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बिहार में शहरी की तुलना में गांव के लोग कर रहे अधिक बचत, बैंकों के सेविंग खाते में ग्रामीणों के हैं अधिक पैसे

बिहार में आज भी बैंक लोगों के लिए बचत को जमा करने और उससे ब्याज अर्जित करने का प्रमुख साधन है और बैंकों में जमा पूंजी का वितरण लोगों के आय और उनके बचत की संभावना और तरीका दोनों के वितरण को भी दर्शाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी बैंक जमा का 71.5 प्रतिशत बचत खातों में ही रखते हैं.

कैलाशपति मिश्र, पटना

बिहार में आज भी बैंक लोगों के लिए बचत को जमा करने और उससे ब्याज अर्जित करने का प्रमुख साधन है और बैंकों में जमा पूंजी का वितरण लोगों के आय और उनके बचत की संभावना और तरीका दोनों के वितरण को भी दर्शाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी बैंक जमा का 71.5 प्रतिशत बचत खातों में ही रखते हैं , जबकि यह प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में काफी कम है. ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश लोग अभी बैंक में पैसा रखने का मतलब बैंक में सेविंग खाता खुलवा कर जमा करना ही समझते हैं.बैंक के सेविंग और फिक्स्ड जमा खाता में पैसा जमा करने में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में काफी अंतर है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग शहर के लोगों की तुलना में सेविंग एकाउंट में अधिक पैसा रखते हैं. राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के सेविंग एकाउंट में 71184 करोड़ जमा है, जबकि शहरी क्षेत्र के सेविंग एकाउंट में 55707 करोड़. हालांकि, प्रति एकाउंट जमा राशि में शहरी लोग आगे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के प्रति सेविंग एकाउंट 10274 रुपये, जबकि शहरी खाता में 38139 रुपये जमा है. यह खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को लेकर जारी आंकड़ें में किया गया है.

फिक्स्ड डिपोजिट में शहरी आगे,चालू खाते में ग्रामीण आगे

सेविंग खाते में जमा राशि के ठीक उल्ट फिक्स्ड डिपोजिट(एफडी) में शहरी आगे हैं. बिहार में ग्रामीण क्षेत्र के 36.55 लाख लोगों के एफडी खाते में 25033 करोड़ और शहरी क्षेत्र के 21.71 लाख लोगों के एफडी खाते में 39659 करोड़ जमा हैं. वहीं प्रति एफडी एकांउट में ग्रामीण क्षेत्र में 68482 रुपये और शहरी एफडी खाते में 182633 रुपये हैं. वहीं,एक रोचक पहलू यह भी है की चालू खाता जो की व्यापारियों और उद्यमियों द्वारा उपयुक्त होते हैं, की संख्या बिहार में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है. यद्यपि ग्रामीण क्षेत्रों में इन खातों में औसतन जमा पैसा तुलनात्मक रूप से कम है, फिर भी इन खातों की संख्या का अधिक होना आर्थिक गतिवीधियों का व्यापारिक स्तर पर छोटे आकार में ही सही, ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपस्थित होने का संकेत देता है.ग्रामीण क्षेत्र में चालू खातों की संख्या 36.56 लाख है, जबकि शहरी क्षेत्र में 11.51 लाख.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

अर्थशास्त्री डॉ सुधांशु कुमार कहते हैं कि इसके पीछे दो कारण है. एक बचत के आकार का ग्रामीण क्षेत्रों में कम होना, जिसके कारण से लोग अपनी जरूरतों के लिए त्वरित निकासी हेतु बचत खातों में ही पैसा रखते हैं. दूसरा, इन क्षेत्रों में अपनी बचत पर अधिक ब्याज या आमदनी अर्जित करने के लिए जरूरी वित्तीय साक्षरता का अभाव. वहीं ,शहरी क्षेत्रों में बचत खातों में जमा राशि पर ब्याज कम होने के कारन फिक्स्ड डिपाजिट या फिर अन्य वित्तीय निवेश जैसे की म्युच्यूअल फंड आदि के प्रति लोगों की जागरूकता अधिक है.

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