मौसम के बिगड़ते मिजाज से बिहार की खेती प्रभावित हो गयी है. गेहूं की बुआई पिछड़ गयी है. करीब तीन लाख हेक्टेयर रकबा में बुआई कम हुई है. हालांकि, कृषि विभाग को उम्मीद है कि 15 जनवरी तक 25 लाख हेक्टेयर रकबा का लक्ष्य पूरा हो जायेगा. वहीं , धूप न खिलने से कई फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. उद्यानिक फसलों में आलू को सबसे अधिक नुकसान है. आलू को पिछैती झुलसा की बीमारी लग रही है. डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा के निदेशक अनुसंधान मुख्य वैज्ञानिक( प्लांट पैथोलॉजी) डॉ एसके सिंह का कहना है कि आने वाले समय में ठंड का प्रकोप और बढ़ने वाला है. यह लंबा और अधिक रहेगा. सुबह और रात के तापमान में काफी गिरावट के कारण पौधों की कोशिकाओं के अंदर और ऊपर मौजूद पानी जम जा रहा है.
आलू की फसल में नाशीजीवों (खरपतवारों, कीटों व रोगों ) से लगभग 40 से 45 फीसदी की हानि पहुंच रही है. आलू का पछेती अंगमारी रोग बेहद विनाशकारी है. वातावरण में नमी व रोशनी कम होने के कारण चार से पांच दिनों के अंदर पौधा की सभी हरी पत्तियां नष्ट हो जा रही हैं. आलू के कंदों का आकार छोटा हो जाता है और उत्पादन कम हो जायेगा. पाले की वजह से अधिकतर पौधों के फूलों के गिरने से पैदावार में कमी हो रही है. पत्ते, टहनियां और तने के नष्ट होने से पौधों को अधिक बीमारियां लगने का खतरा रहता है. सब्जियों, पपीता, आम, अमरूद पर पाले का प्रभाव है. टमाटर, मिर्च, बैगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की आशंका है. वहीं , अरहर, गन्ना, गेहूं व जौ पर पाले का असर कम दिखाई दे रहा है. वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ ए सत्तार का कहना है कि गेहूं को छोड़ कर सभी फसलों विशेषकर मटर,आलू,टमाटर और मक्का पर दिन के तापमान में लगातार गिरावट कई तरीके से नकारात्मक असर डालेगी.
रबी के इस मौसम में 3472488.412 हेक्टेयर में विभिन्न फसल बोयी गयी हैं. इनमें मूंगफली का रकबा 733.68 हेक्टेयर है. चना 119605, खेसारी 22807.94, मसूर 213246, मक्का 573683.82, राइ- सरसों 156052.7, राजमा 1158.8 गन्ना 86842.327, सूर्यमुखी 1248.488, तीसी 21179.14, उड़द 2350.3, गेहूं 2209751.3, मूंग 2125.3 जौ 9685.64 अन्य दलहनी फसल 24319.4, मटर 27502 तथा बोरो धान 195.4 हेक्टयर में बोया गया है.