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जमशेदपुर की हवा सांस लेने लायक नहीं, PM 10 की मात्रा 400 से अधिक, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

जमशेदपुर में पीएम 10 की मात्रा अधिक है. पीएम 10 का स्तर 423 है. यह 100 से अधिक नहीं होना चाहिए. वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 578 जबकि नाइट्रोजन की 10.2 थी.

Jamshedpur News: मानगो की हवा सांस लेने लायक नहीं है. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई ) मंगलवार को 400 के पास पहुंच गया. मानगो गोलचक्कर पर लगे एक्यूआइ मापक मशीन में दोपहर 12.52 बजे सूचकांक 404 जबकि रात 8.11 बजे यह 391 पर बता रहा था. मानक के अनुसार सांस के साथ घुलने वाले कण पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का लेवल 230 (एमजीसीएम) माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर था जो 60 एमजीसीएम होना चाहिए.

पीएम 10 की मात्रा अधिक है. पीएम 10 का स्तर 423 है. यह 100 से अधिक नहीं होना चाहिए. वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 578 जबकि नाइट्रोजन की 10.2 थी. जबकि मानक में इसकी लिमिट 80 है. इस स्थिति को विशेषज्ञ गंभीर मान रहे हैं. आम तौर पर, हवा की गुणवत्ता अक्टूबर के अंत में खराब होना शुरू हो जाता है. वायु प्रदूषण के मामले में सर्दियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं.

101 से 200 के बीच एक्यूआई है संतोषजनक. कोल्हान विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमर कुमार बताते है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 और 100 के बीच को संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बेहद खराब माना गया है. एक्यूआई अगर 401 से 500 के बीच है तो मलतब वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में है. जैसे -जैसे हवा की गुणवत्ता खराब होती जाती है रैंकिंग अच्छी से खराब और फिर गंभीर की श्रेणी में आती जाती है.

बोले एक्सपर्ट

जब तक हमारे शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स हेल्दी जोन में ना पाहुंचे. किसी भी स्थान का एक्यूआई 100 से कम हो तो हेल्दी जोन में मानते हैं, 150 से 200 तक अनहेल्दी और 200 से 300 तक रिस्की, 300 से ज्यादा होने पर खतरनाक माना जाता है. सुबह शाम बाहर दौड़ने से बचे. बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल करे. सावधानी और अंकुश लगाना होगा. इसके लिए सभी को पहल करनी होगी..

डॉ अमर कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, जूलॉजी, केयू

शरीर पर क्या होता है असर

आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ने लगती है. सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है. ऐसे में पीएम 2.5 हमारे फेफड़ों में काफी भीतर तक पहुंचता है. पीएम 2.5 बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है. खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है. लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.

क्या है पीएम 2.5

पीएम 2.5 हवा में रहने वाला छोटा पदार्थ है. इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है. पीएम 2.5 का स्तर अधिक होने पर धुंध बढ़ जाती है और दृश्यता घट जाती है. सामान्य तौर से पीएम 2.5 का अस्तर 60 एमजीसीएम होता है.

क्या है पीएम 10

पीएम 10 को पार्टिकुलेट मैटर भी कहते हैं. इसके कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास का होता है. इसमें धूल गर्द आदि होती हैं. पीएम10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम एमजीसीएम होना चाहिए. इससे अधिक होने पर यह खतरनाक है.

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