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2000 रुपये के गुलाबी नोट बाजार से कैसे हो गए गायब? नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उठने लगे सवाल

2000 Rupee Note: गुलाबी रंग वाला 2000 रुपये का नोट आरबीआई 2016 में नोटबंदी के बाद लेकर आयी थी. इसका मकसद था बाजार में तेजी से नकदी की सप्लाई बढ़ाना, क्योंकि तब के 1000 और 500 रुपयेवाले 'बड़े नोट' लीगल टेंडर नहीं रह गए थे.

2000 Rupees Notes / SC Verdict on Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि केंद्र सरकार (Central Government) के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोट बंद करने के फैसले को अनुचित नहीं (Demonetisation Verdict) ठहराया जा सकता है. न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि इस संबंध में फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) और सरकार के बीच विचार-विमर्श के बाद किया गया. न्यायालय ने कहा कि आठ नवंबर 2016 की अधिसूचना को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता और फैसला करने की प्रक्रिया के आधार पर इसे रद्द नहीं किया जा सकता. अधिसूचना में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोट बंद करने के फैसले की घोषणा की गई थी. और इसके साथ ही 2000, 500, 200, 100, 50, 20 और 10 रुपये के नये नोट बाजार में उतारे गए थे. बाकी नोटों की तो स्थिति ठीक है, लेकिन पिछले कई महीनों से 2000 रुपये के नोटों (Rs 2000 Currency Notes) के दर्शन दुर्लभ होते जा रहे हैं. आखिर क्या है मौजूदा स्थिति और क्या है इसकी वजह? आइए जानते हैं-

तेजी से नगदी की सप्लाई बढ़ाने के लिए आये थे 2000 रुपये के नोट

शुरू से शुरू करें, तो गुलाबी रंग वाला 2000 रुपये का नोट आरबीआई 2016 में नोटबंदी के बाद लेकर आयी थी. इसका मकसद था बाजार में तेजी से नकदी की सप्लाई बढ़ाना, क्योंकि तब के 1000 और 500 रुपयेवाले ‘बड़े नोट’ लीगल टेंडर नहीं रह गए थे. तब के समय को याद करें, तो लोग अपने 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट लेकर बैंकों में कतार लगाकर उन्हें बदलते थे. तब सबसे पहले 2000 रुपये का नोट ही आया था और लोग अपने पुराने नोट बदलकर इसे ही ले जाते थे. 500 रुपये और उससे छोटे नोट तो बाद में आये.

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2000 रुपये के नोट को वापस लेने की मांग

अब चूंकि नोटबंदी को छह साल से ज्यादा का समय बीत चुका है और स्थितियां सामान्य हो चुकी हैं, अब 2000 रुपये के नोट को वापस लेने की मांग शुरू हो चुकी है. जी हां, केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने पिछले दिनों राज्यसभा में कहा कि 2000 रुपये का नोट का मतलब अब ब्लैकमनी हो चुका है. उन्होंने कहा कि सरकार को 3 साल का जनता को समय देकर धीरे-धीरे 2000 रुपये के नोट को वापस ले लेना चाहिए.

2000 रुपये के नोट के दर्शन हुए दुर्लभ

8 नंवबर 2016 को, यानी 6 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान कर 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोटों को रद्द दिया था. नोटबंदी के बाद बाजार में नकदी डालने के लिए आरबीआई 2000 रुपये के नोट लेकर आयी थी. अब 2000 रुपये के नोट यदा-कदा ही कहीं दिखाई देते हैं. एटीएम से भी 2000 रुपये के नोट बिरले ही निकलते हैं. यही नहीं, कई बार तो बाजार में 2000 रुपये के नोट के लीगल टेंडर खत्म होने की भी अफवाह उड़ती रहती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो एक ओर जहां 2000 रुपये के नोट की जमाखोरी हो रही है, वहीं अब 2000 रुपये के जाली नोट बाजार में आने की खबरें भी आने लगी हैं.

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2000 के नोट की प्रिंटिंग की क्या है स्थिति?

अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि 2000 रुपये के गुलाबी नोट आखिर चले कहां गये? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिसंबर 2021 में शीतकालीन सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में बताया था कि 2018-19 के बाद से 2000 रुपये के नोट की प्रिंटिंग के नये ऑर्डर जारी नहीं किये गए हैं. उन्होंने बताया कि 2018-19 के बाद से ही 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद है, जिसके चलते 2000 के नोटों के सर्कुलेशन में कमी आयी है. भारतीय रिजर्व बैंक ने भी साल 2021-22 की अपनी सालाना रिपोर्ट में यह माना कि देश में 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन काफी घट गया है.

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