अगर आप एक बार ब्लड डोनेट करते हैं तो इससे कई जिंदगियां बचती हैं. लेकिन ब्लड डोनेट कम होने की वजह से जिले के चार ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी हो गयी है. एसकेएमसीएच, सदर अस्पताल, रेडक्रॉस और केजरीवाल के ब्लड बैंक में सभी ग्रुप के ब्लड मौजूद नहीं है. ऐसे में रक्तदान महादान की जरूरत है. सड़क हादसे में घायल, कोई एनिमिक महिला या फिर किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति के लिए खून की तलाश में ब्लड बैंक का रुख करना पड़ता है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर ब्लड बैंक से खून लेने की क्या प्रक्रिया होती है.
डोनर अब सगे संबंधी को दे सकेंगे ब्लड
सरकारी अस्पताल के सरकारी ब्लड बैंक के डोनर कार्ड से अब रक्तदाता और उसके परिजनों को ही रक्त दिया जायेगा. इसमें पति पत्नी, माता-पिता, सगे भाई बहन या बच्चे ही शामिल होंगे. डोनर कार्ड का दुरुपयोग रोकने के तहत निर्णय लिया गया है. डोनर कार्ड का लाभ खुद डोनर या उसके रक्त संबंधियों को ही दिये जाने की गाइडलाइन है. डोनर कार्ड के हकदार रक्तदाता हैं, जिसका उपयोग वह अपने परिवारजनों के लिए कर सकते हैं. डोनर कार्ड का उपयोग भी तीन माह में ही कर लेना होगा. सरकारी ब्लड बैंक में रक्तदाता कार्ड का उपयोग किसी के लिए भी किया जा सकता था.
कैसे आप ब्लड लेंगे ब्लड बैंक से
इसे उदाहरण के जरिये समझते हैं. मान लीजिए राहुल का एक्सिडेंट हो जाता है और ब्लड लॉस के चलते उसे खून की जरूरत है. राहुल का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव (A ) है. उसके लिए खून लेने उसका कोई परिजन ब्लड बैंक जाता है. तो सबसे पहले पेशेंट राहुल का ब्लड ग्रुप/टाइप पता किया जायेगा. इसके बाद जरूरत होगी फिजिशियन द्वारा लिखे गये रिक्विजिशन लेटर की. उसमें लिखा होगा कि राहुल को A खून की जरूरत है. इसके साथ ही परिजन को राहुल का ब्लड सैंपल लेकर जाना होगा और बताना होगा कि कितने यूनिट खून की जरूरत है. इसके बाद ब्लड बैंक राहुल के ब्लड सैंपल के साथ खून को क्रॉस मैच करेगा और जरूरत के हिसाब से खून मिल जायेगा.
बैंक में कितने दिनों तक रखा जा सकता है ब्लड
किसी भी ब्लड बैंक में खून को तीन अलग-अलग हिस्सों में रखा जाता है. वो हैं रेड सेल्स, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा. ब्लड के रेड सेल्स को रेफ्रिजिरेटर्स में मायनस 6 डिग्री सेल्सियस पर 42 दिनों तक रखा जा सकता है. वहीं प्लेटलेट्स को एगिटेटर्स में रूम टेंपरेचर पर पांच दिनों के लिए रखा जाता है. खून का प्लाज्मा फ्रीजर्स में एक साल के लिए भी रखा जा सकता है.
डोनेट के बाद टेस्ट किया जाता
डोनेट किया हुआ खून एक प्रोसेस के जरिये टेस्ट किया जाता है. डोनेशन की सारी जानकारी कम्प्यूटर्स में स्कैन कर रखी जाती है. फिर ब्लड क्लिनिंग प्रोसेस में खून को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. रेड सेल्स, प्लेटलेट्स और प्लाज़मा. ब्लड टाइप/ग्रुप से लेकर डिजीज और इंफेक्शन चेक किये जाते हैं. इसके बाद लेबल लगाकर खून को स्टोर कर दिया जाता है.
ब्लड डोनेट करने के लिए कितनी उम्र होनी चाहिए
ब्लड डोनर की उम्र 16 साल से ऊपर और 60 साल से कम होनी चाहिए. शरीर का औसत वजन 45 किलोग्राम होना चाहिए. हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 होनी जरूरी है. स्वस्थ पुरुष-महिलाएं दोनों ही हर तीन महीने में रक्तदान कर सकते हैं. पहली बार खून डोनेट कर रहे हैं तो आईडी कार्ड साथ ले जाएं. हेल्थ से जुड़ी कोई परेशानी हो या देश से बाहर यात्रा की हो तो पहले बताएं. जांच में पल्स, टेंप्रेचर और ब्लड प्रेशर चेक होगाट
ब्लड डोनेट करने से होगा फायदा
अगर आप ब्लड डोनेट करते हैं, तो इसके कई हेल्थ बेनिफिट्स हैं. ब्लड डोनेट करने से नये ब्लड सेल्स का उत्पादन बढ़ता है, दिल की सेहत में सुधार होता है और कॉलेस्ट्रोल लेवल पर रहता है. स्ट्रोक और कैंसर का रिस्क कम होता है. इसके अलावा डोनर कार्ड से रक्तदाता खुद के लिए और उसके परिजनों के लिए राशन कार्ड या अन्य कोई पहचान का दस्तावेज दिखाकर जरूरत होने पर ब्लड बैंक से खून ले सकते हैं.
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