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विश्व बोल रहा जय हिंदी: 40 देशों के करीब 600 विवि व कॉलेजों में होती है हिंदी की पढ़ाई

10 जनवरी 1975 को महाराष्ट्र के नागपुर में पहला हिंदी दिवस सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन का उद्देश्य दुनियाभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना था.

आज विश्व हिंदी दिवस है. हिंदी को विश्व भाषा के रूप में स्थापित करने के संकल्प का दिन. इसकी घोषणा 10 जनवरी 2006 को हुई थी. यह तारीख इसलिए, क्योंकि 10 जनवरी 1975 को नागपुर से विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत हुई थी. आज अपनी हिंदी मॉरीशस, फिजी, अमेरिका, जापान, इटली, नेपाल, श्रीलंका, रूस, चीन, नार्वे, फिनलैंड, हंगरी, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम और कई अफ्रीकी देशों के विद्यार्थियों तक पहुंच चुकी है. हिंदी में पठन-पाठन हो रहा है. सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व को समेट हिंदी अब विश्व में लगातार अपना फैलाव कर रही है. देश-विदेश में इसे जानने-समझने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. इंटरनेट ने तो हिंदी के लिए नया आसमान मुहैया कराया है.

दुनियाभर की वेबसाइट हिंदी को दे रहीं तवज्जो

विश्व भर की वेबसाइट हिंदी को भी तवज्जो दे रही हैं. ई-मेल, ई-कॉमर्स, ई-बुक, इंटरनेट, एसएमएस और वेब जगत में हिंदी को बड़ी सहजता से पाया जा सकता है. माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, आइबीएम तथा ओरेकल जैसी कंपनियां हिंदी प्रयोग को बढ़ावा दे रही हैं. एक अध्ययन के मुताबिक हिंदी सामग्री की खपत करीब 94 फीसद तक बढ़ी है. हर पांच में एक व्यक्ति हिंदी में इंटरनेट प्रयोग करता है. फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप में हिंदी में लिख सकते हैं. इसके लिए गूगल हिंदी इनपुट, लिपिक डॉट इन जैसे अनेक सॉफ्टवेयर और स्मार्टफोन एप्लीकेशन मौजूद हैं.

तीसरी सर्वाधिक बोली जानेवाली भाषा हिंदी

वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज के मुताबिक विश्व में हिंदी भाषी करीब 70 करोड़ लोग हैं. यह तीसरी सर्वाधिक बोली जानेवाली भाषा है. 1.12 अरब बोलनेवालों की संख्या के साथ अंग्रेजी पहले स्थान पर है. चीनी भाषा मेंडरिन बोलने वाले करीब 1.10 अरब हैं. 51.29 करोड़ और 42.2 करोड़ के साथ स्पैनिश और अरबी का क्रमश: चौथा और पांचवां स्थान है. दुनिया में मौजूद भाषाओं की जानकारी पर प्रकाशित होनेवाले एथनोलॉग के 2017 के संस्करण में 28 ऐसी भाषाएं शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक के बोलने वाले पांच करोड़ से ज्यादा लोग हैं.

विदेशी धरती पर हिंदी पत्रिकाओं का हो रहा प्रकाशन

विदेश में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं. यूएई के ‘हम एफ-एम’ सहित अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, जर्मनी के डायचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से शामिल है.

ये कर रहे विदेश में हिंदी की सेवा

कैंब्रिज विवि में हिंदी की अलख जगा रहे

कोकर के रहनेवाले मुकेश कुमार कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी यूके में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. वहां विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग की शिक्षा देने के साथ हिंदी के प्रति उनकी रुचि भी जगा रहे हैं. मुकेश ने संत अलोइस और संत अलबर्ट स्कूल रांची से स्कूली पढ़ाई की है. रांची कॉलेज से इंटर और इग्नू से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. . फिर इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए वर्ष 2005 में इंग्लैंड चले गये. वह कहते हैं : भले ही क्लास के दौरान अंग्रेजी में बात करता हूं, लेकिन क्लास खत्म होने के बाद भारतीय विद्यार्थियों से हिंदी में बातचीत होती है.

