14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नालंदा में तकनीक से आगे निकला देसी जुगाड़, स्कूटी एक साथ पेट्रॉल-बैट्री से चलने को तैयार

स्कूटी कन्वर्ट करके प्रतिदिन 40 से 60 किलोमीटर आसानी से चलायी जा सकती है. हालांकि स्पीड और माइलेज बैटरी के क्षमता पर निर्भर करता है. यदि बीच रास्ते में कहीं बैट्री समाप्त हो गयी तो पेट्रॉल से भी स्कूटी चलायी जा सकती है.

कंचन कुमार,बिहारशरीफ. नालंदा के लाल ने पेट्रॉल-बैट्री से एक साथ चलने वाली स्कूटी का इजाद किया है. बड़े-बड़े वाहन निर्माण कंपनियों ने अब तक नहीं कर पायी है, वह कमाल नालंदा के एक लाल ने देसी जुगाड़ से कर दिखाया है. देसी जुगाड़ से तैयार स्कूटी स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. हिलसा निवासी कुमार वैभव ने पुराने स्कूटी में एक किट लगाकर पेट्रॉल और बैट्री दोनों से चलने लायक इलेक्ट्रिक कन्वर्जन स्कूटी बना रहा हैं. इसमें 50 से 60 हजार रुपये खर्च आ रहे हैं.

अपनी स्कूटी पर किया पहला प्रयोग 

सबसे पहले कुमार वैभव ने अपनी पुरानी एक्टिवा स्कूटी में किट लगाया और उसमें सफलता मिलने के बाद अब दूसरे लोगों के पुरानी स्कूटी में भी किट लगाना शुरू कर दिया. वैभव ने एक माह में करीब एक दर्जन से अधिक लोगों की पुरानी स्कूटी में किट लगा चुके हैं. इस किट को वैभव ने अलग-अलग कंपनियों के मोटर, बैट्री, कंट्रोलर आदि को लेकर तैयार की है, जो काफी सफल सिद्ध हो रहा है. इस देसी जुगाड़ को देखकर महाराष्ट्र की एक कंपनी उसे देसी तकनीक में मदद करने में तैयार हुई है. कुमार वैभव होंडा, हीरो, सुजिकी, यामाहा जैसे कंपनियों के स्कूटी में इलेक्ट्रिक किट लगाकर पेट्रॉल व बैट्री दोनों से चलने वाली स्कूटी तैयार कर रहे हैं.

बैट्री समाप्त होने पर पेट्रोल से चलेगी स्कूटी 

वैभव ने बताया कि बिहार में पेट्रॉल से इलेक्ट्रिक कन्वर्जन की सुविधा कहीं नहीं है. सबसे पहले उन्होंने डेमो के तौर पर अपने पुराने एक्टिवा में इस किट को लगाया था, जो कामयाब रहा. इसके बाद उसने महाराष्ट्र की एक स्टार्टअप कंपनी से मदद मांगी. यह स्कूटी कन्वर्ट करके प्रतिदिन 40 से 60 किलोमीटर आसानी से चलाया जा सकता है. हालांकि स्पीड और माइलेज बैटरी के क्षमता पर निर्भर करता है. यदि बीच रास्ते में कहीं बैट्री समाप्त हो गयी तो पेट्रॉल से भी स्कूटी चलायी जा सकती है.

एक वर्ष का दिया जा रहा है वारंटी

वैभव ने यह भी बताया कि चाइनीज इलेक्ट्रिक स्कूटी 60 से 80 हजार रुपये में आती है, जो एक से दो साल में खराब होने लगती है. वहीं उनके द्वारा देसी तकनीकी से तैयार स्कूटी के मोटर और कंट्रोलर का एक साल का वारंटी दिया जाता है. साथ ही उनके द्वारा बनाये गये स्कूटी टिकाऊ, मजबूत के साथ बेहतर उपयोगी है. क्योंकि अब तक वाहन निर्माण कंपनियां पेट्रॉल से इलेक्ट्रिक कन्वर्जन वाली कोई वाहन नहीं बनाया है. सिर्फ पेट्रॉल या बैट्री से चलने वाले ही वाहन निकाल रहे हैं. नतीजतन विभिन्न कंपनियों की ई-स्कूटी से लंबी दूरी तक का सफर तय करना संभव नहीं होता है.

Also Read: बिहार के यात्री अब ट्रेनों में सफर के दौरान ले सकेंगे लिट्टी-चोखा का स्वाद, इन ट्रेनों से होगी शुरुआत
एआरएआई के लिए दिया है आवेदन

भारत सरकार के ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) में अपने तकनीक के रजिष्टेशन कराने के लिए कुमार वैभव ने आवेदन दिया है. एआरएआई भारत सरकार के उद्वोग मंत्रालय के एक प्रमुख ऑटोमोटिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) एसोसिएशन है. कुमार वैभव बताते हैं कि बिहार सरकार के पास नये तकनीक को रजिष्टेशन कराने की सुविधा नहीं है. जिला स्तरीय परिवहन विभाग से भी संपर्क किया तो वहां के कर्मचारियों ने कोई सहयोग नहीं दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें