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Jharkhand: बागवानी मिशन योजना के तहत किसानों को बांट दी रद्दी प्रिजर्वेशन यूनिट, हड़प लिये करोड़ों रुपये

किसानों ने इस यूनिट को मुफ्त में भी महंगा बताया है. किसानों का कहना है कि इस यूनिट की कीमत अधिकतम 25 हजार रुपये होगी. पिछले पांच साल में इस स्कीम के संचालन पर करीब 18 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं.

Jharkhand News: झारखंड सरकार द्वारा संचालित बागवानी मिशन योजना में आपूर्तिकर्ताओं ने किसानों को मुफ्त में रद्दी प्रिजर्वेशन यूनिट बांट दी. योजना के तहत एक यूनिट की लागत दो लाख रुपये थी. इसमें से एक लाख रुपये किसान से लेने थे. एक लाख रुपये राज्य सरकार से बतौर अनुदान मिलना था, लेकिन आपूर्तिकर्ताओं द्वारा किसानों को दो लाख की जगह 25 हजार रुपये से भी कम लागत की रद्दी प्रिजर्वेशन यूनिट बांट दी गयी.

किसानों ने इस यूनिट को मुफ्त में भी महंगा बताया है. किसानों का कहना है कि इस यूनिट की कीमत अधिकतम 25 हजार रुपये होगी. पिछले पांच साल में इस स्कीम के संचालन पर करीब 18 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. प्रभात खबर ने विभिन्न जिलों के करीब एक दर्जन लाभुकों से इस योजना की जानकारी ली. उनका कहना था कि मुफ्त में उनको यह सामान दिया गया है. कई किसानों ने कहा कि कुछ दिनों के बाद ही यह यूनिट खराब हो गयी.

किसानों को प्रिजर्वेशन यूनिट देने की योजना गैर एनएचएम कार्यान्वित जिलों में चली. भारत सरकार राज्य के 17 जिलों को राष्ट्रीय उद्यान मिशन के तहत राशि देती है. जिन जिलों को राष्ट्रीय उद्यान मिशन के तहत राशि नहीं मिलती है, वहां राज्य सरकार अपनी राशि से उद्यान विकास का काम करती है. यह स्कीम उन्हीं जिलों में चलाया गया (रांची और खूंटी को छोड़कर) जहां भारत सरकार से पैसा नहीं मिलता था.

2016-17 से चल रही है योजना :

यह योजना 2016-17 से चल रही है. बीते साल तक यह योजना चल रही थी. 2022 में भी कई जिलों के किसानों को इस योजना के तहत प्रिजर्वेशन यूनिट दी गयी. इस योजना के तहत कृषकों द्वारा उत्पादित मसाले, सब्जियों एवं फल को सुखाने एवं संरक्षित रखने के लिए प्रिजर्वेशन इकाई स्थापित करना है. इस पर दो लाख रुपये खर्च करने हैं. इसमें एक लाख रुपये किसानों को देने हैं, शेष राशि सरकार को देनी है.

इस स्कीम का लाभ धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, गोड्डा, कोडरमा और गढ़वा जिलों के किसानों को दिया गया है. विशेष परिस्थिति में कृषि विभाग ने रांची और खूंटी जिले में भी किसानों के बीच प्रिजर्वेशन यूनिट बंटवायी थी. दोनों जिलों में 2017-18 से 2019-20 तक कुल 248 यूनिट बांटी गयी. 2017-18 में 119, 2019-20 में 93 तथा 2019-20 में 36 किसानों के बीच प्रिजर्वेशन यूनिट बांटी गयी.

अधिकतम ‍33 हजार ही है यूनिट की कीमत

प्रिजर्वेशन यूनिट के निर्माण पर आनेवाले खर्च की जानकारी कई कंपनियों से ली गयी. इसमें सभी कंपनियों ने 25 से 33 हजार रुपये तक कीमत बतायी. दिल्ली की एक कंपनी से जब इससे संबंधित कोटेशन मांगा गया, कंपनी ने जीएसटी समेत करीब 33 हजार रुपये ही इसकी कीमत बतायी है. कंपनी ने वास्तविक कीमत 27500 रुपये ही बतायी है.

किसानों को जो यूनिट मिली वह पहले या दूसरे साल ही हो गयी बेकार

हर यूनिट पर सरकार की ओर से एक लाख रुपये की सब्सिडी दी गयी है

क्या कहते हैं किसान

सरकार से सोलर पैनल यूनिट मिली थी. इससे फल सब्जी सुखाना था. इसके लिए हमसे एक भी पैसा नहीं लिया गया है. अब यह ठीक से काम भी नहीं कर रही है.

एम रवानी, धनबाद

इससे शुरू में एक दो साल पेंहटा सुखाते थे. अब काम नहीं कर रहा है. 20-25 हजार का सामान था. एक पैसा भी नहीं लगा था. मुफ्त में मिला था.

जयमंगल कुमार, गढ़वा

सरकार ने मुफ्त में दिया था. इसमें एक पाइप लगी हुई थी, वह टूट गयी. इस कारण यूनिट काम नहीं कर रही है. कंपनी वाला ने एक नंबर दिया था. इसे बनाने के लिए बुला रहे हैं, लेकिन नहीं आ रहा है.

पी रंजन, गढ़वा

रिपोर्ट- मनोज सिंह

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