सिंगापुर में 12 वर्षों से हिंदी पढ़ा रही हैं

अपर बाजार की रहने वाली रीना गुप्ता 22 वर्षों से सिंगापुर में पति राजेश कुमार के साथ रह रही हैं. विदेशी धरती पर रहने के बावजूद अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रति उनका विशेष लगाव है. यही कारण है 12 वर्षों से वहां हिंदी पढ़ा रही हैं. रीना गुप्ता ने कहा : रांची वीमेंस कॉलेज से 12वीं करने के बाद मध्य प्रदेश से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की. शादी के बाद सिंगापुर आ गयीं. वह कहती हैं : सिंगापुर में कई जगहों पर हिंदी की क्लास चलती है. स्थानीय स्कूलों में हिंदी सोसाइटी और डीएवी संस्था के माध्यम से हिंदी की किताबें उपलब्ध करायी जाती हैं.

विदेश में हिंदी से बच्चों को जोड़ रहीं

कोडरमा की राजकिरण शर्मा नौ वर्षों से सिंगापुर के डीपीएस इंटरनेशनल स्कूल में सेकेंडरी क्लास में हिंदी पढ़ा रही हैं. उन्होंने विनोवा भावे विवि से बीकॉम किया है. इसके बाद राजस्थान विवि से बीएड की डिग्री हासिल की. डीएवी कोडरमा में पांच वर्ष पढ़ाने का मौका मिला. इसके बाद पति के साथ सिंगापुर आ गयीं. यहां आने के बाद बच्चों को हिंदी पढ़ाना शुरू किया. राजकिरण ने बताया : पहले यहां के स्थानीय बच्चों को हिंदी सिखाती थी. फिर स्कूल में पढ़ाना शुरू किया, क्योंकि यहां सिलेबस में हिंदी विषय का भी विकल्प है.

95 देशों के विवि में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है

हिंदी के लिए चीन अब हिमालय पार नहीं रहा. पाकिस्तान में इसने अपने होने का परचम फहराया है. समुद्र पार जाकर विश्व के अनेक देशों में इंटरनेट, इमेल, कंप्यूटर के माध्यम से अपनी सामर्थ्य का अहसास करा रही है. अपनी हिंदी विश्व ग्लोब पर पूरी तरह स्थापित हो चुकी है. यह बहुसंख्यक की भाषा है. साहित्यकार और कवियों की भाषा है. लोकप्रिय फिल्मों की भाषा है. इसमें विज्ञान और व्यापार की अद्यतन जानकारियां हैं. विश्व के 95 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है. मैं स्वयं भारतीय सांस्कृतिक संबद्ध परिषद द्वारा जर्मनी के जोहान्स गुटेनबर्ग और फिनलैंड के हेलसिंकी विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ा चुका हूं.

हिंदी में बढ़ते रोजगार से भी बढ़ा है इसका विश्वभर में मान

विश्व भाषा के रूप में हिंदी का कदम तेजी से बढ़ रहा है. लोकल से लेकर ग्लोबल मंच पर हिंदी लगातार बढ़ रही है. पूरे विश्व में फैले भारतीयों की भाषा हिंदी ही है. उनके बच्चे जो लंबे समय से विदेश में रह रहे हैं, उनके मन में भी इच्छा होती है कि अपने दादा-दादियों के देश को जानें और समझें. वैश्विक परिदृश्य में भारत का बढ़ता वर्चस्व, सहयोगात्मक रवैया और बड़ा बाजार इन सबसे विश्व मानचित्र पर भारत की बेहतर तस्वीर बनी है. भारत से जुड़ाव अर्थात भारत की भाषा, हिंदी से जुड़ाव है. अनेक भारतीयों को विदेशों में हिंदी पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा रहा है. हिंदी में बढ़ते रोजगार के अवसर ने भी हिंदी का मान बढ़ाया है.

