Jharkhand News: राज्य के पंचायत और नगर निकाय चुनावों में ओबीसी या पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने की पहल शुरू नहीं की गयी है. थ्री लेयर टेस्ट में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग का गठन किया जाना अनिवार्य है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 19 जनवरी को राहुल रमेश बाघ बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले की सुनवाई के बाद आदेश दिया था कि कोई भी राज्य सरकार बिना ट्रिपल टेस्ट कराये ओबीसी को चुनाव में आरक्षण नहीं दे सकती है. उच्चतम न्यायालय ने मई महीने में भी मध्य प्रदेश सरकार के एक मामले की सुनवाई के पूर्व के आदेश को दोहराया. हालांकि, अब तक राज्य में ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग का गठन नहीं किया गया है.
राज्य में ट्रिपल टेस्ट नहीं होने तक ओबीसी को पंचायत या नगर निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जायेगा. ट्रिपल टेस्ट होने तक पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित सीट को सामान्य कैटेगरी में ही मान कर चुनाव कराया जायेगा. ट्रिपल टेस्ट नहीं होने से ही पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया था. नगर निकायों का चुनाव भी ओबीसी आरक्षण के बिना ही किया जा रहा था. लेकिन, मेयर के पद पर आरक्षण को लेकर उभरे विवाद के बाद निकाय चुनाव टाल दिया गया.
उत्तर प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने से सरकार ने इनकार कर दिया है. वहां ट्रिपल टेस्ट कराने के लिए कमेटी बना दी है. इसमें रिटायर जस्टिस रामअवतार सिंह को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. इनके साथ पांच सदस्यों की कमेटी बनायी गयी है. उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय और पंचायत चुनाव कराने पर सहमति जतायी थी. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को लेकर एक ड्राफ्ट बनाया था. इसे न्यायालय ने रद्द कर किया था.
बिहार में हाल ही में नगर निकाय और निगम का चुनाव कराया जा रहा है. वहां बिना ट्रिपल टेस्ट कराये ही चुनाव कराया जा रहा है.
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सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में होनेवाले पंचायत और नगर निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने की तीन जांच आर्हताएं तय की हैं. जिसके मुताबिक पिछड़े वर्ग के लोगों की सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक स्थिति मालूम करने के बाद ही आरक्षण तय किया जायेगा. इसके लिए राज्य सरकार को आयोग का गठन कर ओबीसी का इंपिरिकल डेटा इकट्ठा करना है. आयोग एसटी, एससी व अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 से अधिक नहीं होना भी तय करेगा.