गोमिया (बोकारो), नागेश्वर. आमतौर पर लोग सरकार से मदद नहीं मिलने का रोना रोते हैं. लेकिन, झारखंड के किसान कर्मयोगी हैं. सरकार के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने की बजाय वे अपनी जरूरतों को पूरा करने में जुट जाते हैं. बोकारो जिला के नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहे गोमिया प्रखंड में कुछ किसानों ने ऐसी पहल की, जिससे उनकी खेतों की प्यास बुझी और उनके जीवन में खुशहाली आयी.
हम बात कर रहे हैं गोमिया प्रखंड के लोधी पंचायत स्थित संताली बहुल गांव बोरवाकोचा की. वहां एक प्राकृतिक नाला है, जिसमें लगातार पानी बहता रहता है. ग्रामीणों ने नाले के पास डाड़ी बनाकर लंबे समय तक अपने खेतों की सिंचाई की. अब इस डाड़ी (कमला डाड़ी) को कुआं में तब्दील कर दिया गया है और वहां से पाइपलाइन के जरिये 1700 फीट दूर स्थित खेतों में पानी पहुंच रहा है.
बोकारो जिला में स्थित इस गांव की जमीन की खास बात यह है कि वर्षों तक बंजर पड़ी इस भूमि पर अब फसलें लहलहाती हैं. संताली आदिवासी यहां पांच से सात एकड़ भूमि पर गेहूं, आलू, सरसों के साथ-साथ अन्य सब्जियों का भी उत्पादन कर रहे हैं. इससे किसान आत्मनिर्भर हुए हैं. संपन्न हुए हैं. पाइपलाइन का बंदोबस्त स्वयंसेवी संस्था जन सहयोग केंद्र के जरिये ओएनजीसी ने सीएसआर के तहत किया है.
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सबसे खास बात यह है कि डाड़ी की मरम्मत करके उसे कुआं में तब्दील कर दिया गया है. वहां से बिना मोटर पंप के पानी को 1700 फीट की दूरी तक पहुंचाया जाता है. इससे 15 से 17 आदिवासी परिवार के लोग अपने खेतों की सिंचाई कर रहे हैं.
ग्रामीण शिवलाल मरांडी का कहना है कि कुआं के पास सरकार ने सौर ऊर्जा के माध्यम से पाइपलाइन के जरिये गांव और खेतों मे पानी ले जाने की व्यवस्था की. इसी पानी को पीते भी थे और उसी से खेतों की सिंचाई भी करते थे. उनका कहना है कि आसपास के इलाकों के खेतों तक भी पानी पहुंच जाये, तो बड़ी संख्या में लोग खेती करके खुद को संपन्न बना सकते हैं.
बोरवाकोचा गांव गोमिया प्रखंड मुख्यालय से 10-12 किलोमीटर की दूरी स्थित है. इस गांव में बिजली है. कई तरह से विकास कार्य भी हुए हैं. लेकिन, कृषि के क्षेत्र में सरकार ने कोई पहल नहीं की है. पंचायत की मुखिया जुबैदा खातून का कहना है कि बोरवाकोचा के ग्रामीण काफी मेहनती हैं. वहां पर जो कुआं है, उनके लिए वरदान साबित हो रहा है.
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मुखिया ने कहा कि पंचायत को जो फंड मिला है, वह पर्याप्त नहीं है. फंड मिलते ही प्राथमिकता के आधार पर सौर ऊर्जा सहित जल मीनार लगाकर पटवन और पेयजल पर काम शुरू कर देंगे. फिलहाल बोरवाकोचा के ग्रामीण कृृृृषि क्षेत्र में विकास के लिए गांव में नीतिगत अध्ययन कर कृषि को बढ़ावा देने की मांग कर रहे हैं.