता है.
मखाना पाक: जन्माष्टमी में अधिकतर घरों में मखाना पाक बनता है, इसमें खूब सारे मेवे डालकर चीनी की चाश्नी में जमाया जाता है.
पंजीरी: जन्माष्टमी पर पंजीरी और चरणामृत बहुत ही आवश्यक होते हैं. धनिया को भूनकर उसमें मिठा मिलाकर पंजीरी बनाई जाती है. यह उनका प्रमुख प्रसाद होता है.
कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहा विशेष योग
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर एक विशेष योग बन रहा है. पंडितों के अनुसार, उसी दिन कृतिका नक्षत्र लगेगा. यही नहीं, चंद्रमा मेष राशि और सूर्य कर्क राशि में रहेंगे. कृतिका नक्षत्र और राशियों की इस स्थिति से वृद्धि योग बना रहा है. इस तरह बुधवार की रात के बताए गए मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा.
इस्कॉन टेंपल से फेसबुक लाइव दर्शन करेंगे भक्त
इस्कॉन मंदिर के पंडित के अनुसार इस बार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की भव्यता और सजावट कुछ कम रहेगी लेकिन उत्साह उतना ही होगा. इस दिन भगवान कृष्ण पांच बार पोशाक धारण करेंगे. बाहर के लोगों का प्रवेश निषेध रहेगा ऐसे में मंदिर के अंदर ही रहने वाले अधिकतम 50 लोग जिनमें सेवाधिकारी और ब्रहृमचारी ही पूजा, अर्चन, अभिषेक, भजन और कीर्तन में शामिल होंगे. बाहर के सभी दरवाजे बंद रहेंगे. छह फुट की दूरी का पालन होगा. सभी अंदर के भक्तों को मास्क पहनना होगा. इस्कॉन टेंपल से फेसबुक लाइव और एप पर पूजा की लाइव प्रसारण किया जाएगा.
जगन्नाथपुरी राधा-कृष्ण
जानें कल क्यों रहेगा जन्माष्टमी मनाना शुभ
देश के कई राज्यों मे आज जन्माष्टमी मनाई जा रही है. वहीं कल 12 अगस्त को सूर्योदय तिथि अष्टमी है. आज 9 बजे के बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. ऐसे में शास्त्री के अनुसार 11 अगस्त से 12 अगस्त को श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. क्योंकि 11 अगस्त को मेष राशि भरणी नक्षत्र गत चंद्रमा व मंगलवार रहेगा. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि वृष राशि बुधवार रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. 12 अगस्त को वृष राशि चंद्रमा कृतिका नक्षत्र के चतुर्थ चरण में रहेंगे. रोहिणी नक्षत्र के नजदीक चंद्रमा होंगे, इसलिए 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा.
वृंदावन में आज के मंगल आरती दर्शन
जानें कहां आज और कल मनेगी कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर इस साल भी दो मत हैं. ज्यादातर पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी है, लेकिन ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में 13 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाने की तैयारी है. मथुरा और द्वारिका दोनों जगहों पर कल जन्मोत्सव मनाया जाएगा. जगन्नाथपुरी में आज की रात 12 बजे कृष्ण जन्म होगा, वहीं, काशी और उज्जैन जैसे शैव शहरों में भी आज ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी. जन्माष्टमी का त्योहार भादो की अष्टमी तिथि के दिन मनायी जाती है.
गृहस्थ जीवन वालों के लिए आज है जन्माष्टमी पर्व
गृहस्थ लोगों के लिए जन्माष्टमी पर्व आज रहेगा, वहीं, साधु और सन्यासियों के लिए 12 अगस्त यानि कल है. जन्माष्टमी को लेकर पंचांग भेद है, क्योंकि 11 अगस्त यानि आज अष्टमी तिथि है जो कि कल सुबह 8 बजे तक रहेगी. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि पर आधी रात में हुआ था, इसलिए विद्वानों का कहना है कि गृहस्थ जीवन वालों को इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाना चाहिए.
रोहिणी नक्षत्र में हुआ था भगवान श्रीकृष्ण का जन्म
जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं. ज्योतिषियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र में 12 बजे रात में हुआ था. इसलिए इसी नक्षत्र और तिथि में जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस बार रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त की सुबह 03 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रहा है.
कृष्ण की सखियां भी उनकी भक्त थीं
राधा, ललिता समेत कई उनकी प्रेमिकाएं थीं. इन सभी को सखियां भी कहा जाता है. राधा की कुछ सखियां भी कृष्ण से प्रेम करती थीं जिनमें चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, प्रमुख हैं. ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में लिखा है कि कृष्ण की कुछ ही प्रेमिकाएं थीं जिनके नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा और भद्रा. कहा जाता है कि ललिता नाम की प्रेमिका को मोक्ष नहीं मिल पाया था, तो वो बाद में मीरा के रूप में जन्म लिया. और कृष्ण भक्त बनीं.
