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रूसी वैक्सीन पर बोले, रणदीप गुलेरिया, देखना होगा क्या यह सुरक्षित और प्रभावी है
रूस के कोरोना वैक्सीन पर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, यदि टीका सफल रहा, तो हमें गंभीर रूप से देखना होगा कि क्या यह सुरक्षित और प्रभावी है. उन्होंने कहा, भारत में वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की क्षमता है.
रूस ने बना ली कोरोना वैक्सीन, पुतिन ने किया ऐलान
रूस ने कोरोना की पहली वैक्सीन तैयार कर ली है. इसकी घोषणा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कर दी है. इधर रूस की समाचार एजेंसी के मुताबिक रूस ने दुनिया की सबसे पहली कोरोना वैक्सीन को रजिस्टर करवा लिया है. व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि कोरोना वैक्सीन टेस्ट के दौरान सफल साबित हुई है. उन्होंने कहा कि उनकी एक बेटी ने भी वैक्सीन की डोज ली है और वह अच्छा महसूस कर रही है.
फिलीपीन्स के राष्ट्रपति को रूसी वैक्सीन पर भरोसा
फिलीपीन्स के राष्ट्रपति रोड्रिगो ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में रूस की कोशिश की जमकर तारीफ की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार उन्होंने रूस की इस वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की. रूस ने फ़िलीपीन्स को यह वैक्सीन मुहैया कराने का वादा किया है. रूस उम्मीद कर रहा है कि इस महीने उसकी वैक्सीन को रेग्युलेटरी मंजरी मिल जाएगी. फिलीपीन्स में भी रूस की वैक्सीन का उत्पादन किया जा सकता है. फिलीपीन्स एशिया के उन देशों में शामिल है जहां कोरोना के मामले बड़ी संख्या में हैं.
चीन की सिनोवैक सबसे अहम पड़ाव पर
चीन की सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड ने मंगलवार को कोविड-19 वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के अंतिम चरण की शुरुआत की है. इस वैक्सीन का ट्रायल इंडोनेशिया में 1620 मरीज़ों पर किया जा रहा है. यह वैक्सीन इंडोनेशिया की सरकारी कंपनी बायो फ़ार्मा के साथ मिलकर बनाई जा रही है. इसके पहले सोमवार को सिनोवैक ने जानकारी देते हुए कहा कि ट्रायल के दूसरे चरण में वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है और मरीज़ों में एंटीबॉडी आधारित इम्यून रिस्पॉन्स मिले हैं. कोरोनावैक नाम की यह वैक्सीन उन चंद असरदार वैक्सीन में से एक है जो परीक्षण के इस चरण तक पहुंची हैं. इनका अध्ययन करके इनके असर को लेकर सबूत जुटाए जा रहे हैं. कोरोनावैक का अंतिम स्तर का परीक्षण पहले से ही ब्राज़ील में चल रहा है और सिनोवैक को उम्मीद है कि इसका परीक्षण बांग्लादेश में भी किया जाएगा.
कोवैक्सीन की पहली डोज के ट्रायल का परिणाम सुखद
आईसीएमआर की कोविड वैक्सीन बीबीवी-152 (कोवैक्सीन) की पहली डोज का ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल का परिणाम सुखद रहा है. कानपुर में 33 वालंटियर्स को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई थी. डोज देने के 11 दिन के बाद भी सभी वालंटियर्स स्वस्थ हैं. सिर्फ दो ने वैक्सीन लगाए जाने वाली जगह पर लालिमा आने की जानकारी दी है. शेष किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं की. अब सभी के एंटी बॉडीज टाइटर टेस्ट के लिए ब्लड सैम्पल लेकर वैक्सीन की दूसरी डोज 13 व 14 अगस्त को लगाई जाएगी. बता दें कि आईसीएमआर ने वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए कानपुर के प्रखर हॉस्पिटल का चयन किया है. ट्रायल टीम के चीफ गाइड डॉ. जेएस कुशवाहा के अनुसार सभी 33 वालंटियर्स पर वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद आए बदलावों की एक रिपोर्ट आईसीएमआर को भेजी गई है.
देसी कोरोना वैक्सीन पर आया नया अपडेट
दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ आदर पूनावाला ने कहा है कि भारत को दिसंबर तक कोरोना वैक्सीन मिल जाएगा. एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि दिसंबर की शुरुआत में कंपनी कोविड-19 वैक्सीन लॉन्च कर देगी. वही जायडस कैडिला की वैक्सीन का फेज 1 ट्रायल पूरा ही होने वाला है. कंपनी के चेयरमैन पंकज पटेल के मुताबिक, उन्हें अगले साल मार्च तक वैक्सीन लॉन्च करने की उम्मीद है.
रूस का दावा
रूस का दावा है कि कोरोना वैक्सीन तैयार करने में वह दुनियाभर के देशों से आगे हैं. रूस के उप स्वास्थ्य मंत्री ओलेग ग्रिडनेव ने ऐलान किया कि कल यानी 12 अगस्त को करोना वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन होगा. हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देश रूस के इस दावे को संशय भरी निगाहों से देख रहे हैं. मगर रूस का दावा है कि उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है, जिसका पंजीकरण कल होगा और उसके बाद इसके उत्पादन और टीकाकरण पर जोर दिया जाएगा.
कोरोना वैक्सीन बनाने की जंग
इस समय पूरी दुनिया में 165 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है. इनमें से 29 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दौर में हैं. सिर्फ सात वैक्सीन ऐसी हैं, जो ट्रायल के आखिरी फेज में हैं. रूस में बनी यह वैक्सीन गामालेया शोध संस्थान और रूस के रक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में तैयार हुई है
विशेषज्ञों ने दी है चेतावनी
विशेषज्ञों की चेतावनी है कि ट्रायल के दौरान जिनमें एंटीबॉडीज बन रही हैं उनके लिए यह वैक्सीन खतरनाक भी साबित हो सकती है. रूस के संक्रामक रोग विशेषज्ञ अलेक्जेंडर चेपुरनोव ने भी वैक्सीन ट्रायल का डाटा और विस्तृत जानकारी उपलब्ध न कराए जाने पर सवाल उठाया है विशेषज्ञों का मानना है कि गलत वैक्सीन देने पर बीमारी के बढ़ने की आशंका हो सकती है.