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सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने पर विचार कर रही है झारखंड सरकार, फिलहाल ये है प्लान

केंद्रीय वन मंत्रालय ने राज्य सरकार की अनुशंसा पर दो अगस्त 2019 को पारसनाथ को वन्य जीव अभयारण्य घोषित कर पर्यावरण पर्यटन और अन्य गतिविधियों की अधिसूचना जारी की. इस अधिसूचना को विलोपित या रद्द करने की मांग को लेकर देश भर में प्रदर्शन कर रहा है.

झारखंड सरकार गिरिडीह के श्री सम्मेद शिखर जी यानि पार्श्वनाथ (पारसनाथ) पर्वत को ‘धार्मिक पर्यटन क्षेत्र’ घोषित करने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर पारसनाथ, देवघर, रजरप्पा, इटखोरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों के लिए समेकित रूप से नीति तैयार करने पर मंथन किया जा रहा है. फिलहाल, राज्य में किसी भी स्थान को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने से संबंधित कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, धार्मिक अक्षुण्णता बनाये रखने के लिए सरकार के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन ने पारसनाथ में मांस व मदिरा की बिक्री या सेवन पूर्व से ही प्रतिबंधित कर रखा है.

केंद्रीय वन मंत्रालय ने राज्य सरकार की अनुशंसा पर दो अगस्त 2019 को पारसनाथ को वन्य जीव अभयारण्य घोषित कर पर्यावरण पर्यटन और अन्य गतिविधियों की अधिसूचना जारी की थी. जैन समाज द्वारा इस अधिसूचना को विलोपित या रद्द करने की मांग को लेकर देश भर में प्रदर्शन कर रहा है. समाज के प्रतिनिधि पर्यटन स्थलों की सूची में शिखर जी को शामिल करने से वहां मांस व मदिरा की बिक्री होने व क्षेत्र की पवित्रता भंग होने की आशंका जता रहे हैं.

फिलहाल, ये है राज्य सरकार का मास्टर प्लान :

राज्य सरकार ने पारसनाथ को वन्य जीव अभयारण्य सह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का मास्टर प्लान बनाया है. योजना के तहत वन्य जीव अभयारण्य के रूप में इलाके को विकसित किया जाना है. केंद्र सरकार के प्रावधानों के दायरे में रह कर वाणिज्यिक खनन, आरा मिल, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग, प्रमुख जलविद्युत परियोजना, लकड़ी का व्यावसायिक उपयोग, राष्ट्रीय उद्यान के ऊपर गर्म हवा के गुब्बारे, अपशिष्टों का निर्वहन या कोई ठोस अपशिष्ट या खतरनाक पदार्थों का उत्पादन जैसे कार्यों को पूरी तरह से निषेध कर विकास योजना तैयार की गयी है.

अभी पारसनाथ में जो विवाद चल रहा है, उसको लेकर क्या स्थिति है?

जैन समाज के लोगों ने चलते सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री ने उनको आश्वस्त किया था कि उनकी भावना के विपरीत कोई काम नहीं होगा. इसको लेकर जैन समाज के लोगों को निश्चिंत रहने की जरूरत है.

Qसरकार इस बारे में आगे क्या सोच रही है?

सरकार ने जैन समाज को आश्वस्त किया है कि जो भी होगा, उनकी भावना के अनुरूप होगा. अगर सरकार को इस आदेश में बदलने की जरूरत होगी, तो भी सरकार पीछे नहीं हटेगी. जैन समाज को चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

यह विवाद क्यों है?

रघुवर सरकार के समय का यह मामला है. वर्तमान सरकार के समय जब यह मामला आया, तो हम लोगों ने गंभीरता से लिया है. जैन समाज की इस मामले में जो भी आपत्ति या आशंका है, उसे उनकी भावना के अनुरूप दूर किया जायेगा.

सम्मेद शिखर जी अंतरराष्ट्रीय महत्व का स्थल है. राज्य सरकार यहां की पवित्रता बनाये रखने के लिए कटिबद्ध है. यहां मांस व मदिरा की बिक्री या सेवन पूरी तरह से प्रतिबंधित है. हालांकि केवल पारसनाथ को ही अलग क्षेत्र घोषित कर सिर्फ वहां के लिए कोई नीति लागू करना संभव नहीं है. मुख्यमंत्री ने पारसनाथ समेत राज्य में स्थित सभी धार्मिक स्थलों के विकास के लिए नीति तैयार करने का निर्देश दिया है. इस पर मंथन चल रहा है.

– विनय कुमार चौबे, मुख्यमंत्री के सचिव

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