महायोगी थे श्री कृष्ण
भगवान कृष्ण वेद और योग की शिक्षा-दीक्षा अपने गुरू महर्षि सांदीपनि से हासिल की थी. कहा जाता है कि कृष्ण ने चारों वेदों की शिक्षा एक ही दिन में हासिल कर लिया था. उनके पास एक सुदर्शन चक्र था जिसे युद्ध में सबसे घातक हथियार माना जाता था. उनके जीवन में कई चमत्कारों का वर्णन मिलता है. कृष्ण ने एक ओर जहां अपनी माया द्वारा माता यशोदा को अपने मुंह के भीतर ब्रह्मांड के दर्शन करा दिए थे. वहीं, उन्होंने युद्ध के मैदान में अर्जुन को अपने विराट रूप का दर्शन कराकर उसका भ्रम दूर किया था. दूसरी ओर उन्होंने द्रौपदी के चीरहरण के समय उसकी लाज बचाई थी. इस तरह कृष्ण के चमत्कार और माया के कई किस्से हैं.
स्कंदपुराण में मिलता है श्री कृष्ण के द्वारिका का महत्व
कंस के वध के बाद श्रीकृष्ण ने समुद्र पर द्वारिका नगरी का निर्माण कराकर एक नए राज्य की स्थापना की थी. कृष्ण के बाद यह नगरी समुद्र में डूब गई. जिसके कुछ अवशेष भी खोजे गए हैं. हिंदुओं के चार धामों में से एक द्वारिका धाम भी है. जिसे द्वारिकापुरी मोक्ष तीर्थ कहा जाता है. स्कंदपुराण में श्रीद्वारिका महात्म्य का वर्णन मिलता है.
श्रीकृष्ण ने दिया था गीता ज्ञान
श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था. गीता हिन्दुओं के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक है. गीता ज्ञान प्राप्त करने के बाद ही अर्जुन महाभारत युद्ध करने को तैयार हुए थे.
श्रीकृष्ण की जन्म कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अति शुभ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार के सभी दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए.
द्वापर युग में जन्मे थे श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में जन्म लिया था. श्रीकृष्ण को इस युग का सर्वश्रेष्ठ पुरुष माना गया है. उन्हें जगतगुरु भी कहा गया क्योंकि श्रीकृष्ण ने ही महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान दिया था.
मथुरा में 12 और गोकुल में 11 को मनाई जाएगी जन्माष्टमी
मथुरा में 12 और गोकुल में 11 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस बार कोरोना काल में जन्माष्टमी पड़ रही है. जिसकी वजह से इस बार जन्माष्टमी पर धूमधाम पिछले वर्षों के मुकाबले कम नजर आएगी. कोरोना संकट की वजह से इस बार नंद गांव में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही 'खुशी के लड्डू' बांटे जाने की परम्परा भी नहीं निभाई जाएगी.मथुरा के मंदिरों में भी प्रसाद नहीं बांटा जाएगा. मंदिरों में सोशल डिस्टैंसिंग का कड़ाई का पालन किया जाएगा.
वस्त्र खरीदते समय ध्यान दें
आपको ध्यान देना है कि भगवान कृष्ण के लिए आपने जो वस्त्र खरीदे हैं वो नए ही हो. अक्सर दुकानदार पुराने कपड़ों को ही नया बताकर बेच देते हैं. इस बात का आपको जरूर ध्यान रखना है.
नंदगाव में पूर्णमासी के दिन होती है जन्माष्मी
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्म पर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है.विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा परम्परानुसार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्योदय होने के अनुसार ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है लेकिन नन्दगांव में इसके उलट श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है.
56 भोग में रहते हैं ये सारे पकवान
56 भोग में माखन मिश्री, खीर, बदाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता, रसगुल्ला, जलेबी, लड्डू, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मूंग दाल का हलवा, पकौड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, इलायची, दाल, कढ़ी, घेवर चिला, पापड़ आदि शामिल किए जाते हैं. कुछ भक्त 20 तरह की मिठाई, 16 तरह की नमकीन और 20 तरह के ड्राई फ्रूट्स भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाते हैं.
कोरोना के मथुरा के मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के बीच बुधवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. संभवतः यह पहला अवसर होगा जब भक्त जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के दर्शन नहीं कर सकेंगे.
जन्माष्टमी पूजा का समय
जन्माष्टमी की पूजा के लिए आपको 43 मिनट का समय मिलेगी. आप 12 अगस्त की रात 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक श्रीकृष्ण जन्म की पूजा कर सकते हैं.
