मध्यप्रदेश के बड़वानी में सेंधवा किले में बने रानी सती के मंदिर को लेकर विवाद पैदा हो गया है.
इस मंदिर में मंगलवार को प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये एक भव्य आयोजन किया गया. लेकिन इस मंदिर का विरोध भी कई लोग कर रहे है.
इनका दावा है कि प्रशासन को पूरी जानकारी थी लेकिन इसके बावजूद इसे रोकने के लिए कुछ भी नही किया गया.
सेंधवा किले में बने रानी सती के मंदिर के बारे में दावा किया जा रहा है कि इसको बनाने में लगभग तीन करोड़ रुपये ख़र्च किए गए.
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मंदिर का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण कई सालों से चल रहा था इसके बावजूद शासन, प्रशासन अनजान बना रहा.
सेंधवा के सब डिवीजनल ऑफ़िसर बीएस कलेश ने बीबीसी को बताया, "इस मंदिर के निर्माण में आपत्ति बहुत देर से की गई, वहीं ये पूरा मामला आस्था का है इसलिए कारवाई नही की जा सकती थी."
उन्होंने बताया कि इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं और उसके बाद ही कारवाई की जाएंगी.
वो आगे कहते है, "इतने सालों से निर्माण चल रहा था उसके बावजूद किसी ने भी कोई शिकायत नही की. जब प्राण प्रतिष्ठा की जाने लगी तब उसकी शिकायत की गई."
सती मामले में कार्रवाई की सिफ़ारिश
जिम्मेदारी प्रशासन की…
अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के संयोजक अजय मित्तल इस मंदिर के निर्माण का विरोध कर रहे हैं.
उनका कहना है, "हाई कोर्ट पहले ही आदेश दे चुका है कि किला परिसर के 200 मीटर के दायरे में किसी प्रकार का निर्माण न हो."
अजय मित्तल प्रशासन के इस तर्क से सहमत नही है कि इस मंदिर के निर्माण की शिकायत बहुत देर से की गई.
उनका कहना है, "सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण करके मंदिर का निर्माण नही किया जाना चाहिए, इसे देखना जिम्मेदारी प्रशासन की है."
सती जैसी कुप्रथा
इसका विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि इस मंदिर के निर्माण से सती जैसी कुप्रथा का महिमामंडन किया जा रहा है.
इस मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले सतीश शर्मा इसमें कुछ भी ग़लत नही मानते हैं.
उन्होंने कहा, "हम सती प्रथा का विरोध करते हैं, लेकिन ये मंदिर हमारी कुल देवी का मंदिर है."
वहीं, इस मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मौजूद प्रदेश सरकार के मंत्री अंतर सिंह दरबार अपनी मौजूदगी का बचाव अलग तरह से कर रहे हैं.
उनका कहना है कि वो किसी अन्य कार्यक्रम में आए थे और कुछ लोगों से मिलने के लिए रुक गए थे. उन्होंने ये भी कहा कि वो सती के विरोधी हैं.
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