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Bihar Caste Census 2023: जाति आधारित जनगणना की तैयारी पूरी, आज से होगी शुरुआत, पहले होगी इनकी गिनती

बिहार में जाति आधारित जनगणना की शुरुआत 7 जनवरी से होने जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. करीब दो लाख कर्मी जातीय गणना में लगाये गये हैं. इसमें शिक्षक, विकास मित्र, आंगनवाड़ी सेविका समेत सभी स्तर के कर्मी शामिल हैं.

पटना. बिहार में जाति आधारित जनगणना की शुरुआत 7 जनवरी से होने जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. करीब दो लाख कर्मी जातीय गणना में लगाये गये हैं. इसमें शिक्षक, विकास मित्र, आंगनवाड़ी सेविका समेत सभी स्तर के कर्मी शामिल हैं. पहले पूरे बिहार में मकानों की गणना की जाएगी और इसकी रिपोर्ट आने के बाद फिर लोगों की गणना जाति के आधार पर की जाएगी.

21 जनवरी तक चलेगा पहला फेज

7 जनवरी से 21 जनवरी तक पहले फेज में मकानों की गणना की जायेगी. सभी मकानों को यूनिक नंबर दिया जाएगा. राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में यह काम शुरू हो जाएगा. इसके लिए कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है. उन्हें भरने के लिए प्रपत्र भी दिया गया है, जिसमें जिला, प्रखंड, नगर निकाय का जिक्र करना होगा. इसके साथ ही ब्लॉक संख्या, भवन संख्या, मकान संख्या भरना होगा. प्रपत्र में परिवार की संख्या का जिक्र करना होगा. परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर भी लेना होगा.

पटना जिले में होगी 80 लाख लोगों की जाति आधारित गणना

पटना जिले में लगभग 80 लाख आबादी की जाति आधारित गणना होगी और यह कार्य 14817 कर्मचारी करेंगे. 2121 कर्मचारी ऐसे होंगे, जो गणना की निगरानी करेंगे. पटना जिले में 23 प्रखंडों 11 नगर परिषद 5 नगर पंचायत और 6 नगर निगम क्षेत्र के अंचल में जाति आधारित गणना होगी. इसके लिए 45 क्षेत्र बनाये गये हैं. गणना प्रपत्र और मोबाइल ऐप के माध्यम से प्रत्येक परिवार के सदस्य का आंकड़ा एकत्रित होगा जो बिहार राज्य जाति आधारित गणना प्रबंधन एवं प्रबोधन पोर्टल पर बेल्ट्रॉन के सर्वर पर एकत्रित होगा.

देश में अंतिम बार 1931 में हुई थी जातिगत गणना

देश में अंतिम बार 1931 में जातिगत गणना की गयी थी. उसके बाद एससी-एसटी की गणना की जाती है, लेकिन अन्य जातियों की गणना नहीं की जाती है. कुछ राज्यों ने जाति आधारित गणना करवाई थी, लेकिन उसे प्रकाशित नहीं किया. 2011 में केंद्र सरकार ने भी जनगणना करायी थी. जाति को शामिल किया गया था, लेकिन उसमें कई तरह की त्रुटियां थी, इसलिए वह भी प्रकाशित नहीं हुआ. बिहार पहला राज्य होगा जो जाति आधारित गणना इतने बड़े पैमाने पर करा रहा है.

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