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है जन्माष्टमी
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोपलक्ष्य में जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है. विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा परम्परानुसार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन नन्दगांव में इसके उलट श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है.
कैसें रखें जन्माष्टमी का व्रत?
जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालु दिन भर व्रत रखतें हैं और अपने आराध्य का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. जन्माष्टमी का व्रत इस तरह से रखने का विधान है:
जो लोग जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं, उन्हें जन्माष्टमी से एक दिन पहले केवल एक वक्त का भोजन करना चाहिए.
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोलते हैं.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कोरोना का रहेगा असर
ब्रज के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (janmashtami) का पर्व धूमधाम से मनाए जाने के बावजूद कोरोना वायरस संकट के चलते इसे इस बार सार्वजनिक रूप नहीं दिया जाएगा. न ही इस अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान आदि मंदिरों में भक्तों को विशेष प्रसाद का वितरण किया जाएगा. नन्दगांव में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही 'खुशी के लड्डू' बांटे जाने की परम्परा भी नहीं निभाई जाएगी.'
जन्माष्टमी का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का देशभर में विशेष महत्व है. यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. भगवान श्रीकृष्ण को हरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. देश के सभी राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं. वहीं मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं.
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी की तिथि: 11 अगस्त और 12 अगस्त.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त 2020 को सुबह 09 बजकर 06 मिनट से.
अष्टमी तिथि समाप्त: 12 अगस्त 2020 को सुबह 05 बजकर 22 मिनट तक.
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 13 अगस्त 2020 की सुबह 03 बजकर 27 मिनट से.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 14 अगस्त 2020 को सुबह 05 बजकर 22 मिनट तक.
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इस तरह करें व्रत-पूजन
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रात: काल स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पूजन-अर्चन कर व्रत का संकल्प करें. भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित कर झांकी सजाएं. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमश: लेना चाहिए. मध्य रात्रि 12 बजे जन्मोत्सव मनाएं। अंत में प्रसाद वितरण कर भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करें. ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति को बाल कृष्ण जैसी संतान प्राप्त होती है.
मथुरा में जन्माष्टमी 12 को
मथुरा और द्वारिका में जन्माष्टमी 12 अगस्त के दिन ही मनाई जाएगी. अधिकतर स्थानों पर 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस 43 मिनट का पूजा का मुहूर्त है. जो रात्रि 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में श्रीकृष्ण जन्म की पूजा कर सकते हैं. यानि कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व 12-13 अगस्त की रात में मनाया जाएगा.
11 जुलाई और 12 जुलाई दोनों दिन कुछ इस तरह से मनाई जाएगी जन्माष्टमी
मंगलवार, 11 अगस्त को स्मार्त समुदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. यानी जो शादी-शुदा लोग, पारिवारिक या गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे. जबकि बुधवार, 12 अगस्त को उदया तिथि में वैष्णव जन के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. मथुरा और काशी में जितने भी मंदिर है, वहां 12 तारीख को ही जन्माष्टमी होगी.
इस बार श्रीकृष्ण की पूजा को लेकर है मतभेद
इस बार तिथियों की घट-बढ़ के कारण मतभेद है. कोई 11 अगस्त बता रहा है तो कोई 12 अगस्त। हालांकि अधिकांश पंचांग में इसके लिए 12 अगस्त की तारीख तय की गई है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अष्टमी तिथि 11 अगस्त मंगलवार सुबह 9 बजकर 6 मिनट से शुरू हो जाएगी और 12 अगस्त सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया जा रहा है। पंडितों के अनुसार, बुधवार की रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जा सकती है.
हिंदी तिथि के अनुसार ऐसे मनाई जाती है जन्माष्टमी
इस बार 11 अगस्त को जन्माष्टमी तिथि सुबह लग जाएगी, जो 12 अगस्त को सुबह 11 बजे रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को लग रहा है. ऐसे में सभी कंफ्यूज हैं कि 11 को पूजा औऱ व्रत करें या फिर 12 को. कई ज्योतिषियों ने इसके लिए बताया कि जब उदया तिथि हो यानी जिस तिथि में सूर्योदय हो रहा हो, उस तिथि को ही जन्माष्टमी मनाई जाती है.
जन्माष्टमी का व्रत किस दिन रखें
हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. ज्योतिष गणना के अनुसार भगवान श्री कृष्ण रात के अंधकार में 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था. अब इसी मान्यता को बल दिया जाए तो 11 अगस्त को जन्माष्टमी तिथि सुबह लग जाएगी, जो 12 अगस्त को सुबह 11 बजे तक रहेगी. वहीं रोहिणी नक्षत्र को प्रधानता दें तो ये 13 अगस्त को लग रहा है. इसी को देखते हुए लोग भ्रमित हैं कि व्रत 11 अगस्त को रखें या 12 को.