बिहार के किसानों के लिए कांटी के किसानों ने एक नजीर पेश की है. दरअसल, जल संरक्षण को बढ़ावा देने में जिले के किसानों की भूमिका का दायरा भी बढ़ने लगा है. वहीं इनके बेहतर कृषि की चर्चा राज्य स्तर पर होने लगी है. कांटी प्रखंड के फुलकाहा गांव के किसान बच्चा बाबू ने पारंपरिक तरीके से पटवन को छोड़कर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति ( स्प्रिंकलर ) को अपनाया. जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ. अपने खेतों में वे स्प्रिंकलर से ही वर्षा के पानी की तरह फसलों लहलहा रहे है. योजना से जुड़कर उनके इस पद्धति के बारे में कृषि विभाग पटना की टीम ने तारीफ की है.
मॉडल के रूप में किया गया चयन
कृषि विभाग ने राज्य के अन्य किसान को जागरूक करने के लिए मॉडल के रूप में भी चयन किया है. साथ ही खेतों में उनके साथ कृषि विभाग की टीम ने एक विशेष वीडियो तैयार कर सोशल मीडिया पर जारी किया है. राज्य स्तर पर कृषि विभाग के आधिकारिक ट्विटर पेज पर इसे शेयर किया गया है. साथ ही सवाल पूछे जाने पर बताया गया है कि कृषि विभाग के बेवसाइट पर प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत लोग मशीन और इस पद्धति को लेकर आवेदन कर सकते है.
किसान ने कहा प्रति एकड़ 2 हजार की बचत
फुलकाहा के किसान बच्चा बाबू ने बताया कि पहले वे पारंपरिक तरीके से खेती करते थे. जिसमें पानी की बहुत अधिक बर्बादी होती थी. पानी पटवन में समस्या के साथ डीजल खरीद कर लाना पड़ता था. सूक्ष्म सिंचाई पद्धति अपनाने से मेड़ बनाने की जरूरत नहीं होती है. ऐसे में प्रति एकड़ 2 हजार रुपया लेबर कॉस्ट की बचत हो रही है. कई जगहों पर खेत कहीं नीचा कहीं उंचा होता है, इस कारण पारंपरिक तरीके से पानी उंचे जगहों पर पहुंचाने में परेशानी होती थी. स्प्रिंकलर से पूरे खेत में एक समान ढंग से फव्वारा के जरिये पानी का पटवन होता है. जिससे पानी की बर्बादी नहीं होती है. पहले एक पंप के चलाने के लिये दो लोगों की जरूरत होती थी. लेकिन इसमें बटन दबाते वर्षा की तरह हर पौधे के ऊपर से जड़ तक पानी पहुंचता है. फसल में कीट लगने की संभावना भी कम हो जाती है.
कम पूंजी में होगी बेहतर पैदावार
समय की बचत के साथ कम पूंजी में बेहतर पैदावार कृषि विभाग के अनुसार सूक्ष्म सिंचाई विधि से कृषि करने के अनेकों लाभ हैं. इस विधि से कृषि करने से समय की बचत, कम कम पानी, कम पूंजी, बेहतर पैदावार, कम मेहनत सहित कई लाभ हैं. इस पद्धति से किसान सूक्ष्म सिंचाई विधि से कृषि कार्य कर जल संरक्षण को बढ़ावा के साथ-साथ कम मेहनत व कम पूंजी में बेहतर पैदावार कर आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रहे है.