झारखंड व देश के अन्य क्षेत्र के सैकड़ों सचेत नागरिकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम एक पत्र लिखा है. इस पत्र में इन लोगों ने कहा है कि सरकार बार-बार वादा करती है, फिर भी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को हर दिन भोजन में अंडे नहीं दिये जाते. सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के बच्चों को अभी सप्ताह में सिर्फ दो दिन अंडे मिलते हैं.
आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को नहीं मिलता अंडा
चिट्ठी लिखने वाले सचेत नागरिकों ने कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को एक दिन भी अंडा नसीब नहीं होता है. झारखंड सरकार ने कई बार वादा किया है कि स्कूलों एवं आंगनवाबाड़ी केद्रों में बच्चों को खाने में हर दिन अंडा दिया जायेगा. लेकिन आज तक सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर पायी. उसके वादे खोखले ही साबित हुए हैं.
कुपोषण को देखते हुए बच्चों के भोजन पर ध्यान दे सरकार
झारखंड में बच्चों में व्यापक कुपोषण एवं विद्यालयों में उपस्थिति की दयनीय स्थिति के को देखते हुए सरकार को इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. अशर्फी नंद प्रसाद, अंबिका यादव, अगस्तिना सोरेंग, बलराम, बिन्नी आजाद, जॉर्ज मोनिपल्ली, हसन अल बनना, ज्यां द्रेज, जेम्स हेरेंज, मैरी निशा हांसदा, मनोज भक्त, मुन्नी देवी, रामचंद्र माझी, तारामणि साहू, विश्वनाथ सिंह समेत अनेकों लोगों ने इस पत्र का समर्थन किया है.
इन संगठनों ने किया है मांग का समर्थन
भारत ज्ञान विज्ञान समिति, भाकपा (माले) लिबरेशन, एकल नारी सशक्ति संगठन, हाषा एयर भाषा जगाव संगठन, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, झारखंड वन अधिकार मंच, झारखंड जनाधिकार महासभा, खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम, नरेगा वॉच, नरेगा सहायता केंद्र व भोजन का अधिकार अभियान जैसे राज्य के संगठनों व मंचों के प्रतिनिधियों ने इसका समर्थन किया है.