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सिंगापुर से भारत पैसा भेजने में अब कम होगा खर्च, UPI के साथ PayNow का होने जा रहा एकीकरण

सिंगापुर मौद्रिक प्राधिकरण के मुख्य वित्त-प्रौद्योगिकी अधिकारी सपनेंदु मोहंती ने कोलकाता में वित्तीय समावेशन पर आयोजित जी20 बैठक में यूपीआई और पेनाऊ के विलय पर चर्चा की है. उन्होंने कहा कि भारत के यूपीआई और सिंगापुर के पेनाऊ के विलय का खाका तैयार हो चुका है.

कोलकाता : अगर आपके परिवार का कोई मेंबर सिंगापुर में रहता है और वह डिजिटल तरीके से आपको पैसा भेजता है, तो वहां रहने वाले भारतीय यूजर्स को डिजिटल पैसा ट्रांसफर करने में ज्यादा रकम का भुगतान नहीं करना पड़ेगा. इसका कारण यह है कि भारत के डिजिटल भुगतान प्रणाली यूपीआई और सिंगापुर के पेनाऊ का जल्द ही आपस में एकीकरण होने जा रहा है. समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट की मानें, तो भारत के यूपीआई के साथ सिंगापुर के पेनाऊ का आपस में विलय हो जाने के बाद दोनों देशों के निवासियों को पैसा भेजने की लागत में करीब 10 फीसदी तक कमी आ जाएगी.

यूपीआई के साथ पेनाऊ के एकीकरण का खाका तैयार

रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर मौद्रिक प्राधिकरण के मुख्य वित्त-प्रौद्योगिकी अधिकारी सपनेंदु मोहंती ने कोलकाता में वित्तीय समावेशन पर आयोजित जी20 बैठक में यूपीआई और पेनाऊ के विलय पर चर्चा की है. उन्होंने कहा कि भारत के यूपीआई और सिंगापुर के पेनाऊ के विलय का खाका तैयार हो चुका है. अब केवल इसे पेश किए जाने का इंतजार है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के डिजिटल भुगतान नेटवर्क के बीच विलय होने से बेहद प्रतिस्पर्द्धी दरों पर पैसा एक-दूसरे देश में भेजा जा सकेगा. इससे पैसा भेजने की लागत भी 10 फीसदी तक कम हो जाएगी.

सिंगापुर से भेजा जाता है एक अरब डॉलर

सपनेंदु मोहंती ने कहा कि फिलहाल, सिंगापुर से भारत को एक अरब सिंगापुरी डॉलर भेजे जाते हैं, जबकि भारत से सिंगापुर को 20-30 करोड़ सिंगापुरी डॉलर की रकम भेजी जाती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत के अलावा मलेशिया के साथ भी डिजिटल भुगतान नेटवर्क का विलय किया जा सकेगा. सिंगापुर का पहले से ही इंडोनेशिया के प्रॉमपे के साथ इस तरह का गठजोड़ है.

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दूसरे देशों को मुफ्त में तकनीक देने को तैयार भारत

कोलकाता में जी20 की बैठक में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) दिलीप अस्बे ने कहा कि भारत दूसरे देशों को भी डिजिटल भुगतान ढांचा तैयार करने में मदद के लिए यूपीआई की प्रौद्योगिकी एवं कोड मुफ्त में देने को तैयार है. उन्होंने कहा कि कानूनी एवं लागत संबंधी अड़चनों से कहीं अधिक बड़ी चुनौती ब्योरा साझा करने से संबंधित नियम हैं.

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