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राजस्व कर्मचारी निलंबित

रिश्वतखोरी का मामला. डीसीएलआर की कार्यशैली संदिग्ध बेतिया : बैरिया के राजस्व कर्मचारी नूतन कुमार प्रभात को डीएम लोकेश कुमार सिंह ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. उक्त राजस्व कर्मचारी पर जमाबंदी कैंसिलेशन वाद में दो लाख रुपये रिश्वत लेने एवं जमीन के दलालों से साठ-गांठ रखने का आरोप था. आरोपो की जांच […]

रिश्वतखोरी का मामला. डीसीएलआर की कार्यशैली संदिग्ध

बेतिया : बैरिया के राजस्व कर्मचारी नूतन कुमार प्रभात को डीएम लोकेश कुमार सिंह ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. उक्त राजस्व कर्मचारी पर जमाबंदी कैंसिलेशन वाद में दो लाख रुपये रिश्वत लेने एवं जमीन के दलालों से साठ-गांठ रखने का आरोप था. आरोपो की जांच अपर समाहर्ता ने की थी. जिसमें आरोप सही पाये जाने एवं अपर समाहर्ता के प्रतिवेदन के आधार पर राजस्व कर्मचारी नूतन कुमार प्रभात को निलम्बित किया गया है. डीएम श्री सिंह ने निलंबित राजस्व कर्मचारी नूतन कुमार प्रभात का निलंबन अवधि में मुख्यालय चनपटिया अंचल बनाया है. डीएम ने बताया कि उक्त राजस्व कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई संचालित करने के लिए प्रभारी पदाधिकारी जिला राजस्व शाखा को आरोप पत्र प्रपत्र क गठित कर उपस्थापित करने का निर्देश दिया गया है.
बैरिया अंचल कार्यालय के राजस्व कर्मी नूतन कुमार प्रभात बुरे फंसे है. उनपर एक मामले में दलाली करने व रिश्वतखोरी के लगे आरोपों की पुष्टि हुई है. साथ ही इस मामले में बेतिया डीसीएलआर अखिलेश्वर प्रसाद वर्मा की कार्यशैली व उनकी भूमिका भी संदिग्ध पाया गया है. मामला जमाबंदी निरस्तीकरण से संबंधित है. इस मामले में लोक शिकायत निवारण कार्यालय की ओर से हुई सुनवाई के बाद लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने राजस्व कर्मी नूतन प्रभात व डीसीएलआर अखिलेश्वर प्रसाद वर्मा के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएम को प्रतिवेदन भेजी है. माना जा रहा है कि मामले में डीएम की ओर से कार्रवाई की जा सकती है.
जानकारी के अनुसार, शहर के लाल बाजार के रहने वाले विनोद सिंघानिया व ओमप्रकाश सिंघानिया के बीच एक जमीन को लेकर विवाद है. इस मामले में ओमप्रकाश सिंघानिया की ओर से डीसीएलआर की कोर्ट में जमाबंदी निरस्तीकरण का मुकदमा दायर किया गया था. मामले में सुनवाई के बाद नवंबर 2016 में ही डीसीएलआर कोर्ट की ओर से आदेश की प्रति सुरक्षित रख ली गयी, लेकिन अंतिम आदेश जारी नहीं किया गया. इसी बीच राजस्व कर्मी नूतन कुमार प्रभात मामले को लेकर विनोद सिंघानिया के घर पहुंचे और
इनके पक्ष में आदेश जारी कराने के लिए रिश्वत की मांग की. नूतन प्रभात ने मामले में विनोद के विपक्षी ओमप्रकाश सिंघानिया की ओर से दिये गये दो लाख रुपये का चेक भी दिखाया और बोले कि दूसरी पार्टी ने दो लाख रुपये दिये हैं. यदि आप इससे ज्यादा पैसा देंगे तो बैक डेट में आपके पक्ष में आदेश जारी करवा देंगे. इसपर विनोद ने असमर्थता जाहिर की और पैसा देने से मना कर दिया. इसके बाद मामले में विनोद सिंघानिया ने लोक शिकायत निवारण कार्यालय में वाद दायर कर नूतन प्रभात पर दलाली व रिश्वतखोरी करने का आरोप लगाते हुए मामले में सुनवाई करने की मांग की.
क्या कहा, लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने.. : ” चूंकि जमाबंदी निरस्तीकरण मामले में प्रथम ओमप्रकाश सिंघानिया के द्वारा राजस्व कर्मी नूतन प्रभात के खाते में दो लाख रुपये भुगतान प्रमाणित है, इसलिए माना जा सकता है कि यह इस मामले से संबंध रखता है. इस प्रकार नूतन प्रभात पर लगाये गये आरोप प्रमाणित होते हैं. डीसीएलआर का यह कथन भी विश्वसनीय प्रतीत नहीं होता है कि कार्य व्यस्तता के कारण आदेश पारित नहीं किया जा सका. उन्हें आदेश पारित कर देना चाहिए था. यह उनकी कार्यशैली की संदिग्धता एवं लापरवाही को परिलक्षित करता है.”
लोक शिकायत निवारण कार्यालय की ओर से जारी हुआ आदेश
जमाबंदी निरस्तीकरण में रिश्वतखोरी का मामला
राजस्वकर्मी नूतन प्रभात पर पक्ष में आदेश जारी करने के नाम पर दो लाख रुपये की दलाली खाने के आरोप प्रमाणित
बोला, राजस्व कर्मी- कर्ज अदायगी के थे दो लाख
मामला लोक शिकायत निवारण में आने के बाद इसकी सुनवाई शुरू की गयी. परिवादी विनोद सिंघानियां ने उक्त आरोप अपने बयान में दर्ज कराया. इसके बाद सुनवाई के लिए राजस्व कर्मी नूतन प्रभात को बुलाया गया. जहां नूतन प्रभात ने बताया कि वह ओमप्रकाश सिंघानियां को बीते पांच वर्षों से जानते थे. इसी बीच ओमप्रकाश सिंघानिया व उनकी पत्नी की बीमारी के इलाज के लिए उन्होंने दो लाख रुपया विनोद चौधरी, मंजेश्वर राय व राजेंद्र कुशवाहा से उधार लेकर ओमप्रकाश सिंघानिया को दिया था. बाद में यह पैसा नोटबंदी होने के नाते ओमप्रकाश सिंघानिया ने चेक के रुप में उन्हें लौटाया. जिनका उन्होंने अपने खाते में भुगतान किया. वहीं सुनवाई में उपस्थित हुए डीसीएलआर अखिलेश्वर वर्मा ने जमाबंदी निरस्तीकरण मामले में आदेश जारी करने के देरी के संदर्भ में खुद की व्यवस्तता का हवाला दिया और किसी भी रिश्वतखोरी से इनकार किया.

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