Magh Month 2023 Vrat-Festival: हन्दी कैलंडर के अनुसार माघ का महीना ग्यारहवां महीना होता है. माघ मास की पूर्णिमा को चंद्रमा मघा व अश्लेशा नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को माघ मास कहा जाता है.माघ मास आज 7 जनवरी 2023 से आरंभ हो रहा है.
वैसे तो हिन्दी कैलंडर में आने वाले हर महीने का अपना एक अलग महत्व है लेकिन माघ मास को लेकर एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है. पौराणिक कथा के अनुसार माघ मास में गौतमऋषि ने इन्द्रेदव का श्राप दिया था. क्षमा याचं करने के बाद उन्हें गौतम ऋषि ने माघ मास में गंगा स्नान कर प्रायश्चित करने को कहा. तब इन्द्रदेव माघ मास में गंगा स्नान किया था, जिसके फलस्वरूप इन्द्रदेव श्राप से मुक्ति मिली थी. इसलिए इस महीनें में माघी पूर्णिमा व माघी अमावस्या के दिन का स्नान पवित्र माना जाता है.
इस महीने में कई व्रत-त्यौहार आने वाले हैं, जिनमें मकर संक्रांति से लेकर बसंत पंचमी तक शामिल है. तो आइए यहां जानते हैं माघ मास के प्रमुख त्यौहारों और व्रत के बारें में.
7 जनवरी, 2023(शनिवार) – माघ महीन प्रारंभ
7 जनवरी से माघ का महीना शुरू हो रहा है. यह महीना दान और पूजा पाठ के लिए काफी शुभ होता है. कहते हैं कि माघ में जो कोई भी गंगा स्नान और दान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.
सकट चौथ – सकट चौथ साल की 4 बड़ी चतुर्थी तिथि में से एक है. इस दिन व्रत करने से संतान को दीर्धायु का वरदान मिलता है. इसे तिलकुटा चौथ, लंबोदर चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.
लोहड़ी- लोहड़ी सिख समुदाय और पंजाबियों का सबसे बड़ा पर्व होता है. लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से कृषि व प्रकृति को समर्पित होता है. यही वजह है कि लोहड़ी में प्रसाद के लिए गुड़, तिल, गजक, रेवड़ी और मूंगफली को रखा जाता है. लोहड़ी के दिन लोग लकड़ियों को इकट्ठा कर के आग जलाते हैं और फिर उसमें गुड़, तिल, रेवड़ी, मूंगफली और गजक चढ़ाते है.
मकर संक्रांति – मकर संक्रांति का पर्व सूर्य को समर्पित है. इसे अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे पोंगल, उत्तरायण आदि.
षटतिला एकादशी व्रत- षटतिला एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी और विष्णु जी की विशेष कृपा मिलती है. षटतिला एकादशी के दिन तिल के इस्तेमाल से परिवार सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.
माघ शिवरात्रि – मासिक शिवरात्रि में रात्रि के प्रहर में शंकर-पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और सुयोग्य जीवनसाथ मिलता है.
माघ अमावस्या- इस दिन मौन रहने का बड़ा महत्व है. इस दिन मौन रहकर व्रत रखने के पीछे मान्यता है कि इससे साधक अपनी कमियों को समझकर उन्हें दूर करने की कोशिश करता है.
बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा- बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा, श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से जाना जाता है. बसंत पंचमी के विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. मां शारदा की पूजा करने से बुद्धि, विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है.