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झारखंड सरकारा द्वारा गठित TAC की नियमावली व वैधानिकता पर राज्यपाल ने उठाये सवाल, अधिकारियों से मांगा जवाब

राज्य सरकार को TAC के संबंध में जवाब देने के लिए पत्र भेजा गया है, लेकिन इसका जवाब अब तक नहीं मिला है. राज्यपाल ने अब तक जवाब नहीं दिये जाने का कारण अधिकारियों से पूछा, तो किसी अधिकारी ने कोई जानकारी नहीं दी

राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य सरकार द्वारा गठित टीएसी नियमावली व इसके आधार पर आयोजित बैठकों की कार्यवाही की वैधानिकता पर सवाल उठाया है. राज्यपाल ने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों से जवाब मांगा. अधिकारियों द्वारा कोई जवाब नहीं दिये जाने पर राज्यपाल नाराज हुए. उन्होंने कहा है कि पूर्व में राज्यपाल द्वारा टीएसी में दो व्यक्तियों को नामित किये जाने का प्रावधान था, जिसे नयी नियमावली के तहत समाप्त किया गया.

ऐसा किये जाने पर राज्य सरकार को इस संबंध में जवाब देने के लिए पत्र भेजा गया है, लेकिन इसका जवाब अब तक नहीं मिला है. राज्यपाल ने अब तक जवाब नहीं दिये जाने का कारण अधिकारियों से पूछा, तो किसी अधिकारी ने कोई जानकारी नहीं दी. इस पर राज्यपाल ने अधिकारियों को टीएसी संबंधी राजभवन द्वारा भेजे गये पत्र का अतिशीघ्र जवाब देने का निर्देश दिया.

राज्यपाल ने कहा कि झारखंड राज्य पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है, लेकिन आश्चर्य है कि 18 महीने में एक बार भी विभाग के अधिकारियों द्वारा राजभवन आकर विभाग की गतिविधियों से अवगत नहीं कराया गया. राज्यपाल श्री बैस गुरुवार को राजभवन में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे.

विजन की कमी व विभाग की शिथिलता से कल्याण की राशि तक खर्च नहीं हो सकी :

राज्यपाल श्री बैस ने कहा कि राज्य की अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के कल्याणार्थ राशि की कमी नहीं है, लेकिन विडंबना है कि प्रतिबद्धता के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन और विजन की कमी के कारण राज्य के जनजाति आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.

केंद्र सरकार से प्राप्त राशि पड़ी हुई है, लेकिन उचित योजना बनाकर खर्च नहीं कर रहे हैं. उन्होंने योजनाओं का ससमय और बेहतर क्रियान्वयन का निर्देश दिया, ताकि केंद्र से प्राप्त राशि का अधिक से अधिक लाभ लोगों को मिल सके. राज्यपाल ने समीक्षा के क्रम में 275 (1) के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि के लिए योजनाओं के निर्माण एवं खर्च पर चिंता प्रकट की.

उन्होंने कहा कि केंद्र से विगत तीन वित्तीय वर्षों में प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत भी खर्च नहीं होना विभाग की शिथिलता प्रदर्शित करता है. भारत सरकार द्वारा 2020-21 में 102.78 करोड़ राशि के विरुद्ध 43.49 करोड़, 2021-22 में 122.64 के विरुद्ध 17.90 करोड़ एवं 2022-23 में 67.48 करोड़ के विरुद्ध राज्य सरकार अब तक कोई राशि खर्च नहीं कर पायी है.

सीसीडी योजना के अंतर्गत 2020-21 में 1777.29 लाख के विरुद्ध 1019.75 एवं 2021-22 में 1696.93 लाख के विरुद्ध 262.27 लाख ही राज्य सरकार उपयोग कर सकी है. इस कारण 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध कोई भी राशि विमुक्त नहीं की गयी.

राज्यपाल ने एससीए टू टीएसपी योजना की समीक्षा करते हुए आश्चर्य व दुःख प्रकट किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में विमुक्त 7049.64 लाख राशि के विरुद्ध 1311.83 लाख, 2021-22 में 6531.00 लाख के विरुद्ध कोई खर्च नहीं हुआ. जिसके परिणामस्वरूप 2022-23 में केंद्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं हो सकी.

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