बिहार मद्यनिषेध अधिनियम के तहत शराबबंदी का उल्लंघन करने वाले लोगों पर दर्ज होने वाले केसों की संख्या लगातार बढ़ रही है,लेकिन सुखद पक्ष है कि हाल के महीनों में अभियुक्तों को सजा दिलाने की दर काफी बढ़ गयी है. मद्यनिषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पिछले चार महीने के दौरान कंविक्शन रेट यानी पकड़े गये अभियुक्तों को सजा दिलाने की दर 99 फीसदी रही है. इसकी मुख्य वजह एक अप्रैल, 2022 से लागू मद्यनिषेध संशोधन अधिनियम में जोड़ी गयी धारा 37 है.
जुर्माना देकर छूट रहे शराबी भी माने जा रहे अभियुक्त
संशोधन अधिनियम में धारा 37 के तहत पहली बार शराब पीकर पकड़े गये लोगों को 2000 से 5000 रुपये का जुर्माना लेकर छोड़े जाने का प्रावधान है. जुर्माना देकर छूटने वाले अभियुक्तों को न्यायालय में दायर करने वाले शपथ पत्र में यह स्वीकार करना होता है कि उन्होंने मद्यनिषेध अधिनियम का उल्लंघन किया है. इसके बाद न्यायालय उनको कानून तोड़ने का दोषी मानते हुए ही जुर्माना लेकर छोड़ती है.
सात महीने में 95895 व्यक्तियों को सजा
मद्यनिषेध उत्पाद उत्पाद एवं निबंधन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक एक मई, 2022 से 31 दिसंबर, 2022 यानी पिछले सात महीनों में कुल 96037 अभियुक्तों पर दर्ज केस में ट्रायल पूरा कर लिया गया है और इनमें 95895 व्यक्तियों को सजा दी गयी है. इनमें 104 अभियुक्तों को पांच वर्ष, छह अभियुक्तों को छह वर्ष, 21 अभियुक्तों को सात वर्ष और 23 अभियुक्तों को दस वर्ष की सजा दी गयी है. इसके साथ ही एक अप्रैल ,2022 से 31 दिसंबर ,2022 तक 1359 रिपीट ऑफेंडर्स यानी इतने लोग शराब पीने के आरोप में दूसरी बार पकड़े गये. इस अवधि में 4356 वाहनों को भी 25.75 करोड़ रुपये से अधिक जुर्माना लेकर छोड़ा गया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
धारा 37 के तहत पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने वाले लोग भी मद्यनिषेध अधिनियम तोड़े जाने के दोषी हैं. इसलिए न्यायालय उनको भी दोषी मानते हुए ही जुर्माना लेकर छोड़ती है.
बी कार्तिकेय धनजी, आयुक्त, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग.
शराबबंदी लागू होने के बाद से 31 दिसंबर 2022 तक के आंकड़े
ट्रायल शुरू : 144240
ट्रायल पूरा : 100547
सजा : 99561
दोषमुक्त : 986