बिहार पुलिस के इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (इआरएसएस) का दायरा और गुणवत्ता बढ़ाने की तैयारी कर ली गयी है. पुलिस, एंबुलेंस एवं फायर ब्रिगेड समेत सभी इमरजेंसी सेवाओं के लिए शुरू की गयी डायल-112 में अब शिकायत ही दर्ज नहीं की जा रही समाधान के बाद शिकायतकर्ता को फोन कर यह भी पूछा जा रहा है कि कार्रवाई से वह संतुष्ट है या नहीं. इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम के कमांड सेंटर पर प्रत्येक कॉल पर पुलिस एक्शन क्या रहा इसके फीड बैक के आदेश दिये गये हैं. सेवा की गुणवत्ता को लेकर कोई गड़बड़ी नहीं कर दे इसके लिये फीडबैक को ऑडियो और वीडियाे मोड में रिकार्ड किया जा रहा है. इसके साथ ही शहर की तंग गलियों में डायल-112 की टीम पहुंच सके इसके लिये बाइक दस्ता भी गठित किया जायेगा. इस दस्ता में छोटे हथियार से लैस दो पुलिस कर्मी होंगे. इसके लिये बाइक की खरीद की जा रही है. जीपीएस लगी बाइक हूटर और रेडियाे से लैस होगी. दूसरे चरण में कितने दो पहिया और चार पहिया वाहन खरीदे जायेंगे यह संख्या अभी तय नही है.
सरकार ने मुख्यालय के प्रस्ताव पर मांगा मंतव्य
पुलिस मुख्यालय ने दिसंबर तक इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम के तहत दूसरे चरण की शुरुआत करने का लक्ष्य तय किया था. इसमें रिस्पांस टाइम 14 मिनट का करने के साथ ही गांव और तंग गलियों तक सेवा देने का प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रस्ताव में 18 हजार पुलिस कर्मियों की बहाली और 1800 वाहन की खरीद की मांग रखी गयी है. प्रस्ताव को लेकर गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय से मंतव्य मांगा है.
घरेलू हिंसा के 13, आपसी विवाद के 40 फीसद मामले पहुंच रहे
पुलिस मुख्यालय द्वारा अक्टूबर में जारी आंकड़ों को आधार मानें तो डायल 112 पर 25533 से शिकायतें में घरेलू हिंसा के 13 फीसद, दुर्घटना के 9, चिकित्सा से जुड़े 6 फीसद मामले आए थे. आपसी विवाद के 40, मद्य निषेध कानून के तहत सात और लूट और चोरी से संबंधित चार फीसद मामले दर्ज किये गये . वही अग्निकांड से जुड़े दो फीसद मामले सामने दर्ज किये गये थे. अभी 400 गाड़ियां उपलब्ध हैं, जिसमें प्रत्येक वाहन के साथ एक चालक के अलावा पुलिस पदाधिकारी और दो जवानों को तैनात किया गया है.
हर दिन आ रहे हजारों कॉल: एडीजी
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि डायल 112 में कमांड सेंटर पर प्रतिदिन हजारों कॉल आ रही हैं. फोन आने पर किस आपरेटर ने कितने सेंकेड में रिस्पांस किया. कितने मिनट में टीम मौके पर पहुंची. इस का पूरा ब्यौरा रखने के निर्देश दिये गये हैं. फीड बैक के आधार पर यह देखा जाता है कि सेवा में कोई त्रुटि तो नहीं है. विक्टिम फीड बैक का वीडियेा और ऑडियो भी रिकार्ड किया जारहा है. यह सुविधा दी गयी है कि यदि फोन करने वाला मोबाइल नंबर देता है तो बिना लोकेशन दिये भी पुलिस घटना स्थल पर पहुंच जायेगी. इससे लोकेशन देने का समय बचता है.