बिहार में शुरू हुई जातीय गणना पर सियासत काफी तेज हो गयी है. रविवार को भी इसे लेकर महागठबंधन में शामिल पार्टियों व मुख्य विपक्षी दल भाजपा के बीच जम कर बयानबाजी हुई. भाजपा के वरीय नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि कुछ माह पहले सरकार में शामिल हुई पार्टियां जातीय गणना पर भाजपा के बारे में भ्रम फैला कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश न करें. वहीं, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि बिहार में शुरू हुई जाति आधारित गणना स्वागत योग्य कदम है. भाजपा इसकी विरोधी रही है.
पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि कुछ माह पहले सरकार में शामिल हुई पार्टियां जातीय गणना पर भाजपा के बारे में भ्रम फैला कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश न करें. उन्होंने कहा कि भाजपा चाहती है कि गणना के हर चरण में सरकार पारदर्शिता बरते और सर्वदलीय बैठक बुला कर प्रदेश के बाहर रह रहे बिहारियों की गणना भी सुनिश्चित करे. यह हकीकत है कि रोजी-रोजगार के लिए बिहार के करोड़ों लोग प्रदेश से बाहर रहते हैं. ऐसे लोगों की गणना के बिना सही तस्वीर उभर कर सामने नहीं आयेगी. उन्होंने कहा कि गणना की प्रविधि और आम लोगों से जुटायी जाने वाली जानकारियों पर भी सर्वदलीय बैठक में चर्चा हो. सरकार दोनों चरण की गणना के बाद समय-सीमा तय कर गणना की रिपोर्ट का प्रकाशन और उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करे.
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने रविवार को कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छाशक्ति से राज्य में सामाजिक न्याय की स्थापना के स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत हुई है. अब बिहार में जाति आधारित गणना हो रही है. इसका लाभ बिहार में निवास करने वाले सभी लोग वर्ग-जाति एवं समुदाय के लोगों को प्राप्त होगा. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कथनी और करनी में कभी कोई फर्क नहीं रहा, उन्होंने जो कहा वो पूरा किया. उनके सपनों के बिहार में समाज की सभी जातियों के लिए विकास का समान अवसर शामिल है. इसके लिए उनकी वास्तविक संख्या का पता होना बेहद जरूरी था और जातिगत गणना से यह काम बखूबी हो पायेगा.
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने रविवार को कहा है कि बिहार में शुरू हुई जाति आधारित गणना स्वागतयोग्य कदम है. भाजपा इसकी विरोधी रही है, उसके नेता बौखलाहट में बयान दे रहे हैं. बिहार के सभी दलों ने पूरे देश में जाति गणना की मांग प्रधानमंत्री से की थी. इसे लेकर एक प्रतिनिधिमंडल भी उनसे मिला था, लेकिन उन्होंने इस मांग को ठुकरा दिया. बिहार की इस पहल का पूरे देश में विस्तार होना चाहिए. यदि भाजपा वाले जाति आधारित गणना के पक्षधर हैं , तो वे क्यों नहीं पूरे देश में जाति आधारित गणना करवा रहे हैं? उन्होंने कहा कि जाति गणना से वास्तविक सामाजिक-आर्थिक व अन्य स्थितियों का पता लगेगा और फिर अनुरूप विकास संबंधी योजनाओं की नीतियां बनायी जा सकेंगी.
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भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि पिछड़े, अतिपिछड़ों, गरीब व दलित समाज के सर्वांगीण विकास के लिए उनकी वास्तविक संख्या जानना बेहद जरूरी है, लेकिन भाजपा के नेता लगातार जातीय गणना में अड़ंगा डालने की कोशिश कर रहे हैं. कभी वह इसको अव्यवहारिक बताते हैं , तो कभी इसे धर्म से जोड़ देते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी सामान्य व्यक्ति समझ सकता है कि देश में संसाधन सीमित हैं. ऐसे में सामाजिक व आर्थिक तौर से पिछड़े लोगों को आगे बढ़ाने के लिए विशेष उपाय और योजनाएं चलानी आवश्यक हैं. देश के समग्र विकास के लिए जरूरी है कि सभी पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित व गरीब समाज के एक-एक व्यक्ति के पास यह योजनाएं पहुंचे, जो उनकी वास्तविक संख्या जाने बिना संभव ही नहीं है.
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