येल विवि में हर वर्ष हिंदी में होती है वाद-विवाद प्रतियोगिता

पूरी दुनिया में हिंदी का प्रभाव बढ़ रहा है. मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, त्रिनिदाद, नेपाल, म्यामांर, बांग्लादेश, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, अमेरिका, रूस, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में बसे करोड़ों लोग अपनी हिंदी का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 90 से अधिक देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा व साहित्य अथवा इंडोलॉजी की पढ़ाई हो रही है. अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में 2008 से प्रति वर्ष हिंदी में अंतर विश्वविद्यालय वाद -विवाद प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है. वैश्विक बाजार को हिंदी की ताकत का पता है, इसलिए वह लगातार हिंदी को ध्यान में रखकर काम कर रहा है.

मानविकी भाषा हो गयी है हमारी हिंदी

हिंदी मानविकी भाषा हो गयी है. विदेश में हिंदुस्तान के त्योहार और संस्कृति को अपनाया जा रहा है. विश्व के कोने-कोने में भारतीय संस्कृति पहुंच रही है. इसके साथ ही हमारी हिंदी भाषा भी पहुंच रही है. लोग विदेश जा रहे हैं. वहां जाकर अपनी संस्कृति से जुड़ते हुए मातृभाषा से भी जुड़ रह रहे हैं. यही हिंदी की ताकत है. ज्ञान को कोई सीमा बांध नहीं सकती.

यहां देखिए हिंदी का दम

1. अमेरिका के 32 विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में होती है हिंदी की पढ़ाई.

2. लंदन यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज और यॉर्क यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी पढ़ रहे हिंदी.

3. जर्मनी के 15 शिक्षण संस्थानों ने हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन को अपनाया है.

4. चीन में 1942 में हिंदी अध्ययन की शुरुआत हुई. 1957 में हिंदी रचनाओं का चीनी में अनुवाद शुरू हुआ.

5. मॉरिशस में फ्रेंच के बाद हिंदी ही एक ऐसी महत्वपूर्ण एवं सशक्त भाषा है जिसमें पत्र-पत्रिकाओं तथा साहित्य का प्रकाशन होता है.

6. यूएई में एफएम रेडियो के कम से कम तीन ऐसे चैनल हैं, जहां आप 24 घंटे हिंदी फिल्मों के गीत सुन सकते हैं.

7. ब्रिटेन के गिलक्राइस्ट, फोवर्स-प्लेट्स, मोनियर विलियम्स, केलाग होर्ली, शोलबर्ग ग्राहमवेली तथा ग्रियर्सन जैसे विद्वानों ने हिंदीकोश व्याकरण और भाषिक विवेचन के ग्रंथ लिखे हैं.

8. अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान’ हिंदी का अकेला ऐसा सम्मान है जो किसी दूसरे देश की संसद (ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स) में प्रदान किया जाता है.

9. अमेरिका के येन विश्वविद्यालय में 1815 से ही हिंदी पढ़ाई जा रही है.

10. ‘लैंग्वेज यूज इन यूनाइटेड स्टेट्स-2011’ की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में बोली जानेवाली शीर्ष 10 भाषाओं में हिंदी शामिल है.

11. वर्ष 2011 के आंकड़ों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में एक लाख से अधिक लोग हिंदी भाषा बोलते हैं.

12. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, लट्रोब विवि, सिडनी विवि, मेलबोर्न विवि, मोनाश विवि, रॉयल मेलबोर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सहित अन्य संस्थानों में हिंदी पठन-पाठन की व्यवस्था है.

13. जापान के दो राष्ट्रीय विवि ओसाका और टोकियो में स्नातक और परास्नातक स्तर पर हिंदी की पढ़ाई की व्यवस्था है.

पूजा सिंह की रिपोर्ट

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