बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के कुलपति प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि दिल्ली और इलाहाबाद के कुछ अराजक तत्व यहां आकर माहौल ख़राब कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि शनिवार रात बीएचयू कैंपस के भीतर जो पुलिस कार्रवाई हुई वो उन्हीं तत्वों की वजह से हुई.
बीबीसी से ख़ास बातचीत में प्रोफ़ेसर त्रिपाठी ने दावा किया, "बीएचयू के छात्रों का मुझसे विरोध हो सकता है, मेरे विचारों से उन्हें परेशानी हो सकती है, लेकिन वो पंडित मदन मोहन मालवीय और अपने विश्वविद्यालय के बारे में कभी ग़लत नहीं सोच सकते."
उनका कहना है कि बाहरी तत्व ही विश्वविद्यालय के सिंह द्वार पर छात्राओं को भड़का रहे थे. उन्होंने कहा कि जब वो उनसे मिलने के लिए जा रहे थे तो पथराव और नारेबाज़ी शुरू कर दी.
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आरोप हैं कि शनिवार देर रात विश्वविद्यालय के गेट पर पिछले दो दिनों से धरना दे रही छात्राओं को पुलिस ने वहां से ज़बरन खदेड़ दिया, लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए.
छात्राओं की अभी तक यही शिकायत थी कि वीसी उनसे आकर क्यों नहीं मिल रहे हैं?
इस बारे में प्रोफ़ेसर त्रिपाठी कहते हैं, "मुझे मिलने में कोई दिक़्क़त नहीं है. मैं पहले भी कई छात्राओं से मिला और उन छात्राओं को अपने किए पर पछतावा भी था. शनिवार रात भी मैं उनसे मिलने ही जा रहा था, लेकिन तभी कुछ अराजक तत्वों ने माहौल को ख़राब करने की कोशिश की."
उन्होंने कहा कि बाहरी तत्वों के ही कारण छात्रावासों में तलाशी ली गई और इस दौरान हो सकता है कि पुलिसकर्मियों ने छात्र-छात्राओं के साथ सख़्ती की हो या परेशान किया हो. इसके लिए उच्चस्तरीय जांच कमेटी बैठा दी गई है जो एक हफ़्ते में अपनी रिपोर्ट दे देगी.
इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में ज़बर्दस्त अफ़रा-तफ़री देखी गई. विश्वविद्यालय की छात्राएं अपना सामान समेटे घरों को वापस जा रही हैं और छात्र छात्रावासों के बाहर नारेबाज़ी कर रहे हैं.
विश्वविद्यालय को दो अक्टूबर तक के लिए बंद कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि छात्रावासों को रविवार शाम तक खाली करने को कहा गया है.
हालांकि वीसी प्रोफ़ेसर त्रिपाठी इस बात से साफ़ इनकार करते हैं, "ऐसा आदेश नहीं दिया गया है. हॉस्टल खाली कराने की बात कहां से आ रही है, पता नहीं. दशहरे की छुट्टियों को सिर्फ़ एक दिन पहले किया गया है."
विश्वविद्यालय में कथित बाहरी और अराजक तत्वों के सवाल पर वो कहते हैं, "इलाहाबाद की कई छात्राओं को तो वीडियो फ़ुटेज में मैंने पहचाना भी है. ये वहां भी धरना-प्रदर्शन करती हैं और अब यहां भी आई हुई हैं. इसके अलावा बताया गया है कि दिल्ली से भी एक ख़ास विचारधारा के लोग यहां आकर माहौल बिगाड़ रहे हैं."
विश्वविद्यालय में इन दिनों छात्रों का एक समूह ये कहते हुए मिल रहा है कि ‘बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देंगे.’ इस बात से प्रोफ़ेसर त्रिपाठी भी सहमत दिखे.
उन्होंने कहा, "जेएनयू अपनी अकादमिक ख़ूबी के लिए कम जाना जाता है, लेकिन एक ऐसे समुदाय के कार्यों की वजह से ज़्यादा जाना जाता है जो राष्ट्र को सिर्फ़ एक भूभाग समझते हैं. लेकिन बीएचयू छात्रों के भीतर राष्ट्रवादी भावना को पोषित करने का काम करता रहा है और उसकी ये परंपरा हम किसी क़ीमत पर खंडित नहीं होने देंगे."
प्रोफ़ेसर त्रिपाठी का कहना है कि 21 सितंबर को जिस छात्रा से दुर्व्यवहार हुआ, उसे भी उनसे कोई शिकायत नहीं है. उनका कहना था कि छात्रा उनके पास आई थी और उसे दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई का भरोसा दिया गया है.
वाराणसी में 21 सितंबर को एक छात्रा के साथ कथित तौर पर हुई छेड़छाड़ के बाद छात्राओं ने दो दिन तक विश्वविद्यालय के गेट के बाहर धरना प्रदर्शन किया था जिसे शनिवार देर रात प्रशासन ने ज़बरन ख़त्म करा दिया.
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