गरीबों को निजी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज की सुविधा मुहैया कराने की योजना आयुष्मान भारत का धनबाद में बुरा हाल है. आयुष्मान भारत से निबंधित निजी अस्पताल और क्लिनिक पीएम नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगा रहे है. आयुष्मान योजना के तहत कार्ड लेकर निजी अस्पताल पहुंचने वालों से बुरा व्यवहार किया जाता है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके है. मरीजों को यह कह कर लौटाया जा रहा है कि इस योजना के तहत इलाज बंद है. ऐसे में गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इलाज के लिए उन्हें कर्ज लेकर पैसों का इंतजाम करना पड़ता है. जबकि मरीजों का निजी अस्पताल में इलाज कराने के एवज में पूरी राशि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है.
मेमको मोड़ स्थित एक अस्पताल ने हाल ही में आयुष्मान कार्डधारी का इलाज करने से इंकार कर दिया. झरिया के रहने वाले एक व्यक्ति आंत की बीमारी से ग्रसित होने के बाद इलाज कराने मेमको मोड़ स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचे थे. बाद में वे इधर-उधर से पैसों का इंतजाम कर उक्त अस्पताल में इलाज करा रहे है. आयुष्मान कार्ड रहते उन्हें इलाज के लिए 1.25 लाख रुपए का बिल दिया गया है. उनसे अबतक उन्होंने 50 हजार रुपये जमा करवाया है.
पार्क क्लिनिक, नयनदीप आइ हॉस्पिटल, एएसजी हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड, श्रेष्ठ नेत्रालय, हाइटेक हॉस्पिटल, सनराइज हॉस्पिटल, धनबाद नर्सिंग होम प्राइवेट लिमिटेड, सर्वमंगला नर्सिंग होम, पाटलीपुत्र नर्सिंग होम, जिमसार हॉस्पिटल, प्रगति मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर, राजेश्वरी हेल्थ केयर एंड रिसर्च सेंटर, लाइफ लाइन हॉस्पिटल, लाइफ केयर हॉस्पिटल, आइकॉन क्रिटिकल केयर, राज क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर, यश लोक हॉस्पिटल, डॉ ज्योतिर भूषण हेल्थ केयर एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड, सूर्योदय नर्सिंग होम एंड मेटरनिटी सेंटर, झारखंड डायबिटिक एंड आइ सेंटर, अविनाश हॉस्पिटल, समरेंद्र नाथ चक्रवर्ती मेमोरियल चक्रवर्ती नर्सिंग होम, जय हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, चौधरी नर्सिंग होम, जीवन रेखा पर्सिंग होम, नामधारी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, आशीर्वाद पॉली क्लिनिक, कैलाश हॉस्पिटल, आम्रपाली सिटी हॉस्पिटल, संजिवनी नर्सिंग होम, नयनसुख नेत्रालय, दृष्टि आइ हॉस्पिटल, पूजा नर्सिंग होम, एशियन द्वारिका दास जालान, जेपी हॉस्पिटल, असर्फी हॉस्पिटल, सेंगर लाइफ केयर हॉस्पिटल, सूयाश क्लिनिक, आइरिश आइ हॉस्पिटल आदि.
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हर साल मिलेगा 5 लाख रुपए का कवर
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कवर में अस्पताल में दाखिल होने से पहले और दाखिल होने के बाद के खर्च शामिल किए गए है
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लाभार्थी को हर बार अस्पताल में दाखिल होने पर परिवहन भत्ते का भी भुगतान किया जाना है
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लाभार्थी को पैनल में शामिल देश के किसी भी सरकारी, निजी अस्पताल से कैशलेस लाभ लेने की अनुमति
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16 से 59 वर्ष की आयु के बीच के हर व्यक्ति को लाभ
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पैकेज के आधार पर इलाज की सुविधा
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कोरोना हर साल खुद को अपडेट कर रहा है, लेकिन इससे निबटने में स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम अपडेट नहीं हो पा रहा है. इसका ताजा उदाहरण है कि स्वास्थ्य विभाग के पास कोरोना के नए वेरिएंट बीएफ-7 की जांच का साधन (किट) उपलब्ध नहीं है. विभाग जिस किट से कोरोना की जांच कर रहा है, वह नये वेरिएंट की जांच में सक्षम नहीं है. फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के पास 2020 में उपलब्ध कराया गया दो हजार किट है, इससे दो सप्ताह तक जांच की जा सकती है, उसके बाद कोरोना जांच बंद हो सकती है. दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुख्यालय से कोरोना के नये वेरिएंट की जांच के लिए किट की मांग की थी, इस मामले में मुख्यालय ने खुद टेंडर कर किट मंगाने का निर्देश दे अपना पल्ला झाड़ लिया है.
पिछले एक माह से हुए लगभग 1500 सैंपलों की जांच में कोरोना के एक भी मरीज की पुष्टि नहीं हुई है. ऐसा इसलिए क्योंकि विभाग के पास कोरोना के नए वेरिएंट बीएफ-7 को डिटेक्ट करने के लिए किट ही नहीं है. एसएनएमएमसीएच स्थित लैब में कोरोना के शुरुआति दौर, साल 2020 में उपलब्ध कराये गये किट से जांच की जा रही है. एसएनएमएमसीएच के डॉक्टरों की माने तो इस बार कोरोना का नया वेरिएंट बीएफ-7 पहले के वायरस से अलग है. लैब के इंचार्ज डॉ सुजीत तिवारी के अनुसार अस्पताल में रोजाना औसतन 60 से 80 मरीजों का सैंपल कलेक्ट किया जाता है. ऐसे में सैंपलों की जांच दो सप्ताह से ज्यादा संभव नहीं है.
कोरोना के नए वेरिएंट बीएफ-7 के बढ़ने की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने किट उपलब्ध कराने की बात कही थी. दो जनवरी को किट भेजने का दावा किया था. हालांकि, इसी दिन स्वास्थ्य मुख्यालय की ओर से कोरोना के नए वेरिएंट बीएफ-7 किट की स्थानीय स्तर पर खरीद का निर्देश जारी किया गया है. इसके लिए टेंडर निकाला जायेगा. सभी प्रक्रिया को पूरी कर लगभग एक से डेढ़ माह बाद धनबाद में कोरोना के नए वेरिएंट की जांच शुरू हो सकती है.