सम्मेद शिखर विवाद: झामुमो ने कहा है कि सम्मेद शिखर को लेकर उपजा ‘विवाद’ भाजपा का किया हुआ ‘पाप’ है. इसके लिए भाजपा को सार्वजनिक रूप से जैन समाज और जनता से माफी मांगनी चाहिए. सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने की अधिसूचना केंद्र सरकार ने जारी की थी. केंद्र सरकार ही इसे रद्द करे, क्योंकि केंद्र की अधिसूचना में राज्य सरकार बदलाव नहीं कर सकती.
ये बातें झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को हरमू स्थित झामुमो कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कही. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा झूठ और फरेब की खेती करती है. उन्होंने इस राज्य पर किस तरह से कलंक लगाने का काम किया, यह एक जनवरी से दिख रहा है.
जैन समाज के लोग इससे आहत हैं. जैन समाज को भाजपा दिग्भ्रमित कर रही है. श्री भट्टाचार्य ने भारत सरकार का राजपत्र और रघुवर सरकार के कार्यकाल के कुछ कागजात सार्वजनिक कर सवाल उठाया कि गिरिडीह के पारसनाथ-मुधबन को पर्यटन स्थल के रूप में किसने चिह्नित किया?
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार का पर्यटन कला संस्कृति विभाग द्वारा 22.10.2018 को कार्यालय ज्ञापन जारी कर लिखा जाता है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर जी पर्वत सदियों से जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है. इसकी पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. उसके बाद उसी विभाग ने 26 फरवरी 2019 को एक गजट अधिसूचना प्रकाशित की.
उसमें सभी 24 जिलों के नाम हैं, जिसमें गिरिडीह के पारसनाथ मधुबन को पर्यटन स्थल के रूप में चिह्नित किया गया है. इसी गजट के आधार पर भारत सरकार द्वारा दो अगस्त 2019 गजट पारित किया गया. उस समय राज्य और केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार थी. दूसरी ओर, राष्ट्रीय मीडिया खबर चलाती है और वर्तमान सरकार पर उंगली उठा रही है. जबकि, उनके पास डाक्यूमेंट तक नहीं रहता.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि कागजात से स्पष्ट होता है कि जैन धर्म की पवित्रता को खत्म करने की साजिश रची गयी. उन्होंने कहा कि झामुमो ने अपने कार्यकाल में गिरिडीह के उपायुक्त को सम्मेद शिखर की पवित्रता अक्षुण्ण बनाये रखने का आदेश दिया है. झामुमो की सरकार ने तीन वर्ष तक वहां कोई भी छेड़छाड़ नहीं की. जबकि, भारत सरकार का गजट मानने के लिए राज्य सरकार बाध्य है.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने 20 दिसंबर 2022 को विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से कहा था : हम आपकी भावना के अनुरूप काम करने को तैयार हैं. जैन समाज के पवित्र तीर्थस्थल पर कोई भी अपवित्र काम नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि जैन समाज भाजपा के प्रपंच में न आये. हेमंत सोरेन पर भरोसा बनाये रखें. पारसनाथ तीर्थस्थल के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होगा.
भाजपा विधायक अमर बाउरी ने कहा कि सम्मेद शिखरजी मामले में हेमंत सरकार लोगों को गुमराह कर रही है. सरकार का कहना है कि रघुवर दास की सरकार में पारसनाथ को पर्यटन स्थल घोषित करने का कार्य किया गया है, जबकि सच्चाई इसके उलट है. रघुवर दास सरकार ने हमेशा ही सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को अक्षुण्ण रखने के लिए कार्य किया है.
रघुवर सरकार ने इसे तीर्थ स्थल घोषित किया था. 22 अक्तूबर 2018 को पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के ज्ञापन संख्या-1391 के तहत आदेश जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत सदियों से जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है.
इसकी पवित्रता अक्षुण्ण करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. श्री बाउरी ने कहा कि विवाद हेमंत सरकार द्वारा 17 फरवरी 2022 को जारी झारखंड गजट के असाधारण अंक के प्रकाशन के बाद शुरू हुआ है. इसमें पर्यटन, कला संस्कृति खेलकूद व युवा कार्य विभाग 28 दिसंबर 2021 के संकल्प से झारखंड पर्यटन नीति-2021 की घोषणा की थी. इसी संकल्प के माध्यम से हेमंत सरकार ने सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित किया है. इसके बाद से विवाद शुरू हुआ है. ऐसे में हेमंत सरकार अविलंब इसे तीर्थ स्थल घोषित करे.